Edited By ,Updated: 04 Jul, 2019 04:27 AM
निश्चित रूप से इस समय देश के करोड़ों छोटे निवेशक अपनी छोटी बचतों पर अच्छा प्रतिफल न मिलने से चिंतित हैं। ऐसे में उनकी निगाहें 5 जुलाई को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए जाने वाले नए बजट पर लगी हुई हैं। छोटे निवेशक चिंतित इसलिए हैं क्योंकि...
निश्चित रूप से इस समय देश के करोड़ों छोटे निवेशक अपनी छोटी बचतों पर अच्छा प्रतिफल न मिलने से चिंतित हैं। ऐसे में उनकी निगाहें 5 जुलाई को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए जाने वाले नए बजट पर लगी हुई हैं। छोटे निवेशक चिंतित इसलिए हैं क्योंकि हाल ही में बचत खाता जमा पर ब्याज दर को छोड़कर सरकार ने अन्य सभी छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर में 0.1 प्रतिशत की कमी कर दी है।
वहीं दूसरी ओर सोने की महंगी कीमतों पर छोटे निवेशक अपनी छोटी बचतों को सोने की खरीदी करके उसमें निवेश करने की क्षमता नहीं रखते हैं। ऐसे में अर्थविशेषज्ञों का यह कहना है कि चूंकि उद्योग-कारोबार को सस्ता कर्ज देने की जरूरत के मद्देनजर सरकार छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर नहीं बढ़ाएगी, अत: बजट में छोटे निवेशकों के लिए शेयर बाजार में निवेश संबंधी प्रोत्साहन जरूरी हैं।
शेयर बाजार की अहमियत
यकीनन जहां उद्योग व्यवसाय के लिए पूंजी जुटाने में शेयर बाजार की अहमियत है, वहीं शेयर बाजार निवेशकों को अच्छे प्रतिफल की खुशियां देने में अहम भूमिका निभाता है। दुनिया के अर्थविशेषज्ञों का कहना है कि भारत में शेयर बाजार अर्थव्यवस्था को गतिशील करने में महत्वपूर्ण बनता जा रहा है। पिछले 5 वर्षों में भारतीय शेयर बाजार तेजी से आगे बढ़ा है। भारतीय शेयर बाजार पिछले 5 सालों में दोगुने से ज्यादा आकार के हो गए हैं। हाल ही में प्रकाशित बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बी.एस.ई.) के आंकड़ों से पता चलता है कि मार्च 2019 के अंत तक देश में शेयर बाजार से जुड़े निवेशकों की संख्या 4.14 करोड़ हो गई है। पिछले एक साल के दौरान शेयर बाजार से 49 लाख नए निवेशक जुड़े। इंटरनैट की पहुंच बढऩे और सूचनाओं की उपलब्धता सुलभ होने से छोटे शहरों के लोगों को शेयर बाजार से जोडऩे में मदद मिली है।
बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के आंकड़ों से पता चलता है कि डीमैट खातों की संख्या में करीब 40 लाख की वृद्धि हुई है। यद्यपि जहां भारत के केवल 3.3 प्रतिशत लोग ही शेयर बाजार से सम्बद्ध हैं, वहीं ऑस्ट्रेलिया के 40 प्रतिशत, न्यूजीलैंड के 31 प्रतिशत, इंगलैंड के 30 प्रतिशत, जापान के 29 प्रतिशत तथा अमरीका के 26 प्रतिशत लोग शेयर बाजार से सम्बद्ध हैं। चूंकि देश का आॢथक विकास तेजी से हो रहा है, अत: शेयर बाजार में छोटे निवेशकों के कदम तेजी से बढ़ाना जरूरी हैं।
प्रोत्साहन जरूरी
ऐसे में चमकीले भारत और छोटे निवेशकों के हितों के लिए नए बजट में शेयर बाजार के लिए प्रोत्साहन जरूरी है। अपने पहले कार्यकाल में मोदी सरकार ने शेयर बाजार के निवेशकों के लिए 2 प्रमुख बदलाव किए थे। इनमें लंबी अवधि का पूंजीगत लाभ (एल.जी.सी.जी.) और उच्च लाभांश वितरण कर (डी.डी.टी.) शामिल थे। ये दोनों प्रावधान छोटे निवेशकों को अधिक लाभांवित नहीं कर पाए। इसी तरह सरकार ने कर संग्रह बढ़ाने और शेयर बाजार के रास्ते कर प्रवंचना रोकने के लिए वर्ष 2018-19 के बजट में एल.टी.सी.जी. को दोबारा शुरू करने की घोषणा की थी। इसके तहत एक साल से अधिक अवधि तक रखे गए शेयर के बाद इसे बेचने पर प्राप्त लाभ पर 10 प्रतिशत कर चुकाना पड़ता है।
सरकार ने जनवरी 2018 से पहले प्राप्त लाभ को कर मुक्त रखने की घोषणा की थी जो एक राहत भरा निर्णय था। हालांकि इंडैक्सेशन लाभ के अभाव में निवेशक छोटी अवधि के कारोबार को अधिक तवज्जो दे रहे हैं। एल.टी.सी.जी. की गणना के लिए अवधि एक साल से बढ़ाकर 3 साल किए जाने की उम्मीद नए बजट में की जा रही है ताकि निवेशक दीर्घ अवधि के लिए निवेश करने को प्रेरित हो सकें। यदि कोई कम्पनी कर चुकाने के बाद निवेशकों को लाभांश का भुगतान करती है, तो साथ ही कम्पनी को वितरित लाभांश पर भी कर देना पड़ता है। लाभांश पर दोहरे कराधान से कम्पनियों की पूंजी संरचना पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कई निवेशक इसके खिलाफ रहे हैं क्योंकि इससे उन्हें कई तरह के करों का सामना करना पड़ता है।
इक्विटी से पूंजी जुटाने पर ध्यान
इसका एक और प्रभाव यह होता है कि कम्पनियां इक्विटी से पूंजी जुटाने को तवज्जो देती हैं क्योंकि इससे उन्हें कर बचाने में मदद मिलती है। चूंकि डी.डी.टी. से छोटे शेयरधारकों की बजाय प्रवर्तकों पर अधिक असर पड़ता है इसलिए अब कम्पनियों ने लाभांश के बदले शेयर पुनर्खरीद का विकल्प चुनना शुरू कर दिया है। ज्यादातर प्रवर्तक अपने शेयर देकर शेयर पुनर्खरीद का लाभ ले रहे हैं, परन्तु आॢथक विशेषज्ञों का कहना है कि इससे छोटे शेयरधारक लाभांश से वंचित रह जाते हैं। जहां यह जरूरी है कि भारतीय शेयर बाजार में छोटे निवेशकों के लिए नए बजट में प्रोत्साहन आएं, वहीं शेयर बाजार की कम्पनियों के लिए सेबी की सतर्क निगाहें भी जरूरी हैं और सेबी द्वारा भविष्य के लिए ऐसे कदम सुनिश्चित किए जाने चाहिएं जिनसे शेयर बाजार अनुचित व्यापार-व्यवहार से बच सके।-डा. जयंतीलाल भंडारी