इस्लामिक स्टेट की ‘सैक्स स्लेव’ की भयावह आपबीती

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Nov, 2017 03:41 AM

the horrors of islamic states sachs slave

इस्लामिक स्टेट यानी आई.एस. आई.एस. द्वारा पकड़े जाने, पीटे जाने और सैक्स स्लेव के रूप में बेचे जाने की अपनी डरावनी आपबीती नादिया मुराद ने अपनी नई पुस्तक में बयां की है जो अभी मंगलवार ही प्रकाशित हुई है। ‘‘द लास्ट गर्ल: माई स्टोरी आफ कैप्टिविटी एंड...

इस्लामिक स्टेट यानी आई.एस. आई.एस. द्वारा पकड़े जाने, पीटे जाने और सैक्स स्लेव के रूप में बेचे जाने की अपनी डरावनी आपबीती नादिया मुराद ने अपनी नई पुस्तक में बयां की है जो अभी मंगलवार ही प्रकाशित हुई है। 

‘‘द लास्ट गर्ल: माई स्टोरी आफ कैप्टिविटी एंड माई फाइट अगेंस्ट द इस्लामिक स्टेट’’ नामक पुस्तक में 24 वर्षीय मुराद ने उत्तरी ईराक के एक गांव में अपने बंदी जीवन, कैदखाने में अपने साथ हुए अमानवीय व्यवहार तथा बहुत तनाव भरी स्थितियों में से बच निकलने के साथ-साथ गद्दारी के भय तथा अपने सहायकों द्वारा ही परित्याग कर दिए जाने की भावनाओं का चित्रण किया है।

मुराद मजहबी अल्पसंख्यक समुदाय ‘यजीदी’ से संबंधित है। यह समुदाय अपने मुस्लिम पड़ोसियों के साथ बहुत असुखद जीवन व्यतीत करता है। 2014 में वह उन 7 हजार महिलाओं और औरतों में से एक थी जिन्हें कट्टरपंथी मुस्लिम आतंकियों ने बंधक बना लिया था क्योंकि उनकी नजर में यजीदी लोग शैतान के पूजक हैं। उसके 8 भाइयों में से 5 और उसकी माता सहित कई यजीदी पुरुष और बूढ़ी महिलाएं मार दिए गए थे जबकि लड़कियों और जवान महिलाओं को सैक्स स्लेव के तौर पर कैदी बना लिया गया था। 

मुराद अपनी पुस्तक में लिखती है: ‘‘अपनी आपबीती बयां करना कभी भी आसान नहीं होता। जब भी आप इसको बयां करते हैं तो आपकी पूरी पीड़ादायक जिंदगी फिर से साकार हो जाती है। लेकिन मैंने अपनी कहानी पूरी ईमानदारी से और वास्तविकता के आधार पर बयां की है क्योंकि आतंकवाद के विरुद्ध यही मेरा सबसे बेहतरीन हथियार है और मैं इस हथियार को  तब तक प्रयुक्त करती रहूंगी जब तक आतंकी अपने गुनाहों की सजा नहीं भुगत लेते। सितम्बर में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने ईराक में इस्लामिक स्टेट के कुकृत्यों के साक्ष्य इकट्ठे करने और इन्हें सम्भालने के लिए एक जांच दल सृजित करने की मंजूरी दी थी। अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार वकील अमाल क्लूनी मुराद की वकालत करते है और उन्होंने ही उसकी पुस्तक की प्रस्तावना लिखी है तथा वह इस्लामिक स्टेट पर अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक अदालत में अभियोग चलाए जाने के लिए अभियान छेड़े हुए है। मुराद तब 21 वर्ष की थी जब ईराक के सिंजर इलाके के नजदीक कोचो नामक गांव से उसका अपहरण किया गया था। इस इलाके में लगभग 4 लाख यजीदी रहते हैं। 

मुराद ने लिखा है: ‘‘हमारे सुन्नी पड़ोसी हमारे बचाव में आ सकते थे और हमारी सहायता का प्रयास कर सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।’’ मुराद का एक गुलाम के रूप में पंजीकरण किया गया और उसकी एक फोटो आई.डी. भी तैयार की गई ताकि यदि वह भागने का प्रयास करे तो यह फोटो आई.एस. आई.एस. के आतंकियों के बीच वितरित की जा सके। उसे खरीदने और बेचने वाले वहशी दरिंदों द्वारा दुष्कर्म किए जाने के अनवरत सिलसिले को याद करना मुराद के लिए स्पष्ट तौर पर मुश्किल था। वह अपनी पुस्तक में लिखती है: ‘‘कई बार तो ऐसी अवस्था होती थी कि सिवाय दुष्कर्म के और कुछ होता ही नहीं था और यह मेरी जैसी गुलामों की सामान्य दिनचर्या बन गई थी। हमें यह पता ही नहीं होता था कि कौन दरवाजा खोलेगा और हम पर भूखे भेडि़ए की तरह झपट पड़ेगा। हमें तो बस इतना ही पता होता था कि हमारे साथ दुष्कर्म होगा और कल का दिन शायद आज से भी बदतर होगा।’’ 

मुराद ने विस्तार से बताया है कि उसने श्रद्धावान मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहने जाने वाली चोगानुमा पोशाक ‘अवाया’ पहनकर किस प्रकार खिड़की में से रेंग कर भाग निकलने का प्रयास किया था लेकिन उसे एक गार्ड ने पकड़ लिया था। हाजी सलमान ने उसकी चाबुक से पिटाई की और अपने संतरी को आदेश दिया कि 6 आदमियों का बंदोबस्त करके उसके साथ तब तक सामूहिक दुष्कर्म किया जाए जब तक वह बेहोश न हो जाए। सप्ताह भर वह इन 6 आदमियों में से कभी एक और कभी दूसरे के आगे परोसी जाती रही जो उसके साथ दुष्कर्म तो करते ही थे, साथ ही उसे बुरी तरह पीटते भी थे। बाद में उन्होंने उसे एक व्यक्ति के हवाले कर दिया जिसने उसे सीरिया  ले जाने की योजना बनाई।

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