मोदी युग के आर्थिक सुधार अपना असर दिखा रहे हैं

Edited By ,Updated: 29 Sep, 2021 04:42 AM

the economic reforms of the modi era are showing their effect

7 अक्तूबर, 2001 को गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपेक्षाकृत कम जाने-पहचाने नरेन्द्र मोदी के पदभार ग्रहण करने से पहले, इस राज्य में सूखे और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का एक असुखद इतिहास था। इस राज्य के विकास के इंजन ने सीटी बजाना बंद कर दिया था। अब यह...

7 अक्तूबर, 2001 को गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपेक्षाकृत कम जाने-पहचाने नरेन्द्र मोदी के पदभार ग्रहण करने से पहले, इस राज्य में सूखे और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का एक असुखद इतिहास था। इस राज्य के विकास के इंजन ने सीटी बजाना बंद कर दिया था। अब यह जानकारी आम है कि मोदी ने इस राज्य का कायापलट कर दिया और इसे विकास एवं समृद्धि का पर्याय बना दिया। 

गुजरात के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने के बाद, मोदी ने 7 साल पहले भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर पदभार संभाला। उनकी आर्थिक दूरदृष्टि ने आर्थिक सुधार से संबंधित उनके उस विचार को सामने रखा, जिसके तहत सबसे कमजोर आम आदमी तक सेवाओं का लाभ पहुंचाने पर काफी जोर दिया गया। मोदी ने अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन के अपने दर्शन को रेखांकित करते हुए प्रशासन को सुव्यवस्थित किया। उन्होंने भ्रष्टाचार से छुटकारा दिलाया और एक स्वच्छ शासन प्रदान किया। यू.पी.ए. के 10 साल के शासन में भ्रष्टाचार, घोटालों और वित्तीय धोखाधडिय़ों को देखते हुए मोदी के लिए यह कोई आसान काम नहीं था। नि:संदेह, नरेंद्र मोदी ने भारत के लोगों को निराश नहीं किया। उन्होंने ताकतवर सौदेबाजों और रसूखदार पैरवी करने वालों को अपने से दूर रखा और चुपचाप ऐसे आर्थिक सुधारों की शुरूआत की जिनकी कल्पना अब तक नहीं की गई थी। 

उदारीकरण के लाभों को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के उद्देश्य से मोदी सरकार द्वारा पिछले 7 वर्षों में आर्थिक, प्रशासनिक और शासन संबंधी सुधारों को पुन:निर्देशित किया गया क्योंकि यह सरकार अंत्योदय की भारतीय अवधारणा में दृढ़ता से विश्वास करती है। यह बताने के लिए सैंकड़ों उदाहरण दिए जा सकते हैं कि कैसे शासन को जमीनी स्तर पर ले जाया गया और उन सबसे गरीब लोगों को आर्थिक सुधारों के लाभ प्रदान किए गए, जिनकी परवाह कभी नहीं की गई। मोदी युग के आर्थिक सुधार अपना असर दिखा रहे हैं। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि ध्यान दिए जाने लायक क्षेत्रों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया और सेवाओं के वितरण पर जोर दिया गया। जन-धन योजना के माध्यम से बैंकिंग सुविधा से वंचित रहे क्षेत्रों में चौबीसों घंटे काम में जुटे 1.26 लाख से अधिक बैंक मित्रों की सहायता से 43.29 करोड़ खाते खोलकर बैंकिंग सेवा को लोगों तक पहुंचाया गया। 

जब प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी अनूठी परियोजना, उज्ज्वला योजना, के तहत सभी के लिए ‘स्वच्छ’ रसोई गैस-कनैक्शन की घोषणा की तो बहुत लोगों ने सरकार के इस कदम को गंभीरता से नहीं लिया। यह योजना जबरदस्त रूप से सफल रही है। इसके तहत रोजाना अपना भोजन पकाने के लिए संघर्ष करने वाली अधिकांश महिलाओं को 81.665 मिलियन से अधिक रसोई गैस कनैक्शन प्रदान किए गए हैं। वास्तव में, 7 सितम्बर, 2021 तक और 1.669 मिलियन रसोई गैस कनैक्शन प्रदान किए जाने के साथ उज्ज्वला योजना 2.0 भी शुरू की गई। पिछले 6 वर्षों में जमीनी स्तर पर उद्यमिता को मजबूत करने के लिए 28.68 करोड़ लाभार्थियों पर 15 लाख करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए गए, जोकि दुनिया भर के बैंकिंग इतिहास में अद्वितीय है। 

आजादी के बाद 75 वर्षों में आम आदमी को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने को कभी प्राथमिकता नहीं दी गई, जिस कारण हर साल लाखों लोग जलजनित बीमारियों के शिकार होते हैं। हो सकता है कि इसे एक सम्मेलन-कक्ष से दूसरे सम्मेलन- कक्ष की ओर भागते रहने वाले लैपटॉप-छाप अर्थशास्त्रियों द्वारा एक बड़े सुधार के रूप में नहीं गिना जाए लेकिन जल जीवन मिशन सबसे बड़ा सुधार है, जिसे किसी देश ने शुरू करने की हिम्मत की है। इस समर्पित मिशन और प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दी गई सर्वोच्च प्राथमिकता की वजह से आज 8.18 करोड़ घरों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध है। 

इस सरकार में शहरों में बसे लोगों के लिए 54 लाख और गांवों में गरीबों के लिए एक करोड़ और घरों के निर्माण की घोषणा करने का साहस था। अगर सभी के लिए आवास एक जनोन्मुखी सुधारात्मक उपाय नहीं है, तो और क्या है? जब 28 अप्रैल, 2018 को मणिपुर के आखिरी गांव लीसांग को बिजली प्रदान की गई तो यह एक बहुत बड़ी बात थी। मोदी सरकार को भारत के इतिहास में आजादी के बाद सभी 5.97 लाख गांवों में बिजली पहुंचाने वाली सरकार के रूप में दर्ज किया जाएगा। 

इस तरह के कदमों को आसानी से दीर्घकालिक सुधारों की सूची में शीर्ष पर रखा जा सकता है। ये कदम एक ऐसी इस सरकार द्वारा उठाए गए हैं, जिसे गलत तरीके से व्यापारियों की पार्टी के रूप में चिन्हित या निरूपित किया जाता है। इसके उलट इस सरकार ने न सिर्फ वो सब हासिल किया है जिसे बहुत कम लोग कर पाए। वस्तुओं और सेवाओं के अंतिम उपभोक्ता को सशक्त किए बिना कोई भी सुधार टिक नहीं सकता। अगर आर्थिक सुधारों को संकीर्ण रूप से परिभाषित किया जाता तो उद्योग टिक नहीं सकते थे, बाजार का विस्तार नहीं होता, निर्यात नहीं बढ़ता या किसान समृद्ध नहीं होते और भारत की विकास गाथा कायम नहीं रहती।-सैयद जफर इस्लाम

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