राज्य सरकार और केन्द्र की अजीब दुविधा

Edited By ,Updated: 15 Apr, 2019 04:03 AM

the odd dilemma of the state government and the center

पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी मयंक जैन ने मध्य प्रदेश और केन्द्र सरकार को एक अजीबो-गरीब दुविधा में डाल दिया है। भ्रष्टाचार पर नजर रखने वाले मध्य प्रदेश लोकायुक्त के विशेष पुलिस स्थापना अधिकारियों द्वारा आय से अधिक सम्पत्ति के एक मामले में छापे के बाद...

पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी मयंक जैन ने मध्य प्रदेश और केन्द्र सरकार को एक अजीबो-गरीब दुविधा में डाल दिया है। भ्रष्टाचार पर नजर रखने वाले मध्य प्रदेश लोकायुक्त के विशेष पुलिस स्थापना अधिकारियों द्वारा आय से अधिक सम्पत्ति के एक मामले में छापे के बाद उन्हें निलंबित किए जाने के पांच साल बाद, निष्कर्ष निकला है कि उनके खिलाफ मुकद्दमा चलाने और एक करीबी मामला दायर करने के लिए ‘अपर्याप्त सबूत’ हैं। उनके लिए यह एक बड़ी राहत है। 

हालांकि, लोकायुक्त मामले के समापन की प्रतीक्षा किए बिना, गृह मंत्रालय (एम.एच.ए.) ने पिछले साल अगस्त में 1995 बैच के अधिकारी को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया था। लोकायुक्त की रिपोर्ट ने अधिकारियों को दुविधा में डाल दिया है क्योंकि उनके खिलाफ आरोपों के  गिर जाने के बाद अधिकारी को उनके पद पर बहाल करना होगा। अजीब स्थिति है, सूत्रों का कहना है, जैन जबरन सेवानिवृत्त होने के बाद पुलिस सेवा में लौटने के लिए परेशान हैं। जाहिर है, वह एक योग्य आर्थोपैडिक सर्जन हैं और आई.पी.एस. अधिकारी के तौर पर अपने पुलिस करियर को एक तरह से बंद अध्याय मान चुके हैं। 

वित्तीय गड़बडिय़ों का पता लगाने चीन भेजे जाएंगे बाबू
सरकार सीमा शुल्क खुफिया अधिकारियों को काले धन, व्यापार आधारित मनी लांड्रिंग और अन्य वित्तीय धोखाधड़ी के कई मामले सामने आने के बाद उनकी जांच के लिए उन्हें चीन में नियुक्त करेगी। सूत्रों का कहना है कि वित्त मंत्रालय ने पेइङ्क्षचग में भारतीय दूतावास और गुआंगझो में भारत के महावाणिज्य दूतावास में सीमा शुल्क प्रवासी खुफिया नैटवर्क (सी.ओ.आई. एन.) के दो पदों के लिए अधिकारियों का चयन करने के लिए प्रक्रिया शुरू की है। 

अतीत में, भारत के सीमा शुल्क अधिकारियों ने चीन से और चीन को तस्करी के कुछ मामलों का पता लगाया है। सूत्रों का कहना है कि नेपाल, सिंगापुर, ब्रसेल्स, अमरीका और ब्रिटेन सहित कई देशों में सी.ओ.आई. एन. अधिकारियों को तैनात किया गया है, ताकि भारतीय अधिकारियों को तस्करी की जांच करने में मदद मिल सके। उन्होंने कहा कि चयन प्रक्रिया में विदेश मंत्रालय की सहमति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति द्वारा अंतिम मंजूरी शामिल है। चेयरपर्सन, केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क (सी.बी.आई.सी.) के दो सदस्यों और डी.आर.आई. के महानिदेशक सहित एक उच्च स्तरीय समिति अधिकारियों का साक्षात्कार लेगी। सी.बी.आई.सी. इसके बाद वित्त मंत्री को प्रत्येक पद के लिए तीन अधिकारियों के एक पैनल की सिफारिश करेगा, क्योंकि इसे अंतिम मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति की रैफरैंस के बाद विदेश मंत्रालय के पास भेजा जाएगा। 

आखिरी किस्सा
केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सी.बी.आई.) खुद को एक बंधन में बंधा पाता है। इसने विशाखापट्टनम में नौसेना डॉकयार्ड के अधिकारियों द्वारा कथित रिश्वतखोरी के एक मामले का पर्दाफाश किया है। लेकिन यह आगे नहीं बढ़ सका है और आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर किया जा सका है क्योंकि आंध्र प्रदेश सरकार ने राज्य में काम करने के लिए सी.बी.आई. से अपनी सहमति वापस ले ली है। चूंकि वह पिछले साल एन.डी.ए. सरकार से अलग हो गए थे, मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया था कि केन्द्र राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए सी.बी.आई. जैसी एजैंसियों का दुरुपयोग कर रहा है।-दिल्ली का बाबू दिलीप चेरियन
 

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