Edited By ,Updated: 27 Feb, 2017 11:54 PM
कई माह की पारिवारिक कलह के बाद बेशक अखिलेश विजयी होकर उभरे...
कई माह की पारिवारिक कलह के बाद बेशक अखिलेश विजयी होकर उभरे हैं तो भी राजनीतिक जीवन का असली महाभारत यानी विधानसभा चुनाव अभी उनकी बाट जोह रहा है। फिर भी 43 वर्षीय मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चेहरे से किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं झलकती। कन्नौज से सांसद उनकी पत्नी डिम्पल यादव उनके लिए एक सतत् प्रेरणास्रोत बनी हुई हैं। एक ऑनलाइन साक्षात्कार में यू.पी. के इस ‘दम्पति नं. 1’ ने बताया कि जब पारिवारिक कलह शुरू हुई तो प्रारंभ में उनके लिए समय काफी कठिन था और धीरे-धीरे गर्द बैठनी शुरू हो गई और अब चुनाव हो रहे हैं तथा हमें इनके बहुत अच्छे परिणामों की उम्मीद है।
जब अखिलेश से पूछा गया कि क्या इस कठिन समय में उन्हें अपनी पत्नी से समर्थन हासिल हुआ तो उन्होंने बहुत ही गरिमापूर्ण उत्तर दिया कि संकट के समय केवल पत्नी ही पति के साथ खड़ी होती है। हर किसी के जीवन में ऐसे पल आते हैं जब कठोर फैसले लेने पड़ते हैं। मेरे सामने सचमुच ही ऐसी स्थिति पैदा हो गई थी कि कोई रास्ता दिखाई नहीं देता था। फिर भी अब मुझे लगता है कि चुनाव में जनता और पार्टी कार्यकत्र्ता मेरे साथ खड़े होंगे।
डिम्पल यादव ने बताया कि टैक्नोलॉजी हमारे जीवन में इस कदर घर कर चुकी है कि मीडिया की रिपोर्टों से अपने बच्चों को अछूते रखना कठिन हो गया था लेकिन आज के बच्चे परिस्थितियों को भली-भांति समझते हैं। हमारे बच्चे अपने दादा को भी प्यार करते हैं और पिता को भी। मुझे नहीं लगता कि समाचार देख कर उन पर कोई दुष्प्रभाव पड़ा हो। डिम्पल पहली बार इतने व्यापक स्तर पर चुनाव अभियान चला रही हैं। जब उनसे पूछा गया कि वह यह सोच कर ऐसा कर रही हैं कि अखिलेश अकेले न पड़ जाएं तो उन्होंने कहा कि अखिलेश को हर ओर से समर्थन मिल रहा है लेकिन यू.पी. बहुत बड़ा राज्य है और हमारे सामने समय भी बहुत कम है इसलिए पार्टी के निर्देशानुसार मैं महिला उम्मीदवारों के पक्ष में अभियान चला रही हूं और लोगों की प्रतिक्रिया से बेहद प्रसन्न हूं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में यह आरोप लगाया था कि अखिलेश ने एक ऐसी पार्टी के साथ गठबंधन बना लिया है जिसने 1984 में उनके पिता मुलायम सिंह की हत्या करवाने की कोशिश की थी। इस बारे में पूछे जाने पर अखिलेश ने कहा कि वह नहीं जानते कि प्रधानमंत्री ने 1984 का उल्लेख क्यों किया है। यदि वह कांग्रेस के साथ हमारे गठबंधन को तुड़वाने के लिए मुझे भड़काना चाहते हैं तो उन्हें पहले फिरोजाबाद चुनाव के बारे में बात करनी चाहिए थी जहां कांग्रेस ने डिम्पल को हराया था। राजनीति में सब कुछ चलता है और उस समय कांग्रेस हमारी प्रतिद्वंद्वी थी।
जब अखिलेश से पूछा गया कि क्या भाजपा उनके पिता को हल्लाशेरी देने का प्रयास कर रही है जो कांग्रेस के साथ उनके गठबंधन के पक्ष में नहीं है, तो अखिलेश ने कहा कि सपा-कांग्रेस गठबंधन की सफलता से भाजपा बौखलाई हुई है और इसीलिए गठबंधन सहयोगियों के बीच मनमुटाव पैदा करना चाहती है। डा. राम मनोहर लोहिया और कई अन्य वरिष्ठ नेताओं ने कहा था कि जब कांग्रेस अत्यंत कमजोर हो जाएगी तो यह समाजवादियों के साथ घनिष्ठता पैदा करेगी। आज कांग्रेस कमजोर हो गई है और इसीलिए हमने साम्प्रदायिक शक्तियों के विरुद्ध लडऩे के लिए इससे हाथ मिलाया है।
राहुल के साथ शानदार कैमिस्ट्री बनने के विषय में कहा कि वह राहुल से कई बार मिले हैं और लोकसभा में भी एक साथ रहे हैं। वह देश के लिए बहुत कुछ करना चाहते थे और हम इन आदर्शों को लेकर भागीदारी करेंगे और यू.पी. में इनमें से कुछेक का निष्पादन करेंगे। जब अखिलेश को यह सवाल किया गया कि भाजपा नेता कहते हैं कि युवाओं में ऊर्जा और जोश तो है लेकिन अनुभव की कमी है तो अखिलेश ने कहा कि ऐसा कह कर भाजपा के वरिष्ठ नेता शायद अपनी नाकामियों पर पर्दा डाल रहे हैं।
हर कोई अनुभव से ही समझदार बनता है, बिल्कुल उसी प्रकार जैसे हम साइकिल चलाना सीखते हैं तो कई बार गिरते हैं। भाजपा नेताओं के पास अनुभव है तो उनके लिए इस अनुभव को प्रदर्शित करने का समय आ गया है। हम यह जानना चाहते हैं कि उनका कौन-सा ऐसा मुख्यमंत्री है जिसने हर क्षेत्र में यू.पी. जैसे परिणाम दिखाए हों? युवा पीढ़ी पर भरोसा व्यक्त करते हुए अखिलेश ने कहा कि इस पीढ़ी ने उनका काम अपनी आंखों से देखा है और ये युवा लोग प्रतिभाशाली हैं। वे जानते हैं कि अखिलेश दोबारा मुख्यमंत्री बनेगा और यू.पी. के लिए काम करेगा।
जब उनसे पूछा गया कि यदि वह बहुमत हासिल नहीं कर पाते तो उनकी अगली योजना क्या होगी, तो अखिलेश ने कहा कि राजनीति में कोई भी अगली योजना नहीं होती। उन्हें जनता पर भरोसा है और जनता को उन पर। चुनावों के दूसरे दौर के बाद उनका गठबंधन विरोधियों से काफी आगे है।