कोविड दौरान ‘छोटी घरेलू बचत’ बनीं बड़ा सहारा

Edited By ,Updated: 22 Jul, 2020 03:42 AM

small household savings became big support during covid

यकीनन देश में कोविड-19 और लॉकडाऊन के बीच देश के करोड़ों लोग अपना सारा कामकाज ठप्प होने और नियमित आमदनी घटने से अपनी संचित घरेलू बचत (डोमैस्टिक सेविंग्स) के आॢथक सहारे से जीवन निर्वाह करते हुए दिखाई दिए हैं। जिस तरह

यकीनन देश में कोविड-19 और लॉकडाऊन के बीच देश के करोड़ों लोग अपना सारा कामकाज ठप्प होने और नियमित आमदनी घटने से अपनी संचित घरेलू बचत (डोमैस्टिक सेविंग्स) के आॢथक सहारे से जीवन निर्वाह करते हुए दिखाई दिए हैं। जिस तरह कोई 12 वर्ष पूर्व 2008 की वैश्विक मंदी का भारत पर कम असर होने का एक प्रमुख कारण भारतीयों की घरेलू बचत को माना गया था, एक बार फिर 2020 में महाआपदा कोविड-19 से जंग में घरेलू बचत भारत के करोड़ों लोगों का विश्वसनीय आर्थिक हथियार दिखाई दी है। 

यद्यपि कोविड-19 से जंग में घरेलू बचत के कारण ही देश में करोड़ों लोग आर्थिक आघातों को बहुत कुछ झेल पाए हैं, लेकिन अब उनके लिए घरेलू बचतों का सहारा धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। हाल ही में प्रकाशित एक ताजा सर्वेक्षण में कहा गया है कि जून 2020 तक देश के शहरों में रहने वाले करीब 13.9 करोड़ लोगों की बचत समाप्त होने का परिदृश्य उभरकर दिखाई दिया है। ऐसे में अब छोटी-छोटी घरेलू बचत के सहारे कोविड-19 का मुकाबला कर रहे देश के करोड़ों लोग भी सरकार से विशेष राहत की अपेक्षा करते हुए दिखाई दे रहे हैं। 

देश में सकल घरेलू बचत (ग्रास डोमैस्टिक सेविंग्स) कितनी है, इसका अनुमान हाल ही में जारी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट से लगाया जा सकता है। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश में वर्ष 2019-20 में कुल सकल घरेलू बचत 5.6 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई है। सकल घरेलू बचत में हाऊस होल्ड सैक्टर, प्राइवेट कारपोरेट सैक्टर और पब्लिक सैक्टर इन तीनों क्षेत्रों की बचत को शामिल किया जाता है। सामान्यतया आम आदमी की बचत हाऊस होल्ड सैक्टर में गिनी जाती है। यह बचत बैंकों में फिक्स डिपॉजिट (एफ.डी.), जीवन बीमा, शेयर, डिबैंचर, म्युचुअल फंड, कोऑपरेटिव बैंक में जमा, छोटी बचत योजनाओं तथा नगद के रूप में संचित रहती है। 

गौरतलब है कि देश में वर्ष 2012 के बाद सकल घरेलू बचत दर (ग्रास डोमैस्टिक सेविंग रेट) और निवेश दर दोनों में गिरावट आई है। खासतौर से हाऊस होल्ड सैक्टर के तहत परिवारों की बचत में बड़ी गिरावट आई है। घरेलू बचत योजनाओं में ब्याज दर की कमाई का आकर्षण घटने से सकल घरेलू बचत दर लगातार घटती गई है। लेकिन अभी भी दुनिया के कई विकासशील देशों की तुलना में भारत की सकल घरेलू बचत दर अधिक है। यदि हम देश की सकल घरेलू बचत दर के आंकड़ों को देखें तो पाते हैं कि वर्ष 2009 के दौरान जो सकल घरेलू बचत दर 36.02 फीसदी थी, वह घटते हुए वित्त वर्ष 2018 के दौरान 32.39 फीसदी तथा 2019 में 30.14 फीसदी हो गई है। यद्यपि देश में बचत पर ब्याज दर घटी है, लेकिन फिर भी छोटी बचत योजनाएं अपनी विशेषताओं के कारण बड़ी संख्या में गरीब वर्ग और नौकरीपेशा लोगों से लेकर मध्यम वर्गीय परिवारों की सामाजिक सुरक्षा का आधार बनी हुई हैं। 

नि:संदेह इस समय बड़ी संख्या में घरेलू बचत के सहारे कोविड-19 से जंग का मुकाबला कर रहे लोगों के द्वारा तीन बड़ी चुनौतियों का भी सामना किया जा रहा है। एक, छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर का घटना, दो, उद्योग-कारोबार बंद होने के कारण नौकरी संबंधी चिंता और तीन, आगामी करीब एक वर्ष तक आर्थिक मुश्किलों की आशंका। निश्चित रूप से कोविड-19 के बीच देश में छोटी बचत करने वाले लोगों के सामने एक बड़ी ङ्क्षचता उनकी बचत योजनाओं पर ब्याज दर घटने संबंधी है। पिछले 3 महीनों (अप्रैल से जून 2020) में जहां छोटी बचत करने वालों की आॢथक मुश्किलें बढ़ीं, वहीं बैंकों में बचत खातों पर, स्थाई जमा (एफ.डी.) पर तथा विभिन्न छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरें घट गईं। 

यद्यपि सरकारी एवं अद्र्ध सरकारी नौकरियों में काम करने वाले लोगों के सामने छंटनी एवं कम वेतन की चिंता नहीं आई, लेकिन निजी क्षेत्र के उद्योग-कारोबार से जुड़े लोगों की आर्थिक जिंदगियां देखते ही देखते चिंताजनक हालातों में बदल गईं। देश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्योगों (एम.एस.एम.ई.) में कार्यरत करोड़ों लोगों के जीवन की मुश्किलें बढ़ गर्ईं। नि:संदेह घरेलू बचत के सहारे कोविड-19 की चुनौतियों का सामना कर रहे देश के करोड़ों लोग आगामी करीब एक वर्ष तक बनी रहने वाली आॢथक मुश्किलों और महंगाई बढऩे की आशंका से भी चिंतित हैं। 

पिछले दिनों भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) द्वारा प्रकाशित उपभोक्ता विश्वास सर्वे के मुताबिक अगले एक वर्ष तक सामान्य आर्थिक स्थिति,रोजगार के परिदृश्य और परिवार की आमदनी को लेकर उपभोक्ताओं की धारणा निराशाजनक है। निश्चित रूप से आम आदमी को कोविड-19 के संकट के बीच जीवन निर्वाह में उसकी घरेलू बचतों ने बड़ा सहारा दिया है। ऐसे में जब भी दुनिया में कोई कोविड-19 के बीच भारत की स्थिति का इतिहास देखना चाहेगा, उसे एक रेखांकित किया हुआ वाक्य अवश्य दिखेगा कि वर्ष 2020 में कोविड-19 से जंग में घरेलू बचत भारत का विश्वसनीय सफल हथियार बन गई थी।(लेखक ख्यात अर्थशास्त्री  हैं।)-डा. जयंतीलाल भंडारी
 

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