प्रधानमंत्री के विदेशी दौरे रोको; कुछ तो ईंधन बचेगा

Edited By Pardeep,Updated: 31 May, 2018 05:30 AM

stop the foreign tour of the prime minister some fuel will survive

देशभर में पैट्रोल-डीजल के दाम बेतहाशा बढ़ रहे हैं और इसके कारण हर स्तर पर महंगाई की आग भड़क उठी है। पैट्रोल जल्द ही 100 को पार कर लेगा, ऐसा होता दिख रहा है। वाहन चलाना अब लोगों के बूते से बाहर हो रहा है। ​​​​​​​सड़क निर्माण का कार्य केंद्रीय मंत्री...

देशभर में पैट्रोल-डीजल के दाम बेतहाशा बढ़ रहे हैं और इसके कारण हर स्तर पर महंगाई की आग भड़क उठी है। पैट्रोल जल्द ही 100 को पार कर लेगा, ऐसा होता दिख रहा है। वाहन चलाना अब लोगों के बूते से बाहर हो रहा है। 

सड़क निर्माण का कार्य केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के नेतृत्व में जोर-शोर से हो रहा है लेकिन सड़कों का करना क्या है? ऐसा सवाल भविष्य में उठ सकता है। गाडिय़ां रखना और चलाना भविष्य में सामथ्र्य के बाहर की बात होगी। अब तक वाहन खरीदने के लिए लोन देने वाली निजी फाइनांस कम्पनियां थीं। अब उसमें ‘श्रीराम फाइनांस’ नामक कम्पनी पैट्रोल-डीजल के लिए कर्ज देने की नई योजना सामने लाई है, यह सरकार की नाकामी है। 

जर्मनी में क्या हुआ: जर्मनी में सरकार द्वारा पैट्रोल की कीमतें बढ़ाते ही राजनीतिज्ञों की परवाह किए बगैर वहां की जनता गाडिय़ां लेकर रास्ते पर उतर आई और पैट्रोल की कीमतों में बढ़ौतरी के विरोध में अपने वाहन सड़क पर छोड़ कर सभी लोग चले गए। इससे पूरे जर्मनी में ‘चक्का जाम’ हो गया और सरकार को दाम कम करने ही पड़े। पैट्रोल की कीमतें बढ़ रही हैं, इस पर सफाई दी जा रही है लेकिन जब मनमोहन सिंह के दौर में ऐसी ही सफाई दी जाती थी, तब भाजपा वाले सुनने को तैयार नहीं थे। 

प्रधानमंत्री कहां हैं: पैट्रोल के दाम और अन्य वस्तुओं की महंगाई बेतहाशा बढ़ रही है, ऐसे हालात में हमारे प्रिय प्रधानमंत्री कहां हैं? मोदी रूस के दौरे पर गए तथा राष्ट्रपति पुतिन के साथ भेंट खत्म करने के बाद कहा, ‘‘पुतिन मेरे मित्र हैं।’’ यह मित्र पैट्रोल के दाम कम करने में कुछ मदद कर रहे हैं क्या? आज भी कश्मीर के सवाल पर पुतिन भारत के पक्ष में मजबूती से खड़े रहने को तैयार नहीं हैं। रमजान महीने में इस्लाम का आदर करते हुए हमने एकतरफा संघर्ष विराम घोषित किया लेकिन पाकिस्तान की सेना और आतंकवादी हमारे जवानों पर हमला कर ही रहे हैं। यह पुतिन अथवा डोनाल्ड ट्रम्प नहीं रोक सकते, फिर उस दोस्ती का क्या लाभ? भारत पर अब राष्ट्रीय कर्ज का पहाड़ चढ़ गया है। विदेशी मुद्रा विभाग में खलबली शुरू हो गई है और प्रधानमंत्री का विदेशी दौरा रुका नहीं है। जनता ‘महंगाई’ सहकर जो कर भर रही है, उससे शासकों का विदेशी दौरा चलता है, तब बुरा लगता है। 

प्रधानमंत्री के विदेशी दौरों का अब जनता द्वारा विरोध किया जाना चाहिए और इसके लिए सोशल मीडिया पर मुहिम चलाई जानी चाहिए। जब तक पैट्रोल के दाम 50 रुपए के नीचे लाते नहीं तब तक प्रधानमंत्री व मंत्रियों का विदेशी दौरा नहीं होगा। ऐसी नीति अब जनता को अख्तियार करनी चाहिए लेकिन ये सब हमारे यहां नहीं होता। मोदी नामक भांग से लोग एक तरह से बेहोश हो गए हैं तथा 100 रुपए लीटर पैट्रोल खरीदना ही कुछ लोगों को राष्ट्रभक्ति लगती है। 

कर्ज का पहाड़: 4805 करोड़ रुपए मोदी सरकार ने अपनी विज्ञापनबाजी पर खर्च किए, वह भी 4 वर्षों में। विदेशी दौरों पर 400 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं और जनता सिर्फ 84 रुपए की दर से पैट्रोल खरीद रही है। प्रधानमंत्री दुनिया घूमते हैं लेकिन विदेशी निवेश कितना आया? सब्जियों की कीमतें 200 गुना, फलों की 300 गुना और बढ़ गई हैं, यह केवल डीजल के कारण। 

‘तिजोरी खाली’ व देश कर्ज में डूबा, ऐसा शोर मचाते मोदी सत्ता में आए लेकिन 4 वर्षों में कर्ज कम होने की बजाय बढ़ा तथा रुपए का अवमूल्यन हुआ सो अलग। देश में 16 करोड़ लोग बेरोजगार हो गए हैं। नोटबंदी के बाद छोटे-बड़े दो लाख से ज्यादा कारखाने बंद हो गए। देश की राष्ट्रीय आय से कर्ज ज्यादा हो गया है, ऐसी अवस्था में हम जी रहे हैं। मोदी का समाचार चैनलों पर रोज दर्शन करें तो वे खुद के विश्व भ्रमण व सुरक्षा के लिए समय, पैसा और पैट्रोल कितना खर्च करते हैं, यह समझ में आएगा। 

अमीरों की मौज: मुरबाड़ के एक किसान ने पैट्रोल जम नहीं रहा है इसलिए ‘घोड़ा’ खरीदा। अब वह घोड़े पर सफर कर रहा है लेकिन महंगाई के कारण जो एस.टी. का टिकट भी नहीं खरीद सकते वे क्या बेचें? कौन सा वाहन खरीदें? वैश्विक अमीरों की सूची में भारत छठवें क्रमांक पर आ गया है। देश के मुट्ठी भर अमीर लोग ही अब पैट्रोल अथवा डीजल चैन से खरीद सकते हैं। डीजल की कीमतों में वृद्धि के कारण साग-सब्जी, शिक्षा सब महंगी होगी। 

अंतर्राष्ट्रीय बाजार के खनिज तेल की कीमतों के आधार पर देश में ईंधन की कीमत निर्भर करती है, ऐसा सरकार कहती रहती है लेकिन विगत 4 वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में खनिज तेल की कीमतों में गिरावट हुई, तब भी सरकार ने ईंधन के भाव कम नहीं किए। जनता की जेब में हाथ डालकर सरकार तिजौरी भरती रही क्योंकि प्रधानमंत्री का विदेशी दौरा इसी से शुरू है। प्रधानमंत्री ने मंत्रियों की लाल बत्ती छीन ली। अब खुद के विदेशी दौरे कम करके ‘ईंधन बचाएं, पैसे बचाएं’ की नीति स्वीकार करें अन्यथा लोग विदेशी दौरों का विरोध करेंगे।-संजय राऊत

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