अतीत के अनुभवों से ‘सबक’ ले वर्तमान पंजाब सरकार

Edited By ,Updated: 20 Dec, 2019 01:37 AM

take punjab lessons from past experiences

पंजाब की आर्थिक व राजनीतिक स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। इससे भी ज्यादा ङ्क्षचता की बात है कि राज्य के मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्रियों व नौकरशाहों के पास इस मामले पर सोचने का समय तक नहीं है। जब भी बिगड़ चुकी आर्थिक स्थिति का जिक्र किया जाता...

पंजाब की आर्थिक व राजनीतिक स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। इससे भी ज्यादा ङ्क्षचता की बात है कि राज्य के मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्रियों व नौकरशाहों के पास इस मामले पर सोचने का समय तक नहीं है। जब भी बिगड़ चुकी आर्थिक स्थिति का जिक्र किया जाता है, तब तोड़-मरोड़ कर सब कुछ बिजली, पानी, बस किराए आदि के मू्ल्यों मेंं बढ़ौतरी कर लोगों के सिर पर और अधिक बोझ डाल दिया जाता है, या फिर सरकारी सम्पत्ति बेचकर राजस्व को भरने का धंधा शुरू कर दिया जाता है। अब पंजाब कैबिनेट की ओर से पंचायतों की शामलाट भूमि को खरीद कर उद्योगपतियों को सौंपने का निर्णय ले लिया गया है ताकि पहले ही आर्थिक स्रोतों की मार झेल रही पंचायतें पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो जाएं। गरीब भूमिहीन मजदूर तथा किसान पंचायती जमीनों को ठेके पर लेकर दो वक्त की रोटी चला रहे हैं। 

गांवों की पंचायतें बेघर लोगों को इन जमीनों में से घरों के लिए प्लाट देकर उनके सिर को ढकने की कोशिश कर सकती हैं। अब मुख्यमंत्री की कृपा से ये सब कुछ भी समाप्त हो जाएगा। भू-माफिया, जो पहले ही लोगों की जमीनों पर नाजायज कब्जे कर रहा है, का कारोबार गांवों की शामलाट भूमि तक पहुंच जाएगा। लोगों के साथ इससे बड़ा धोखा और पंजाब सरकार कर भी क्या सकती है। 

रोजगार मांगने वालों पर चलती हैं लाठियां
पंजाब विधानसभा के चुनावों में कांग्रेस पार्टी की ओर से अपने चुनावी घोषणा पत्र में रोजगार देने के वायदे को बेरोजगार लड़के-लड़कियों के सिरों पर पुलिस की लाठियां मार पूरा किया जा रहा है जो सरकार से सिर्फ नौकरियों की मांग को लेकर सड़कों पर उतर रहे हैं। इस घिनौने कृत्य में पूरी पारदर्शिता तथा समानता का नियम लागू करते हुए पुरुष और महिलाओं में कोई फर्क नहीं किया जाता। 

भूमिहीन मजदूरों तथा दलितों के लिए न तो रहने योग्य घर हैं, न ही करने के लिए काम। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की सरकार ने पब्लिक आबंटन प्रणाली अधीन खुली सस्ती कीमतों की दुकानों पर ताला मार दिया है। पीने वाले पानी की कमी अब प्रांत के कोने-कोने में  नजर आ रही है। पानी की कमी तथा सभी ओर फैले प्रदूषण के लिए सरकारों की अनदेखी, पूंजीपतियों के मुनाफे की बढ़ती हवस पूरी करने के लिए मिलों के तेजाबी पानी को नहरों तथा दरियाओं में डालने का कुकर्म निरंतर जारी रखने के लिए सरकार जिम्मेदार है। राज्य के अंदर पानी की बढ़ रही बर्बादी भी इस त्रासदी को बढ़ावा दे रही है। किसानों के ऋणों की माफी का वायदा करके सरकार ने इस दिशा में कुछ भी नहीं किया, उलटा कर्ज माफी की आस के साथ गरीब किसान बैंकों तथा साहूकारों के कर्ज को वापस न करने से ज्यादा मुश्किल में पड़ गए हैं तथा पुलिस उत्पीडऩ का शिकार बन रहे हैं। 

नशा छुड़ाने हेतु युद्धस्तर पर नीति बनाए सरकार
नशों का मुद्दा कोई एकाध कार्रवाई करने या नशे के शिकार युवकों को जेलों में भरने के साथ हल होने वाला नहीं है। वर्षों से इस रोग का शिकार हुए समाज को नशों से छुटकारा दिलाने के लिए बहुपक्षीय कदम उठाने और युद्धस्तर पर नीति बनाने की जरूरत है परंतु सरकारेंं सिर्फ अपना कार्यकाल पूरा करने के लिए अधूरे मन से एकाध कदम उठाती हैं तथा दीर्घकालीन नतीजों के बारे सोचने की जगह लोक-लुभावन झूठे प्रचारों द्वारा वाहवाही लूटने के यत्नों पर ज्यादा जोर दिया जाता है। 

पूर्व की तरह जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रही वर्तमान सरकार 
पिछली सरकार की तरह मौजूदा कांग्रेस सरकार ने भी लोगों को मुफ्त उच्च शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने की अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है। सब कुछ निजी हाथों में दिया जा रहा है जो लोगों को लूट कर मालामाल हो रहे हैं। बुजुर्ग गरीब मजदूर व किसान सामाजिक सुरक्षा की अनदेखी के कारण जिस तरह अपना बुढ़ापा काट रहे हैं, वह किसी नरक से कम नहीं है। वित्तीय साधनों व योजनाबंदी की कमी के कारण पंजाब के गांवों, कस्बों और शहरों में फैली गंदगी वातावरण और पानी के प्रदूषण के कारण आम लोगों के जीवन को भी विभिन्न रोगों से घेरती है। 

आर्थिक मंदी के दौर से घिरता पंजाब जहां अपने कर्मियों को वेतन तथा पैंशनें देने में असमर्थता जता रहा है वहीं पंजाब के मौजूदा और पूर्व विधायकों के वेतनों, पैंशनों  तथा अन्य सुविधाओं में निरंतर वृद्धि हो रही है। जब कोई व्यक्ति पंजाब के पूर्व व मौजूदा मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्रियों व विधायकों को दी जाने वाली मासिक राशि (वेतन, पैंशन, सुरक्षा, ट्रांसपोर्ट व अन्य सविधाएं) को गिनता है तो गुस्से व मायूसी के साथ उसका सब्र का बांध टूटता है परंतु सरकारी धन के साथ मौज-मस्ती कर रहे लोगों द्वारा चुने गए वर्तमान व पूर्व प्रतिनिधियों को जरा-सी भी शर्म महसूस नहीं होती। धोखेबाज राजनेता जनता के दुख-दर्दों को कहां समझ पाते हैं जिनका उद्देश्य मलक भागो की तरह जनता की खून-पसीने की कमाई को लूटने के सिवाय और कुछ नहीं है। 

अकाली-भाजपा गठजोड़ की सरकार से छुटकारा पाने के लिए लोगों ने विधानसभा चुनावों में उसको हराकर कांग्रेस पार्टी को सत्ता सौंपी थी ताकि उनके दुख-दर्द में कुछ कमी आए और वे सुख की सांस ले सकें परंतु हुआ इसके उलट। अब इससे आगे का रास्ता लोगों ने खुद तय करना है।-मंगत राम पासला

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