पाकिस्तान में हिन्दू लड़कियों की दुर्दशा की रौंगटे खड़े करने वाली कहानी-पाकिस्तानी पत्रकारों की जुबानी

Edited By ,Updated: 25 Dec, 2019 03:33 AM

story telling of the plight of hindu girls in pakistan  pakistani journalists

यह लेख है पाकिस्तान में हिन्दू लड़कियों की दुर्दशा की रौंगटे खड़े कर देने वाली दर्दनाक कहानी का जिसे बयां किया है स्वयं पाकिस्तान के दो युवा पत्रकारों ने। प्रमुख अंग्रेजी दैनिक ‘डान’ के 10 नवम्बर 19 के अंक में नईम शाहौतारा और अली ओसत-अली पत्रकारों...

यह लेख है पाकिस्तान में हिन्दू लड़कियों की दुर्दशा की रौंगटे खड़े कर देने वाली दर्दनाक कहानी का जिसे बयां किया है स्वयं पाकिस्तान के दो युवा पत्रकारों ने। प्रमुख अंग्रेजी दैनिक ‘डान’ के 10 नवम्बर 19 के अंक में नईम शाहौतारा और अली ओसत-अली पत्रकारों ने मिलकर विस्तार के साथ पाकिस्तान के सिंध प्रांत में बची-खुची संख्या में रह गए हिन्दू परिवारों की उस पीड़ादायक दशा का वर्णन किया है जिसमें वे अपना जीवन बिता रहे हैं-निरंतर भय का वातावरण, बेटी का पैदा होना मां-बाप पर चिंता और उदासी का पहाड़ टूट पडऩा, जवान लड़की के अपहरण का हर वक्त डर, अपहरण के तत्पश्चात ही लड़की का इस्लाम में धर्म-परिवर्तन और फौरन मुस्लिम लड़के के साथ जबरदस्ती विवाह, पुलिस या शासन अधिकारियों से लड़की के माता-पिता, रिश्तेदारों की कूक-फरियाद बेकार, पाकिस्तानी मुखिया-चौधरी सब खामोश, लड़की की दम घुट के मर जाने की हालत लेकिन मुंह पर मजबूरी का फाहा-कुबूल है। 

ऐसा नहीं कि यह स्थिति कोई हाल ही में पैदा हुई है। यह खेल है कब से जारी-जब से पाकिस्तान बना है। ऐसा नहीं कि भारत के उन राजनीतिक दलों के नेताओं को इसका ज्ञान नहीं जिन्होंने नागरिकता कानून के विरुद्ध इन दिनों बावेला मचा रखा है और अपनी आपराधिक बेशर्म करतूतों से जनता में निराधार भ्रांतियां पैदा करके हिंसा भड़का कर पाकिस्तान में मुसीबत में फंसे बेबस हिन्दू-सिख परिवारों की जिंदगी के लिए खतरा बढ़ा रहे हैं।  नागरिकता कानून ऐसे पीड़ित हिन्दू-सिख परिवारों को भारत में शरण देने के लिए है। पत्रकारों ने लेख का आरम्भ इस वाक्य से किया है : यह वृत्तांत उस वातावरण का है जिसमें ‘जबरदस्ती विवाह’ दी जाने वाली हिन्दू लड़कियों की आवाजें गुम हैं। 

वह लिखते हैं : युवा लड़कियों की ‘जबरदस्ती शादी’ कर दिया जाना सिंध के हिन्दू समाज के लिए हमेशा ही एक बड़ा संवेदनशील विषय रहा है। जिन लोगों पर इस तरह (जबरदस्ती शादियां) करवाने का दोष लगाया जाता है वे कह देते हैं यह तो ‘जवां मोहब्बत’ का मामला है जिसे ये (हिन्दू समाज) मीडिया और एक्टिविस्ट (अर्थात सामाजिक कार्यकत्र्ता) गलत रंग में पेश कर रहे हैं लेकिन जिन लोगों को सब पता होता है कि सच्चाई क्या है वे तो कुछ बोलते ही नहीं।-कृष्ण भाटिया

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