जानवरों से प्यार करने वाले अक्सर उनसे ‘बुरा व्यवहार’ करते

Edited By ,Updated: 29 Sep, 2020 03:22 AM

the animals who love animals often behave  ill  them

मैं कई सालों से मेरिट क्लिफ्टन को जानती हूं। वह, उनकी पत्नी बेथ और बेटा वुल्फ पूरी तरह से जानवरों के लिए समर्पित हैं और एनिमल्स 24&7 नामक एक ई-पत्रिका निकालते हैं, जिसे आप सभी को पढऩा चाहिए। उनके बोर्ड के सदस्यों में से एक विक्की

मैं कई सालों से मेरिट क्लिफ्टन को जानती हूं। वह, उनकी पत्नी बेथ और बेटा वुल्फ पूरी तरह से जानवरों के लिए समर्पित हैं और एनिमल्स 24&7 नामक एक ई-पत्रिका निकालते हैं, जिसे आप सभी को पढऩा चाहिए। उनके बोर्ड के सदस्यों में से एक विक्की क्रोसेट्टी, जिनकी हाल ही में मृत्यु हो गई, होर्डिंग की घटना में राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त विशेषज्ञ थीं।

उन्होंने इससे निपटने के तरीके के बारे में एक लेख लिखा है और मैं उनके अनुभव से खुलकर उद्धरण दूंगी, क्योंकि हमें नियमित रूप से इससे निपटना होता है और प्रत्येक मामला मेरा दिल तोड़ देता है। जो लोग जानवरों से प्यार करने का दावा करते हैं वे अक्सर उनके साथ बहुत बुरा व्यवहार करते हैं। न केवल वे लोगों को, जो केवल एक पालतू जानवर रखते हैं और उसे पूरा दिन गेट के अंदर बंद  रखते हैं, बल्कि वे लोग भी जो सड़क से जानवरों को ‘बचाते हैं’ और उन्हें अपने ‘आश्रय’ या घरों में वापस बंद कर देते हैं। 

मुझे इस तरह के लोगों के पड़ोसियों से तंग करने वाले संदेश मिलने शुरू हो जाते हैं जो गंदगी और शोर की शिकायत करते हैं। जब मैं एक जांच दल भेजती हूं, तो हम दर्जनों जानवरों को एक छोटी सी गंदी जगह में भीड़-भाड़ में देखते हैं, सभी बंधे हुए, कुछ पिंजरों में, कई मृत और अन्य मृत्यु के करीब होते हैं। यह ‘अच्छे इरादों के खराब हो जाने का एक आम उदाहरण है’ और यह ‘जुनूनी-बाध्यकारी’ व्यवहार को दर्शाता है। यह न केवल किसी एक आश्रय का बल्कि पूरे तथाकथित ‘आश्रयों’ का सच है। जब मैं किसी एक आश्रय को देखती हूं जिसे मैंने बनाया या जिसमें योगदान दिया था, जिनके देखभालकत्र्ताआें पर मैंने विश्वास किया, जब मैंने आखिरकार वहां का निरीक्षण किया तो पूरी तरह से अलग तस्वीर देख कर मेरा दिल टूट जाता है। 

यह सैंकड़ों बीमार, रोगग्रस्त और घायल कुत्तों के लिए एक भीड़भाड़ वाला केंद्र बन कर रह जाता है। न दवा, न स्टाफ, न सफाई और शायद बहुत कम खाना। पिछले दस वर्षों में मैंने कम से कम 5 ऐसे आश्रय पाए हैं, जिनमें से आखिरी गाजियाबाद में दो बहनों द्वारा संचालित एक नरक था। मैं गौशालाआें में शामिल नहीं हूं, जो कमोबेश सभी भयानक हैं- सैंकड़ों बीमार और मरने वाली गायों को सिर्फ धार्मिक कारणों से रखा गया है और उनकी देखभाल तथा भोजन के बिना मौत हो जाती है।

पिछले साल दो बहनों को आधी रात में उनके फ्लैट से निकाला गया था। फ्लैट कूड़े, पुराने अखबारों, सिगरेट के टुकड़ों, सैनेटरी नैपकिन से भरा हुआ था और बिल्लियां मरने के कगार पर थीं। बदबू असहनीय थी। मैंने वकीलों को संगठित करके उनकी मदद की लेकिन उन्होंने उन्हें पागल कर दिया। यह स्पष्ट था कि उन दोनों को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता थी। अब मेरे पास नवी मुंबई में एक ऐसी स्थिति है, जहां एक बूढ़ी औरत एक ‘आश्रय’ चलाती है, जिसमें भारी मृत्यु दर है क्योंकि यह सचमुच एक नरक है। उसे बेहतर करने का कोई भी प्रयास आत्महत्या करने की धमकी देने, कलाई काटने, फेसबुक पर भीख मांगने और बेहतर करने का वादा करने में परिणत होता है। लेकिन उसने सैंकड़ों जानवरों को मार डाला है। नैट पर प्रत्येक ड्रामा उनके लिए अधिक पैसे और सार्वजनिक प्रशंसा लाता है। यहां मैं बुरी हूं। 

पिछले महीने मुझे किसी महिला द्वारा एक मेल भेजा गया था जिसका कोलकाता के पास एक घर है। उसने लिखा कि वह एक जानवर बचाने वाली है और उसके पास पैसों की कमी हो गई है। मैं तुरंत उसे फोन करती हूं। उसके पास गली से ली गई 60 बिल्लियां और 50 कुत्ते थे -एक घर में। किसी की नसबंदी नहीं की गई थी और उनमें से ज्यादातर गर्भवती थीं। मैंने पीपल फार एनिमल कोलकाता को तुरंत जानवरों की नसबंदी करने के लिए कहा और कोलकाता के एक बहुत ही दयालु व्यक्ति ने आप्रेशन के लिए पैसे की पेशकश की। एक महीने बाद जब मैंने फोन किया, तो मुझे पता चला कि अधिकांश बिल्लियां एक फेलाइन वायरस से मर गई थीं, क्योंकि वह महिला टीके पर पैसा खर्च नहीं करती थी। शेष को टीकाकरण करवाने की बात कहने पर वह गाली-गलौच करने लगी। इसमें कोई शक नहीं है कि वह एक आम होर्डर है। जानबूझकर की गई क्रूरता के लिए व्यक्ति या अपराधी को गिरफ्तार करवाएं, जानवरों को ले जाएं, उनका इलाज करवाएं और यदि संभव हो तो उनके लिए दूसरा घर ढूंढें। 

सभी को पता होना चाहिए कि एक अच्छा आश्रय क्या होता है : यह एक सुरक्षित आश्रय है जहां जानवरों के साथ दयालुतापूर्वक व्यवहार किया जाता है। ‘‘पशु आश्रय में भूखे नहीं रहते, झगड़े में एक-दूसरे को नहीं मारते, गंदगी में नहीं जीते, अनुपचारित बीमारी और चोट से पीड़ित नहीं होते और वे प्रजनन नहीं करते।’’ चाहे आश्रय बड़ा हो या छोटा, चाहे वह कहीं भी हो, चाहे किसी संगठन या एक व्यक्ति द्वारा चलाया जाता हो, चाहे वह संस्थागत भूमि पर हो या किसी व्यक्ति के घर में, इसके लिए नियम मौजूद हैं।-मेनका गांधी

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