चुनावों में मुख्य मुद्दा मोदी सरकार की ‘कारगुजारी’ होगी

Edited By ,Updated: 17 Mar, 2019 03:49 AM

the main issue in the elections will be the functioning of the modi gov

चुनाव आयोग ने रविवार 10 मार्च को चुनावों का बिगुल बजा दिया। उन्होंने सरकार के पक्ष में अपना अंतिम कार्य कर दिया। इस घोषणा से लोगों ने राहत की बड़ी सांस ली। अब और अधिक आधारशिलाएं नहीं रखी जाएंगी, न ही और अधिसूचनाएं जारी होंगी तथा न ही जल्दबाजी में...

चुनाव आयोग ने रविवार 10 मार्च को चुनावों का बिगुल बजा दिया। उन्होंने सरकार के पक्ष में अपना अंतिम कार्य कर दिया। इस घोषणा से लोगों ने राहत की बड़ी सांस ली। अब और अधिक आधारशिलाएं नहीं रखी जाएंगी, न ही और अधिसूचनाएं जारी होंगी तथा न ही जल्दबाजी में बुरे इरादे से कम कोष के साथ योजनाएं शुरू की जाएंगी। एक गणना के अनुसार 13 फरवरी को संसद सत्र समाप्त होने के बाद से 155 योजनाओं का ‘उद्घाटन’ अथवा ‘नींव पत्थर’ रखा गया।

इसका एक मजेदार उदाहरण है। 14 मार्च 2015 को शुरू होने के बाद से अहमदाबाद मैट्रो के निर्माण में कोई विशेष प्रगति नजर नहीं आ रही थी। उपहास का कारण गुजरात सरकार थी। इसके एक खंड को ‘पूर्ण’ करने तथा ‘सेवा’ का उद्घाटन करने का निर्णय लिया गया। इसलिए जल्दबाजी में 6.5 किलोमीटर मैट्रो लाइन को पूरा किया गया। 4 मार्च, 2019 को प्रधानमंत्री ने गौरवपूर्ण ढंग से सेवा का उद्घाटन कर दिया।कहानी यहीं समाप्त नहीं होती। 6.5 किलोमीटर लम्बा ट्रैक है लेकिन केवल दो स्टेशन, जबकि अन्य स्टेशन निर्माणाधीन हैं। जो इन पर दौड़ रही है वह वास्तव में एक ज्वाय ट्रेन है-कोई टिकट नहीं, कोई शुल्क नहीं, केवल मुफ्त सवारी।

हां या न कहें
अब गम्भीर मुद्दों की ओर चलते हैं। एक नई सरकार चुनने के लिए लगभग 90 करोड़ पात्र मतदाता वोट डालेंगे। मुख्य मुद्दा मोदी सरकार की कारगुजारी होगा। कुछ प्रश्र प्रासंगिक हैं:
1. क्या आप महसूस करते हैं कि आप एक स्वतंत्र देश में स्वतंत्र नागरिक हैं और आपको भीड़ द्वारा पीटे जाने, नग्न किए जाने, बहिष्कार किए जाने अथवा धर्म, जाति अथवा भाषा के कारण भेदभाव का डर नहीं है?
2. क्या आपको विश्वास है कि आपकी बातचीत अथवा संदेशों में सरकार ताक-झांक नहीं करेगी?
3. क्या आप समझते हैं कि गत पांच वर्षों में वास्तव में बड़ी संख्या में नौकरियां पैदा की गईं? यदि आप अभिभावक हैं तो आपको विश्वास है कि आपके बेटे/बेटी को शीघ्र नौकरी मिल जाएगी (सी.एम.आई.ई. के अनुसार फरवरी 2019 के अंत तक 312 लाख लोग सक्रिय रूप से नौकरियों की तलाश कर रहे थे)?
4. यदि आप एक किसान हैं तो क्या आप समझते हैं कि गत पांच वर्षों में आपके लिए स्थितियों में काफी सुधार हुआ है? क्या आप किसान होने से खुश हैं और क्या आप अपने बेटे अथवा बेटी को किसान बनने के लिए प्रेरित करेंगे?
5. क्या आप समझते हैं कि नोटबंदी एक अच्छा विचार था? क्या आप समझते हैं कि आपको नोटबंदी से फायदा हुआ? क्या आप समझते हैं कि नोटबंदी से देश की अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचा?
6. क्या आप समझते हैं कि जी.एस.टी., इसकी कई तरह की कर दरों तथा एक माह में तीन रिटर्नों से लघु, छोटे तथा मध्यम उद्योगों को फायदा पहुंचा? क्या आप समझते हैं कि किसी छोटे व्यवसायी के लिए जी.एस.टी. कानूनों का पालन करना आसान है? क्या आप समझते हैं कि जिस तरह से जी.एस.टी. को लागू किया गया उससे व्यवसायी खुश हैं?
7. क्या मोदी सरकार ने अपने प्रमुख चुनावी वायदों को पूरा किया-प्रत्येक व्यक्ति के बैंक खाते में 15 लाख रुपए, एक वर्ष में 2 करोड़ नौकरियां, विदेशों में जमा कालेधन को वापस लाना, अमरीकी डालर को 40 रुपए के बराबर लाना, आतंकवाद को खत्म करना, विशेषकर  जम्मू-कश्मीर में तथा भारत में अच्छे दिनों का आना?
8. क्या आप समझते हैं कि जम्मू-कश्मीर में मोदी सरकार का ताकत का इस्तेमाल, सैन्य तथा बहुसंख्यक रवैया राज्य में, विशेषकर कश्मीर घाटी में हिंसा समाप्त करके शांति लाएगा?

मोदी और उनके मित्र 
9. क्या आप विश्वास करते हैं कि विजय माल्या, नीरव मोदी तथा मेहुल चोकसी सरकार की जानकारी के बिना भारत से भाग गए?
10. क्या आप समझते हैं कि मोदी सरकार द्वारा किया गया राफेल सौदा अत्यंत स्वच्छ था और एच.ए.एल. की कीमत पर एक निजी कम्पनी पर कोई अहसान नहीं किया गया था? क्या आप समझते हैं कि राफेल सौदे में जांच के लायक कुछ भी नहीं है-कीमत, विमानों की घटाई गई संख्या, दी गई छूटें, आपूर्ति कार्यक्रम, आफसैट पार्टनर का चयन आदि?
11. क्या आप समझते हैं कि सी.बी.आई., ई.डी., आयकर आदि जैसी प्रमुख जांच एजैंसियां निष्पक्ष तथा स्वतंत्र रही हैं? क्या सी.बी.आई. की आंतरिक लड़ाई ने इसकी विश्वसनीयता में वृद्धि की?
12. क्या सभी 6 हवाई अड्डों (अहमदाबाद, गुवाहाटी, जयपुर, लखनऊ, मेंगलुरु तथा तिरुवनंतपुरम) के निजीकरण के अनुबंध गुजरात के एक ही व्यावसायिक घराने को देना सही था?

उन्माद या समझदारी
ये प्रश्र देश के सामने मौजूद असल मुद्दों को लेकर हैं। यदि एक नागरिक के तौर पर आप असल मुद्दों के बारे में ङ्क्षचतित हैं तो मैं आपसे इन प्रश्रों के उत्तर देने का निवेदन करता हूं। आप हां भी कह सकते हैं और न भी लेकिन आप प्रश्रों को नजरअंदाज नहीं कर सकते। मोदी सरकार की अंतिम आशा यह है कि आप इन प्रश्रों को नजरअंदाज कर देंगे अथवा पाकिस्तान में बालाकोट पर भारतीय वायुसेना के हमले के बाद राष्ट्रवाद के ‘जोश’ में बह जाएं। भारतीय वायुसेना देश से संबंधित है और इसने प्रत्येक भारतीय को गौरवान्वित किया है। पुलवामा सरकार की असफलता थी, बालाकोट भारतीय वायुसेना की सफलता थी, अगले दिन पाकिस्तान की बदले की कार्रवाई सरकार की एक अन्य असफलता थी।

पुलवामा-बालाकोट ऊपर दिए गए प्रश्रों में से किसी का उत्तर नहीं है। यह डर को समाप्त नहीं करेगा या नौकरियां लाएगा अथवा किसानों के संकट में राहत देगा या एम.एस.एम.ईज को पुनर्जीवन देगा अथवा माल्या या नीरव मोदी या चोकसी को वापस लाएगा अथवा जांच एजैंसियों में संयम लाएगा या कश्मीर घाटी में शांति की वापसी करेगा। नरेन्द्र मोदी के चुनावी भाषण बालाकोट में भारतीय वायुसेना की कार्रवाई पर केन्द्रित है और उनका उद्देश्य मतदाताओं में उन्माद को भड़काना है। उन्हें आशा है कि बालाकोट उन्हें विजय दिला देगा। मेरा मानना है कि भारत के लोग समझदार हैं।-पी. चिदम्बरम

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