ब्रिटिश संसद पर आतंकी हमला: क्या हमारे नेता इससे कोई सबक सीखेंगे?

Edited By ,Updated: 24 Mar, 2017 11:25 PM

terror attack on the british parliament will our leader learn a lesson from this

बुधवार 22 मार्च को ब्रिटिश संसद पर आतंकी हमले के बाद इस देश के सभी राजनीतिक....

बुधवार 22 मार्च को ब्रिटिश संसद पर आतंकी हमले के बाद इस देश के सभी राजनीतिक दलों, विभिन्न वर्गों के प्रतिष्ठित व्यक्तियों और सारे राष्ट्र ने जिस एकता और संगठन का प्रमाण दिया है और एक स्वर होकर जोरदार ढंग से आतंकवाद का डट कर मुकाबला करने के जिस दृढ़ निश्चय का प्रदर्शन किया है वह जहां अत्यंत प्रेरणादायक है वहीं यह शिक्षा भी देता है कि राष्ट्र पर जब कोई संकट हो तो सभी देशवासियों को हर प्रकार के मतभेद भुला कर संगठित रूप से एक जबरदस्त चट्टान बन कर खड़े हो जाना चाहिए। 

राष्ट्र संकट की इस विकट घड़ी में ब्रिटिश जनता और इसके प्रतिनिधियों के अभूतपूर्व संगठन से विदेशों में बैठे हम प्रवासी भारतीयों के दिलों में एक प्रश्न उठता है: क्या हमारे नेता भी इससे कुछ सीखेंगे? हाल ही में भारत को जिन कुछ संकटमयी घडिय़ों से गुजरना पड़ा है उनमें हमारे नेताओं के एक विशेष वर्ग की भूमिका बड़ी निराशाजनक रही है। उस समय वे जिस प्रकार की भाषा बोल रहे थे उसे सुन कर तो आश्चर्य होता था कि इन नेताओं को अपने देश का हित प्रिय है या किसी शत्रु देश का? पठानकोट, ऊधमपुर तथा जम्मू-कश्मीर के अन्य भागों में पाकिस्तान प्रायोजित विध्वंसक कार्रवाइयों के बाद आतंकी अड्डों को तबाह करने के लिए भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सीमा के अंदर घुस कर जब सर्जिकल स्ट्राइक किया, उससे उत्पन्न स्थिति पर इन भारतीय नेताओं ने जो देश-विरोधी निंदनीय अभिनय किया मेरा अभिप्राय उससे है।

इस बात को मानने ही से इंकार कर दिया गया कि सीमा पार से कोई आतंकी घुसपैठ और विध्वंसक कार्रवाई हुई है। हमारी वीरसेना ने शत्रु की सीमा के अंदर चल रहे आतंकी अड्डों को तबाह करने का जो शौर्यपूर्ण कार्य किया है इस पर भी संदेह प्रकट किया गया और इसका सबूत मांगा गया। 

इसके विपरीत ब्रिटिश संसद पर आतंकी हमले की सबसे पहले जिस नेता ने भरपूर निंदा की और इस संकट में राष्ट्र के साथ डट कर खड़ा होने का आश्वासन दिलाया वह थी स्कॉटलैंड की प्रधानमंत्री निकला स्टर्जन जो अपने देश को यूनाइटेड किंगडम से अलग करना चाहती हैं और आजादी के लिए रैफरैंडम की मांग कर रही हैं लेकिन संकट की इस घड़ी में उन्होंने अपना हित भूल कर राष्ट्र हित सर्वोपरि रखा। हमारे महान देशभक्त नेताओं जैसा कोई यहां होता तो शायद यह स्वीकार ही न करता कि खालिद मसूद नामक किसी मुसलमान ने संसद पर हमला भी किया है। 

इस समय ब्रिटेन के हर हिस्से से जो आवाज सुनने को मिल रही है, वह है हम डरने वाले नहीं, हम बंटने वाले नहीं। हमले के घटनाक्रम का पूर्ण वृत्तांत सरकार ने अभी जारी भी नहीं किया था कि संसद भवन के जिस स्थान पर आतंकी ने पुलिस कांस्टेबल कीथ पामर की हत्या की और अपनी कार तले 4 अन्य व्यक्तियों को कुचल दिया वहां शोक-संतप्त लोग पुष्पमालाओं द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहते थे लेकिन पुलिस उन्हें आगे बढऩे से रोक रही थी। 

वह एक बड़ा ही भावुक और मार्मिक दृश्य था। घटनास्थल के  इर्द-गिर्द किसी को जहां भी कोई स्थान मिला वहां रात भर मोमबत्तियां जलाई गईं। अगले दिन संसद से केवल आधा ही मील दूर ट्राफलगर स्क्वायर में हजारों की संख्या में लोग एकत्रित हुए जहां लंदन के मेयर सादिक खान ने यह घोषणा की कि  हम आज यहां यह स्पष्ट संदेश देने के लिए इकट्ठे हुए हैं कि लंदन कभी भी आतंकवाद के आगे झुकेगा नहीं। जोरदार नारों के साथ भारीजनसमूह ने आतंकवाद के खिलाफ लडऩे का संकल्प लिया। 

पैरिस, ब्रसल्स इत्यादि स्थानों पर हाल ही में हुए आतंकी हमलों के बाद यह शंका बनी हुई थी कि लंदन को भी शीघ्र ही आतंकवादी अपना निशाना बनाएंगे। पुलिस ने जिस फुर्ती और दृढ़ता के साथ स्थिति को संभाला वह प्रशंसनीय है। इस देश के सुरक्षा दल वैसे भी इस बात के लिए मशहूर हैं कि  वे किसी छोटी से छोटी घटना की गंभीरता से कोताही नहीं करते। लेकिन संसद पर हुए इस हमले के बाद आलोचना हो रही है कि  जिस आतंकी ने पुलिस कांस्टेबल की हत्या की है उसका अतीत अपराधी होने और खुफिया एजैंसियों की उस पर नजर होने के बावजूद वह यह हमला करने में सफल कैसे हो गया?
भारत पर भी आतंकी बादल मंडरा रहे हैं। 

मध्य प्रदेश और लखनऊ से हाल ही में पकड़े गए आतंकी गिरोह इस संकट का प्रमाण हैं। देश के सुरक्षा दलों में जहां अधिक सतर्कता की आवश्यकता है वहां राष्ट्र का मनोबल बढ़ाना उससे भी ज्यादा आवश्यक है। इसकी सब से ज्यादा जिम्मेदारी हमारे नेताओं पर है। विदेशों में इस समय भारत का जितना सम्मान है उतना पहले कभी नहीं देखा गया। लेकिन जब कभी हमारे कुछ  नेता बेकार की ऊट-पटांग बातें करने लगते हैं तो विदेशों में बैठे भारतीय उपहास का पात्र बन जाते हैं। ब्रिटेन पर इस से पहले भी कई आतंकी संकट आए हैं लेकिन उन सब का मुकाबला यहां की जनता और सभी दलों के नेताओं ने मिलकर किया है। कितना महान बनेगा भारत जब हम भी उसी एकता और संगठन का प्रमाण देंगे जो ब्रिटेन में इस वक्त देखने को मिल रहा है।
 

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