Edited By ,Updated: 13 Dec, 2019 03:13 AM
यकीनन इस समय भारत की नई पीढ़ी के लिए जो रोजगार और करियर की चमकीली संभावनाएं उभरकर सामने आ रही हैं उन्हें मुट्ठियों में करने के लिए देश के रोजगार परिदृश्य पर नए रणनीतिक कदम आगे बढ़ाए जाने होंगे। उल्लेखनीय है कि हाल ही में दुनिया के प्रसिद्ध ऑक्सफोर्ड...
यकीनन इस समय भारत की नई पीढ़ी के लिए जो रोजगार और करियर की चमकीली संभावनाएं उभरकर सामने आ रही हैं उन्हें मुट्ठियों में करने के लिए देश के रोजगार परिदृश्य पर नए रणनीतिक कदम आगे बढ़ाए जाने होंगे। उल्लेखनीय है कि हाल ही में दुनिया के प्रसिद्ध ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्रियों ने गहन शोध अध्ययन के बाद अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया में अगले 10 वर्षों में प्रतिभाशाली वर्ग (टैलेंट पूल) में 7.3 फीसदी वृद्धि के साथ भारत दुनिया में पहले क्रम पर होगा।
अमरीकी सरकार के राष्ट्रीय खुफिया निदेशक कार्यालय की ग्लोबल ट्रैंड 2030 रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत प्रोफैशनल्स के सहारे वर्ष 2030 तक विश्व की बड़ी आर्थिक ताकत बनकर उभर सकता है। विश्व बैंक की नई रिपोर्ट में भी कहा गया है कि विकसित देशों और चीन सहित कई विकासशील देशों में वर्ष 2020 तक कामकाजी जनसंख्या की भारी कमी के कारण भारत की नई प्रोफैशनल पीढ़ी की सबसे चमकीली संभावना होगी। ऐसे में देश की नई पीढ़ी की देश और दुनिया में बढ़ती हुई चमकीली संभावनाओं को साकार करने के लिए नई पीढ़ी को रोजगार और कौशल की नई जरूरतों से सुसज्जित करना होगा लेकिन इसके लिए अभी मीलों चलना जरूरी है।
गौरतलब है कि इन दिनों भारत में रोजगार के वर्तमान और भविष्य से संबंधित परिदृश्य पर विभिन्न वैश्विक रिपोर्टों में दो बातें उभरकर सामने आ रही हैं। एक, मौजूदा समय में आर्थिक सुस्ती के कारण देश में रोजगार वृद्धि दर धीमी हो गई है। दूसरी, आगामी 10 वर्षों में युवाओं को रोजगार अवसर देने के लिए कौशल प्रशिक्षण और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए बड़े प्रयास और बड़े निवेश की जरूरत है।
ऐसे में रोजगार परिदृश्य पर बढ़ती हुई चुनौतियों से निपटने के लिए नई रणनीति जरूरी है। इसके तहत नए रोजगार अवसरों का सृजन करने के लिए सार्वजनिक व्यय बढ़ाया जाए। साथ ही नवम्बर 2019 तक केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में जो 6 लाख 84 हजार पद खाली पड़े हैं, उन्हें भरने के लिए शीघ्रता की जाए। स्वरोजगार और स्टार्टअप से भी रोजगार अवसर बढ़ाए जाएं। रोजगार अवसर आगामी 10 वर्षों में युवाओं की मुट्ठियों में सरलता से आएं, इसके लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षण और बदलती हुई दुनिया की रोजगार जरूरतों के अनुरूप नए प्रशिक्षण के लिए निवेश बढ़ाया जाए।
कृषि और विनिर्माण क्षेत्र में नौकरियों में आई कमी
उल्लेखनीय है कि एक नवम्बर को सैंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सी.एम.आई.ई.) की ओर से प्रकाशित की गई रिपोर्ट में बेरोजगारी दर पर चिंता जताई गई है। इसमें कहा गया है कि भारत में बेरोजगारी दर अक्तूबर 2019 में बढ़कर 8.5 फीसदी हो गई है, जो साल 2016 के अगस्त माह से अब तक सबसे ज्यादा है। यह आंकड़ा सितम्बर तक 7.2 फीसदी था। रिपोर्ट के अनुसार ये आंकड़े भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती के लक्षणों को दर्शाते हैं। इसी तरह अजीम प्रेमजी यूनिवॢसटी में सैंटर ऑफ सस्टेनेबल इंप्लॉयमैंट की ओर से भारत में रोजगार परिदृश्य पर कराए गए अध्ययन में कहा गया है कि कृषि और विनिर्माण क्षेत्र में नौकरियों में कमी आई है, वहीं निर्माण और सेवा क्षेत्र इस गिरावट को कम नहीं कर सके। रिपोर्ट के मुताबिक 2011-12 दौरान अर्थव्यवस्था में कुल रोजगार 47.42 करोड़ था, जो 2017-18 के दौरान घटकर 46.51 करोड़ रह गया।
प्रमुख उच्च शिक्षण संस्थाओं की रैंकिंग में आई गिरावट
निश्चित रूप से देश में रोजगार की ङ्क्षचताएं दिखाई दे रही हैं। ये चिंताएं आगामी दशक में और तेजी से न बढ़ें, इसके लिए हमें उन वैश्विक रिपोर्टों पर ध्यान देना होगा जो भारत में शिक्षण-प्रशिक्षण की नई जरूरतों पर जोर देती हुई दिखाई दे रही हैं। गौरतलब है कि इस समय देश और दुनिया में भारत से संबंधित शैक्षणिक और प्रशिक्षण की विश्व रैंकिंग की दो रिपोर्टों को गंभीरतापूर्वक पढ़ा जा रहा है। एक रिपोर्ट 26 नवम्बर को प्रकाशित क्यू.एस. वल्र्ड यूनिवर्सिटी एशिया रैंकिंग-2020 है। इसमें कहा गया है कि 2019 में भारत के अधिकांश प्रमुख उच्च शिक्षण संस्थाओं की रैंकिंग में गिरावट आई है।
देश का कोई भी शिक्षण संस्थान अन्य एशियाई संस्थाओं की तुलना में शीर्ष 30 में जगह नहीं बना सका है। आई.आई.टी. मुम्बई पिछले वर्ष के मुकाबले एक स्थान फिसलकर 34वें स्थान पर आ गया। आई.आई.टी. दिल्ली 43वें स्थान पर और आई.आई.टी. मद्रास 48वें स्थान पर है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2030 तक शिक्षा अध्ययन के मामले में दुनिया की सबसे बड़ी छात्रों की आबादी भारत में होगी। ऐसी नई आबादी को रोजगार योग्य बनाने के लिए भारत को अध्ययन तथा शोध कार्य में निवेश बढ़ाना होगा।
भारत 63 देशों की सूची में 6 पायदान फिसला
इसी तरह भारतीय युवाओं की प्रतिभा, गुणवत्तापूर्ण जीवन और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से संबंधित पिछले दिनों 18 नवम्बर को विश्वविख्यात आई.एम.डी. बिजनैस स्कूल स्विट्जरलैंड द्वारा प्रकाशित की गई ग्लोबल टैलेंट रैंकिंग 2019 रिपोर्ट को गंभीरतापूर्वक पढ़ा जा रहा है। भारत 63 देशों की सूची में पिछले वर्ष के 53वें स्थान से 6 पायदान फिसलकर 59वें स्थान पर आ गया है। निश्चित रूप से हमारा ग्लोबल टैलेंट रैंकिंग 2019 में बहुत पीछे रहने पर ङ्क्षचतित होना और आगे बढऩे की राह निकालना इसलिए जरूरी है, क्योंकि देश की नई पीढ़ी को टैलेंटेड बनाकर ही रोजगार की उजली संभावनाओं को साकार किया जा सकेगा और देश की तस्वीर को चमकीला बनाया जा सकेगा।
पूरी दुनिया में भारत स्टार्टअप में तीसरे क्रम पर
नि:संदेह देश में स्वरोजगार के नए अवसर पैदा करने के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पी.एम.एम.वाई.) को तेजी से आगे बढ़ाना होगा। इसी तरह इस समय पूरी दुनिया में भारत स्टार्टअप में तीसरे क्रम पर है। ऐसे में नई पीढ़ी को स्टार्टअप के माध्यम से भी बड़ी संख्या में रोजगार के लिए और अधिक आगे बढ़ाना होगा। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के निकाय श्रम ब्यूरो ने ‘प्रधानमंत्री मुद्रा योजना सर्वेक्षण रिपोर्ट’ तैयार की है। इसमें कहा गया है कि अप्रैल 2015 में छोटे कारोबारियों की कर्ज जरूरत पूरी करने के लिए 10 लाख रुपए तक के ऋण देने वाली मुद्रा योजना शुरू की गई है। इसका मकसद लोगों के बीच स्वरोजगार को बढ़ावा देना है। रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2015 से लेकर 2018 के बीच मुद्रा योजना के तहत 4.25 करोड़ नए उद्यमियों को कर्ज बांटे गए। इन कर्जों ने कुल 11.2 करोड़ नए रोजगार पैदा किए। यह संख्या स्वरोजगार में लगे लोगों की 55 फीसदी है। ऐसे में मुद्रा योजना को और अधिक विस्तारित करके रोजगार के अवसर बढ़ाए जाने जरूरी हैं।
हम आशा करें कि सरकार रोजगार अवसरों में वृद्धि करने के लिए तात्कालिक रूप से नए रोजगार अवसरों हेतु सार्वजनिक व्यय और पूंजीगत व्यय बढ़ाएगी। सरकारी विभागों में खाली पदों पर शीघ्रता से नियुक्तियां करेगी। स्वरोजगार और स्टार्टअप से रोजगार बढ़ाने के लिए त्वरित रूप से कदम उठाएगी। हम आशा करें कि आने वाले वर्षों में रोजगार के करोड़ों अवसर भारतीय युवाओं की मुट्ठियों में आ सकें, इसके लिए सरकार हाल ही में प्रकाशित ग्लोबल टैलेंट रैंकिंग 2019, क्यू.एस. वल्र्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2020 तथा अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी रिपोर्टों में प्रकाशित सुझावों के अनुरूप शिक्षण-प्रशिक्षण संबंधी नई जरूरतों पर ध्यान देगी।-डा. जयंतीलाल भंडारी