Edited By ,Updated: 04 Nov, 2021 03:56 AM
मिजोरम में एक अजीब-सी स्थिति पैदा हो गई है जहां अब दो मुख्य सचिव हैं। जहां केंद्र ने वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारी रेणु शर्मा को राज्य की नई मुख्य सचिव के तौर पर नियुक्त किया है वहीं संयोग से राज्य सरकार ने अतिरिक्त मुख्य सचिव जे.सी. रामथंगा को इसी
मिजोरम में एक अजीब-सी स्थिति पैदा हो गई है जहां अब दो मुख्य सचिव हैं। जहां केंद्र ने वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारी रेणु शर्मा को राज्य की नई मुख्य सचिव के तौर पर नियुक्त किया है वहीं संयोग से राज्य सरकार ने अतिरिक्त मुख्य सचिव जे.सी. रामथंगा को इसी पद पर नियुक्त किया है। दोनों ही नियुक्तियां 1 नवम्बर से प्रभावी हैं। अब केंद्र दावा कर रहा है कि शर्मा की नियुक्ति को एक सक्षम अधिकारी की स्वीकृति के बाद ही क्लीयर किया गया था जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है। अब स्वाभाविक रूप से प्रश्न यह है कि कौन इस पद पर बना रहेगा-रेणु शर्मा या रामथंगा?
ऐसा कैसे होने दिया गया? और अब इसका क्या समाधान है?क्या सिविल सॢवसेज के नियमों में कुछ ऐसा है जो इसका समाधान प्रस्तुत करता हो या इस मामले का अंत अदालतों में होगा? या फिर दोनों में से एक अधिकारी अपना पद छोडऩे को तैयार हो जाएगा? इस बारे कुछ भी कहना आसान नहीं है।
फिर ‘चल पड़े’ खेमका : हरियाणा के वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारी तथा प्रसिद्ध व्हिसलब्लोअर अशोक खेमका का 29 वर्षों की सेवा में 54 बार स्थानांतरण किया गया है। चूंकि अब यह संभवत: कोई समाचार नहीं रहा, यह सिविल सर्विसेज में एक तरह का रिकार्ड है। इससे यह भी दिखता है कि वरिष्ठ बाबू जिसने अपने राजनीतिक आकाओं से कई बार झगड़ा किया है, हरियाणा के राजनीतिज्ञों का सबसे बड़ा डर बने हुए हैं।
वर्तमान में आर्काइव्ज, आर्कियोलॉजी तथा म्यूजियम्स के प्रधान सचिव के तौर पर नियुक्त 1991 बैच के आई.एस. अधिकारी को मात्र 11 महीनों बाद राज्य के विज्ञान तथा तकनीक व मछलीपालन विभागों में स्थानांतरित किया गया। स्थानांतरण के लिए कोई कारण नहीं बताया गया जो खेमका के मामले में एक बार फिर असामान्य नहीं है। मगर पर्यवेक्षकों ने बताया है कि खेमका मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर तथा गृहमंत्री अनिल विज के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के बीच फंसे हैं। ऐसा माना जाता है कि वह विज के करीबी हैं। मगर यह भी सच है कि खेमका द्वारा अजीब से प्रश्र उठाने की आदत, विशेषकर हरियाणा में अरावली पहाडिय़ों के क्षेत्र की अवैध खनन तथा निर्माण से रक्षा के मामले ने शासकों को गुस्सा दिला रखा है।
यह जानना दिलचस्प है कि इस स्थिति को तोडऩे के खेमका के प्रयास सफल नहीं हुए हैं। पहले गत महीने कार्मिक तथा प्रशिक्षण विभाग (डी.ओ.पी.टी.) ने उनकी यह कहते हुए केंद्र में प्रतिनियुक्ति की याचना को खारिज कर दिया कि ‘उनको केंद्र सरकार में काम करने का अनुभव नहीं है’। स्पष्ट है कि व्हिसलब्लोअर का केंद्र में भी स्वागत नहीं है तथा हरियाणा सरकार को ही खेमका को झेलना पड़ेगा, चाहे वह उन्हें पसंद करे या नहीं।
एयर इंडिया के हस्तांतरण की प्रक्रिया : सरकार ने केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों तथा विभागों को एयर इंडिया के साथ लम्बित अपने सभी भुगतानों को तुरन्त क्लीयर करने के निर्देश दिए हैं। स्पष्ट है कि वित्त मंत्रालय तथा नागर विमानन मंत्रालय टाटा को एक दायित्व-मुक्त एयरलाइन सौंपना चाहेंगे। स्पष्ट तौर पर विभिन्न मंत्रालय, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम तथा अन्य विभाग अन्य विभागों के पास एयर लाइन की 600 करोड़ रुपए से अधिक देनदारियां हैं जिनमें वी.वी.आई.पीज मंत्रियों तथा विदेशी हस्तियों के परिवहन की लागत शामिल नहीं है।
अब मंत्रालय के खर्च विभाग द्वारा जारी एक आदेश में खर्च निदेशक निर्मला देव ने कहा है कि चूंकि विनिवेश के बाद एयर इंडिया ने टिकटों की खरीद के लिए ऋण सुविधा देना रोक दिया है, इन्हें अवश्य नकदी में चुकता किया जाना चाहिए और इसके साथ ही यह भी निर्देश दिया गया है कि तुरन्त सभी लम्बित शुल्क क्लीयर किए जाएं। अंतत: टाटा ग्रुप द्वारा वित्तीय रूप से बोझ से दबी एयरलाइन को अपने हाथ में लेने से पहले बैलेंस शीट को साफ करने का बहुत छोटा लेकिन पहला कदम भुगतान वापस लौटाना होगा।
इसके लिए वित्त तथा नागर विमानन मंत्रालयों के बीच एक सावधानीपूर्ण तालमेल की जरूरत होगी और विनिवेश सचिव तुहिन कांत पांडे को यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है कि दिसम्बर अंत तक एयर इंडिया को सौंपने की सीमा रेखा का पालन किया जाए। इसमें न केवल ये लम्बित शुल्क बल्कि विभिन्न नियामकीय क्लीयरैंसिज भी शामिल होंगी जिनमें भारत के प्रतिस्पर्धा आयोग की भी शामिल है।-दिल्ली का बाबू दिलीप चेरियन