Edited By ,Updated: 29 Apr, 2019 05:03 AM
जहां एक तरफ भारत के समाचार टी.वी. चैनल सतही, ऊबाऊ, भड़काऊ, तथ्यहीन व सनसनीखेज समाचारों और कार्यक्रमों से देश की जनता का समय बर्बाद कर रहे हैं, उनका ध्यान असली मुद्दों से हटाकर फालतू की बहसों में उलझा रहे हैं, वहीं सूचना क्रांति का एक लाभ भी हुआ है।...
जहां एक तरफ भारत के समाचार टी.वी. चैनल सतही, ऊबाऊ, भड़काऊ, तथ्यहीन व सनसनीखेज समाचारों और कार्यक्रमों से देश की जनता का समय बर्बाद कर रहे हैं, उनका ध्यान असली मुद्दों से हटाकर फालतू की बहसों में उलझा रहे हैं, वहीं सूचना क्रांति का एक लाभ भी हुआ है। भारत और विदेश के अनेक टी.वी. चैनलों ने अनेक तथ्यात्मक और ऐतिहासिक सीरियल बनाकर दुनिया भर के दर्शकों को प्रभावित किया है। इन सीरियलों से हर पीढ़ी के दर्शक का खूब ज्ञानवद्र्धन हो रहा है, मनोरंजन तो होता ही है। यहां मैं कुछ उन सीरियलों का जिक्र करना चाहूंगा, जिन्होंने मुझ जैसे गंभीर दर्शक को भी आकर्षित किया है, वह भी तब जबकि मैं सबसे कम टी.वी. देखने वालों में हूं।
इस शृंखला में एक महत्वपूर्ण सीरियल, जिसने मेरे दिल और दिमाग पर गहरा असर डाला, वह है ‘बुद्ध’। भगवान गौतम बुद्ध की जीवनी पर आधारित इस सीरियल को हर आयु का व्यक्ति पसंद करेगा और उसे भारत की उस दिव्य शख्सियत के बारे में पता चलेगा, जिसने दुनिया के तमाम देशों में अपने संदेश को प्रसारित किया।
आज भी चीन, जापान, कोरिया, वियतनाम, इंडोनेशिया व भारत जैसे तमाम देश हैं, जहां के लोग भगवान बुद्ध में आस्था रखते हैं। इस सीरियल के अंतिम लगभग 1 दर्जन एपिसोड भगवान बुद्ध की शिक्षाओं पर आधारित हैं, जो किसी भी गंभीर दर्शक को प्रभावित किए बिना नहीं रहेंगे। बुद्ध के किरदार में जयपुर से निकले युवा कलाकार हिमांशु सोनी ने कमाल का अभिनय किया है। उन्हें देखकर ऐसा लगता है, मानो हम ईसा से 600 वर्ष पूर्व मगध साम्राज्य में पहुंच गए हैं, जहां हमें भगवान बुद्ध के साक्षात दर्शन हो रहे हैं। हिमांशु के अभिनय का ऐसा प्रभाव पड़ा कि बौद्ध धर्म को मानने वाले सभी देशों के लोग यहां तक कि बौद्ध धर्मगुरु तक हिमांशु के मुरीद हो गए और अपने-अपने देशों में बुलाकर उनका सम्मान किया।
वाइल्ड वाइल्ड कंट्री
दूसरा सीरियल जिसने मुझे बहुत ज्यादा जानकारी दी, वह है ‘वाइल्ड वाइल्ड कंट्री’ ये ओशो यानी आचार्य रजनीश के अमरीका स्थित ध्यान केन्द्र व आश्रम के अंदर हुई गतिविधियों का बड़े रोचक ढंग से दर्शन कराता है। इससे पता चलता है कि उन दिनों ओशो पूरे विश्व के मीडिया में इतना क्यों छाए रहे थे। ये सीरियल हैं तो अंग्रेजी में, पर इसके मुख्य पात्र ज्यादातर भारतीय हैं, जो विवादों में रहकर पूरी दुनिया की सुर्खियों में छाए रहे।
इसी क्रम में एक और अंग्रेजी सीरियल जिसने पूरी दुनिया के दर्शकों को बेमोल खरीद लिया, वह है ‘क्राउन’। इंगलैंड की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के राज्याभिषेक से लेकर अगले दो दशकों के बीच महारानी के जीवन पर इतनी बढिय़ा प्रस्तुति की गई है कि अगर आप एक एपिसोड देख लो, तो अगले 6-8 एपिसोड देखे बिना उठोगे नहीं, ऐसा नशा चढ़ता है। इस सीरियल में दिखाया गया है कि कैसे नौकरशाह अपने राजा या मंत्री तक को अपनी उंगलियों पर नचाते हैं। शासक को कितने दबाव झेलने पड़ते हैं, इसका बहुत बेहतरीन प्रदर्शन इस सीरियल में है। चूंकि भारत पर अंग्रेजों ने 190 साल राज किया और हमारी प्रशासनिक व कानूनी व्यवस्था इंगलैंड के संविधान से प्रभावित है। इसलिए हम भारतीयों के लिए यह सीरियल और भी रुचि का है। इसे देखकर हम समझ सकते हैं कि आज भी हमारे देश की नौकरशाही राजनेताओं को कैसे उल्लू बनाती है।
एक और सीरियल जो आम भारतीयों को पसंद आया और मुझे भी बहुत अच्छा लगा, वह है ‘झांसी की रानी’, हालांकि यह सीरियल अंतर्राष्ट्रीय स्तर का नहीं है और ऐसा लगता है कि इसे नाहक लम्बा खींचा गया है। फिर भी देशभक्ति का जज्बा पैदा करने के लिए और उस वीरांगना के जीवन को समझने के लिए यह एक अच्छा प्रयोग है। वह झांसी की रानी जिसने विपरीत परिस्थितियों में भी अंग्रेजों से लोहा लिया और हमारे इतिहास की अमर गाथा बन गई।
इसके अलावा कई अन्य सीरियल आजकल ‘नैटफ्लिक्स’ या ‘अमेजन’ चैनल पर दिखाए जा रहे हैं, जो हमारी जानकारी में तेजी से वृद्धि कर रहे हैं। जैसे भारत की पाक् विद्या पर, भारत के मंदिरों पर, हिंदू धर्म के देवी -देवताओं पर डॉ. देवदत्त पटनायक का विश्लेषण, विश्व पर्यटन के सीरियल, हमारे ग्रह पृथ्वी पर जो जीवन है, उसके विभिन्न आयामों पर व दुनिया के तमाम उन देशों के इतिहास पर जिन्हें हम बचपन में अपनी किताबों में संक्षेप में पढ़ते आए थे। जैसे- चीन का इतिहास, रोमन साम्राज्य का इतिहास व जापान का इतिहास आदि।
दुनिया की कई बड़ी शख्सियतें ऐसी हुई हैं, जिनके जीवन के विषय में हर सदी में लोगों को उत्सुकता बनी रही है। इस श्रेणी में ईसा मसीह, दलाईलामा जैसे व्यक्तित्व उल्लेखनीय हैं। इन पर भी बहुत अच्छे सीरियल अंतर्राष्ट्रीय चैनलों पर दिखाए जा रहे हैं। यहां मैं उन सीरियलों का उल्लेख नहीं कर रहा, जिनमें अपराध की जांच, खेल, सामाजिक सरोकार वाली फिल्में या कार्टून आदि शामिल हैं। ऐसे बहुत सीरियल हैं, जिनकी गुणवत्ता अति उत्तम है। हमारे देश के सीरियल निर्माताओं को उनसे सीखना चाहिए कि कैसे सार्थक सीरियल बनाकर भी लोगों का मनोरंजन किया जा सकता है। आज इस चुनाव के दौर में जब सब ओर अनिश्चितता है, सरकारी कामकाज भी कछुए की गति से चल रहा है, ऐसे में जीवन की नीरसता को दूर करने में, ये तमाम सीरियल, भादों की फुहार बनके आए हैं। मुझे लगा कि आप पाठकों से ये अनुभव साझा करूं, जिससे आप भी इसका लाभ उठा सकें।-विनीत नारायण