देश में गरीब और मध्यम वर्ग के लिए तरस बहुत कम है

Edited By ,Updated: 04 Apr, 2021 03:24 AM

the craving for the poor and middle class in the country is very less

आज से 2 दिन बाद असम, केरल, तमिलनाडु तथा केन्द्र शासित प्रदेश पुड्डुचेरी में चुनाव पूर्ण हो जाएंगे। पश्चिम बंगाल में 5 चरण शेष हैं तथा असम और भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। इसके अलावा अन्य 3 स्थानों पर वह अपनी जीत के लिए

आज से 2 दिन बाद असम, केरल, तमिलनाडु तथा केन्द्र शासित प्रदेश पुड्डुचेरी में चुनाव पूर्ण हो जाएंगे। पश्चिम बंगाल में 5 चरण शेष हैं तथा असम और भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। इसके अलावा अन्य 3 स्थानों पर वह अपनी जीत के लिए बेकरार है। कांग्रेस की भी असम और केरल में समान रूप से प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। यहां पर सत्ता फिर से हासिल करने के लिए कांग्रेस लड़ रही है। तमिलनाडु में कांग्रेस द्रमुक को सत्ता हासिल करवाने में मदद कर रही है। 

किसी भी चुनाव के परिणाम के बारे में कुछ भी निश्चित नहीं है। ऐसा तब है जब कांग्रेस तथा भाजपा को छोड़ माकपा केरल में, तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में तथा पुड्डुचेरी में ए.आई.एन.आर.सी. प्रमुख पार्टियां हैं। इन स्थानों में से प्रत्येक में एक लोकप्रिय हालांकि विवादास्पद व्यक्ति है जो अपनी पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं। केरल में पिनाराई विजयन, ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में, एन. रंगासामी पुड्डुचेरी में हैं।

द्रमुक, टी.एम.सी. को मिलेगी जीत 
चुनाव पूर्व सर्वेक्षण केवल चुनाव की दिशा का संकेत दे सकते हैं, परिणाम का नहीं। विभिन्न सर्वेक्षणों के आधार पर मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि तमिलनाडु में द्रमुक गठबंधन की जीत होगी तथा पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस विजयी होगी। असम और केरल में प्रतिद्वंद्वी गठबंधन कम या ज्यादा समान रूप से मेल खाते हैं और चुनाव आश्चर्यजनक नतीजे दिखा सकते हैं। वहीं पुड्डुचेरी एक भ्रामक तस्वीर का खुलासा करती है।

कांग्रेस राज्य के अधिकारों, धर्मनिरपेक्षता, बहुलवाद और आम आर्थिक संकट के मुद्दों को लेकर चुनाव लड़ रही है। उधर भाजपा के पास राज्य विशिष्ट एजैंडा है। जहां एक ओर पश्चिम बंगाल में इसके पास नागरिकता संशोधन विधेयक (सी.ए.ए.) है, वहीं दूसरी तरफ असम में इसी मुद्दे को लेकर वह चुप्पी साधे हुए है। केरल, तमिलनाडु और पुड्डुचेरी में साम्प्रदायिक एजैंडा है। व्यापक गठजोड़ करके कांग्रेस ने भाजपा के ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ के एजैंडे को विफल कर दिया है। आक्रामक रूप से अपने एजैंडे को आगे बढ़ाते हुए भाजपा ने एक बड़ा जुआ खेला है। 

चुनाव परिणाम से परे
जबकि 4 राज्यों के चुनावों के परिणाम तत्काल रुचि के हैं मगर बड़ा सवाल यह है कि केंद्र में भाजपा की सरकार के बाकी बचे हुए 3 वर्षों में देश कैसे संचालित होगा? मोदी सरकार के शासन के मूल सिद्धांत काफी स्पष्ट हैं। सबसे पहले प्रधानमंत्री मोदी किसी भी असंतोष की आलोचना नहीं करेंगे। मतभेद रखने वाले विपक्षी नेताओं और विपक्षी पार्टियों को सजा दी जाएगी।

कांग्रेस के अलावा जो भाजपा के प्रमुख लक्ष्य पर हैं अन्यों को जांच एजैंसियों द्वारा लक्षित किया जाएगा। वे पार्टियां हैं नैकां और पी.डी.पी. जम्मू-कश्मीर में, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, महाराष्ट्र में राकांपा, केरल में माकपा, तमिलनाडु में द्रमुक, ओडिशा में बीजद, आंध्रप्रदेश में वाई.एस.आर. कांग्रेस पार्टी तथा तेलंगाना में तेलंगाना राज्य समिति है। इससे पहले कभी किसी राजनीतिक दल के आधिपत्य को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की सत्ता का इतना घोर दुरुपयोग नहीं किया गया। 

दूसरा यह कि लोकसभा में बड़ा बहुमत और राज्यसभा में एक साधारण बहुमत के साथ अपनी क्षमताओं का इस्तेमाल अन्यायपूर्ण होने के अलावा प्रकट रूप से असंवैधानिक कानूनों को पारित करने के लिए किया जाएगा। जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशोंमें बांटने तथा दिल्ली सरकार को महिमा मंडित करने के लिए बनाए गए कानून सबसे ताजा उदाहरण हैं। इससे पहले के उदाहरण नागरिकता संशोधन अधिनियम और 3 कृषि कानून थे।  भाजपा  से और भी ज्यादा की उम्मीद की जा सकती है। तीसरी बात यह है कि प्रशासन में सुधार लाने के लिए नए विचारों, नई पहलों और नए प्रयोगों की कोई जगह नहीं होगी। केवल एक विचार के लिए स्थान है वह है ‘मोदी विचार’। 

एक गड़बड़ वाला उदाहरण है जो कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम से बना है। स्वास्थ्य और फ्रंटलाइन श्रमिकों को प्राथमिकता देने का पहला कदम सही था लेकिन बाद के सभी कदम बिल्कुल गलत थे। विशेष रूप से चौंका देने वाले चरण, ऐप, पूर्व पंजीकरण तथा नौकरशाह परीक्षण जैसे बाद के उठाए गए कदम सब गलत थे। तिथि की एक साधारण घोषणा (जब ओरल पोलिय ड्राप्स दिए जाएंगे) ने हजारों की तादाद में माताओं को उनके बच्चों के साथ हर प्रकार के अस्पतालों तथा स्वास्थ्य केंद्रों में भेज दिया।

टीकाकरण कार्यक्रम के नौकरशाही नतीजों में बेहिसाब देरी से जुलाई 2021 की समाप्ति तक 400 मिलियन खुराकें प्रभावित होंगी। इस दौरान हजारों की तादाद में संक्रमित होंगे और प्रत्येक दिन सैंकड़ों लोगों की मृत्यु हो जाएगी। मोदी विचार का अनुसरण करने वाले नियम सरकार के प्रत्येक कार्यक्रम  जैसे पी.एम. आवास योजना से फसल बीमा तक को प्रभावित करेंगे। दोनों कार्यक्रम बड़े पैमाने पर असफल रहे हैं। 

गरीबी में और अधिक लोग 
चौथी बात यह है कि आर्थिक सुधारों को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई नीतियां कार्पोरेट हितों द्वारा निर्धारित की जाएंगी। इसलिए सरकार ने एक आपूर्ति पक्ष संचालित रणनीति का पालन किया है। इसने राजकोषीय उत्तेजना, रिकवरी में देरी, लाखों लोगों का बेरोजगार हो जाना, कुछ नई नौकरियां पैदा होना, आबादी के हर वर्ग की कमाई कम होना और अधिक लोगों को गरीबी और कर्ज में धकेल दिया है।

गरीब और मध्यम वर्ग के लिए तरस बहुत कम है। पैट्रोल, डीजल, खाना पकाने की गैस में बढ़ौतरी, छोटी बचत पर ब्याज दरों में सबसे ज्यादा गिरावट और मुद्रास्फीति 6 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है और इसके और बढऩे की उम्मीद है। यह एक मिलियन डालर का सवाल है कि क्या चुनाव के परिणाम मोदी विचार के इन बुनियादी सिद्धांतों को मजबूत करेंगे? या फिर सरकार तथा सत्ताधारी पार्टी को हिला कर रख देंगे।-पी. चिदम्बरम

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