पाकिस्तान पर सर्जिकल एयर स्ट्राइक भारतीय सेना की असीम वीरता को देशभक्ति का ‘प्रणाम’

Edited By ,Updated: 27 Feb, 2019 04:41 AM

surgical airstrike on pak valor of patriotism to theinfinite valorofindian army

अति सर्वत्र वर्जयत्। पाकिस्तान ने अति कर दी थी। वह किसी भी चेतावनी का सिर्फ उपहास ही उड़ाना जानता है। पाकिस्तान को बदले हुए भारत और बदली हुई विश्व व्यवस्था का आकलन ही नहीं था, उसको दुनिया भर में आतंकवाद के खिलाफ बने जनमत का भी भान नहीं था, पड़ोसी...

अति सर्वत्र वर्जयत्। पाकिस्तान ने अति कर दी थी। वह किसी भी चेतावनी का सिर्फ उपहास ही उड़ाना जानता है। पाकिस्तान को बदले हुए भारत और बदली हुई विश्व व्यवस्था का आकलन ही नहीं था, उसको दुनिया भर में आतंकवाद के खिलाफ बने जनमत का भी भान नहीं था, पड़ोसी देशों की संप्रभुत्ता की भी कोई ङ्क्षचता नहीं थी। 

पाकिस्तान को सिर्फ और सिर्फ यही घमंड, खुशफहमी थी कि वह भारत, ईरान, अफगानिस्तान जैसे पड़ोसियों पर अपने आतंकवादियों से हिंसा कराएगा और उनकी अस्मिता व संप्रभुत्ता को लहूलुहान करेगा पर उसे दंड नहीं मिलेगा, बदले की कार्रवाई से उसे दो-चार नहीं होना पड़ेगा।

पुलवामा आतंकवादी कांड पर भी उसने गंभीरता नहीं दिखाई थी। भारत के जख्मों पर नमक छिड़का था और प्रमाण मांगे थे। उसने यह सोचने की भी कोशिश नहीं की थी कि पुलवामा जैसे आतंकवादी कांड पर भारत में जबरदस्त आक्रोश है, देशभक्ति का ज्वार उत्पन्न हुआ है, जिससे पाकिस्तान को भी दो-चार होना पड़ सकता है। पर पाकिस्तान ने फिर अपनी वही प्रतिक्रिया दोहराई कि भारत प्रमाण उपलब्ध कराए। प्रमाण पत्र मांगने वाली प्रतिक्रिया तो पाकिस्तान की एक ढाल है, जिसे वह अपने जन्मकाल से अपनाता रहा है। जब-जब पाकिस्तान अपने आतंकवादियों और मजहबी दहशतगर्दों से हमला करवा कर भारत की अस्मिता और संप्रभुत्ता को रौंदता है तब-तब वह उलटे भारत से प्रमाण मांगता रहा है। 

ऐसा नहीं है कि भारत प्रमाण पत्र नहीं देता रहा है, भारत बार-बार पाकिस्तान की संलिप्तता का पूरा प्रमाण देता रहा है। मुम्बई हमले में तो सीधे प्रमाण थे, दुनिया ने भी मुम्बई हमले के प्रमाण स्वीकार किए थे, पर पाकिस्तान ने मुम्बई हमले के प्रमाण मिलने के बावजूद कौन-सी कार्रवाई की थी? मुम्बई हमले के अपराधी आतंकवादी पाकिस्तान में न केवल सरेआम घूमते रहे बल्कि भारत और अमरीका-इसराईल को नेस्तनाबूद करने की धमकियां भी देते रहे हैं। 

एयर सर्जिकल स्ट्राइक स्वाभाविक थी
प्रतिक्रिया स्वरूप एयर सर्जिकल स्ट्राइक स्वाभाविक थी। किसी भी देश को अपनी सुरक्षा का अधिकार है, अपने शत्रुओं और अपराधियों पर प्रतिक्रियागत कार्रवाई का अधिकार है। संयुक्त राष्ट्र का चार्टर भी ऐसी प्रतिक्रियागत कार्रवाई का समर्थन करता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एयर सॢजकल स्ट्राइक स्वाभाविक थी, यह देशभक्ति की मांग थी, उन भारतीय जवानों के बलिदान की मांग थी जिनका जीवन पाकिस्तान पोषित आतंकवाद और आतंकवादियों ने समाप्त कर दिया था। जिन भारतीयों ने पुलवामा के बलिदानी जवानों के शवों की क्षत-विक्षत तस्वीर देखी थी, उन सभी के खून खौल गए थे और सभी की एक ही प्रतिक्रिया थी कि अब पाकिस्तान को जरूर सबक सिखाना होगा। पाकिस्तान ने अति कर दी है, भारतीय जवानों की जान और बलिदान की कीमत उससे वसूली जानी चाहिए, अन्यथा यह बलिदानी जवानों के साथ अन्याय होगा और देशभक्ति आहत होगी। जब देशभक्ति आहत होगी, जब देशभक्त आक्रोशित होंगे तब सरकार के लिए स्थितियां कितनी विकट होंगी, समझा जा सकता है। 

विश्व को शक्ति का अहसास कराया
कोई भी सत्ता देशभक्ति की आवाज को अस्वीकार नहीं कर सकती, उस पर उदासीन नहीं रह सकती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी देशभक्ति की आवाज को अस्वीकार कैसे कर सकते थे, उदासीनता कैसे बरत सकते थे। उन्होंने पाकिस्तान को सबक सिखा कर अच्छा किया है। दुनिया को भारत की शक्ति का अहसास कराया है। यह सर्जिकल एयर स्ट्राइक कोई छोटी नहीं थी, इसने पाकिस्तान की हेकड़ी तोड़ डाली है, उसकी खुशफहमी और अहंकार को जमींदोज कर दिया। भारत के मिराज विमानों ने हमला कर न केवल पाकिस्तान के आतंकवादी कैम्पों का संहार किया है बल्कि तीन सौ से अधिक आतंकवादियों और पाकिस्तान की सेना के आतंकवादी समर्थकों का संहार भी किया है। सबसे  बड़ी बात यह है कि यह सर्जिकल एयर स्ट्राइक कोई सीमा के नजदीक नहीं हुई है। 

भारत के मिराज विमानों ने पाकिस्तान की सीमा के 80 किलोमीटर अन्दर घुस कर संहार किया है। 80 किलोमीटर पाकिस्तान सीमा के अंदर मार करना कोई सामान्य या आसान बात नहीं थी, यह एक बड़ी चुनौती थी। सुखद स्थिति यह रही कि भारतीय मिराज विमानों ने पाकिस्तान में संहार कर सकुशल वापसी की है। पाकिस्तान चाहे जितना भी फुफकार ले पर उसकी शक्ति भारतीय सैनिकों से टकराने की नहीं है। इस सॢजकल एयर स्ट्राइक को ही ले लीजिए। पाकिस्तान को यह मालूम था कि भारत प्रतिक्रियागत कोई बड़ी कार्रवाई कर सकता है, कोई छोटा या कोई बड़ा हमला पाकिस्तान पर कर सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बार-बार अपने संबोधन में कह रहे थे कि पुलवामा का बदला लिया जाएगा, बदला कोई सतही या फिर प्रतीकात्मक नहीं होगा, बदला ऐसा लिया जाएगा जिसे भविष्य में भी याद कर पाकिस्तान आहत होगा।

जब नरेन्द्र मोदी बार-बार ऐसी भाषा बोल रहे थे तब पाकिस्तान को अहसास तो हो गया था। अगर पाकिस्तान की सैनिक शक्ति इतनी बड़ी होती तो वह भारत के इस सॢजकल एयर स्ट्राइक को नाकाम कर सकता था, भारतीय मिराज विमानों को वापस जाने पर मजबूर कर सकता था या उनको मार गिरा सकता था। भारतीय प्रहारक मिराज विमानों की सकुशल वापसी दर्शाती है कि पाकिस्तान के पास भारत से लडऩे की सैनिक शक्ति है ही नहीं। उसकी अर्थव्यवस्था सिर्फ जर्जर ही नहीं बल्कि दिवालिया भी हो चुकी है। युद्ध का सामना केवल मजबूत अर्थव्यवस्था ही कर सकती है। आज के समय में दुनिया का कोई भी देश पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को कंधा देने के लिए तैयार नहीं है। जब अर्थव्यवस्था ही जर्जर है तो फिर भारत के साथ पाकिस्तान युद्ध कैसे लड़ेगा? 

पहले दिखानी चाहिए थी ऐसी वीरता
अगर भारत ने इसी तरह की वीरता पहले दिखाई होती, पाकिस्तान को सबक सिखाया होता तो फिर पाकिस्तान बार-बार भारत को लहूलुहान करने की धूर्तता नहीं करता। एक ही चोट में वह सबक सीख लेता। सबसे पहले रूबिया अपहरण कांड में अवसर था, नेपाल से इंडियन एयरलाइंस के विमान अपहरण में अवसर था, कारगिल हमले में अवसर था। पर इन सभी अवसरों पर भारतीय वीरता नहीं दिखी। भारतीय शासक पाकिस्तान के सामने गिड़गिड़ाते रहे। भारतीय सैनिकों को सीमा पार कर बदला लेने से रोकते रहे, उनके हाथ बांधे गए। भारतीय सैनिक दुनिया में सर्वाधिक अनुशासनप्रिय हैं और सत्ता के निर्देशानुसार ही चलते हैं, यही कारण है कि बलिदान देने के बावजूद भारतीय सैनिकों ने अनुशासन नहीं तोड़ा, राजनीतिक सत्ता से उम्मीद करते रहे। 

पाकिस्तान को कड़ा दंड मिल गया। उसको अब फिर खड़ा होने का अवसर नहीं मिलना चाहिए। जब-जब पाकिस्तान ऐसी हरकतें करेगा तब-तब उस पर ऐसी ही प्रहारक कार्रवाई होनी चाहिए। भारतीय सैनिकों को अपनी वीरता दिखाने और अपने बलिदान की कीमत वसूलने के लिए छोड़ दिया जाना चाहिए। इसलिए कि पाकिस्तान शांति नहीं चाहता, वह केवल युद्ध और इस तरह की सर्जिकल एयर स्ट्राइक से ही ठीक हो सकता है। आतंकवादी संगठन पाकिस्तान के लिए भी भस्मासुर हैं, आज नहीं तो कल अफगानिस्तान और ईरान जैसे मुस्लिम पड़ोसी देश भी भारतीय सॢजकल एयर स्ट्राइक जैसी कार्रवाई कर सकते हैं क्योंकि पाकिस्तान की आतंकवादी नीति से अफगानिस्तान और ईरान भी पीड़ित हैं, लहूलुहान हैं। भारतीय सेना की इस असीम वीरता को देशभक्ति का प्रणाम।-विष्णु गुप्त

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