Edited By ,Updated: 23 Feb, 2020 05:13 AM
राजस्थान में पहली बार गांव की सरकार की कमान पढ़े-लिखे जनप्रतिनिधियों के हाथ में रहेगी। राज्य में गत माह 3 चरणों में हुए पंचायत चुनाव में निर्वाचित 6,755 सरपंचों में से 6,554 सरपंच पढ़े-लिखे हैं। राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार,...
राजस्थान में पहली बार गांव की सरकार की कमान पढ़े-लिखे जनप्रतिनिधियों के हाथ में रहेगी। राज्य में गत माह 3 चरणों में हुए पंचायत चुनाव में निर्वाचित 6,755 सरपंचों में से 6,554 सरपंच पढ़े-लिखे हैं। राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, सिर्फ 201 सरपंच अंगूठा छाप हैं। नवनिर्वाचित सरपंचों में से 282 एम.ए., 158 प्रोफैशनल्स और एक पी.एच.डी. होल्डर भी शामिल है।
पिछली वसुंधरा सरकार ने पंचायत राज चुनाव में आठवीं पास होने की शैक्षणिक बाध्यता लगाई थी। वसुंधरा सरकार का तर्क था कि पढ़े-लिखे सरपंच गांव का विकास बेहतर ढंग से कर सकेंगे। सरकार की योजनाओं को जमीनी धरातल पर उतार सकेंगे। गहलोत सरकार ने कहा कि शैक्षणिक योग्यता के आधार पर किसी को चुनाव लडऩे से वंचित नहीं किया जा सकता और उन्होंने सत्ता में आते ही पंचायती राज चुनाव में शैक्षणिक बाध्यता हटा दी थी। इन दोनों सरकारों के तर्क-वितर्क के बीच राज्य के मतदाताओं ने अपने विवेक से काम लेते हुए पढ़े-लिखे सरपंचों को ही वोट दिया।
प्रथम चरण में 2,726 सरपंच निर्वाचित हुए। दूसरे चरण में 2,332 और तीसरे चरण में 1,697 सरपंच निर्वाचित हुए हैं। दूसरे चरण में उदयपुर जिले में सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे 224 सरपंच निर्वाचित हुए हैं, जबकि अजमेर जिले में पढ़े-लिखे 13 सरपंच ही निर्वाचित हुए। चुनाव के तीसरे चरण में पाली जिले में सबसे ज्यादा 116 सरपंच पढ़े-लिखे निर्वाचित हुए हैं। वहीं सबसे कम 33 सरपंच अजमेर जिले में निर्वाचित हुए हैं। प्रथम चरण में एक सरपंच पी.एच.डी. होल्डर है।