Edited By ,Updated: 06 Aug, 2021 06:11 AM
करीब 150 करोड़ रुपए सालाना बजट वाली दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के 46 वार्डों के आम चुनाव इसी महीने की 22 तारीख को होने जा रहे हैं। कमेटी की सत्ता पर काबिज होने के लिए इस बार शिरोमणि
करीब 150 करोड़ रुपए सालाना बजट वाली दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के 46 वार्डों के आम चुनाव इसी महीने की 22 तारीख को होने जा रहे हैं। कमेटी की सत्ता पर काबिज होने के लिए इस बार शिरोमणि अकाली दल (बादल), शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली), मंजीत सिंह जी.के. की अगुवाई वाली जागो पार्टी, पंथक अकाली लहर, सिख सद्भावना दल चुनाव मैदान में हैं। गुरुद्वारा कमेटी चुनाव के लिए करीब साढ़े 3 लाख से अधिक मतदाता हैं। परिणाम 25 अगस्त को आएंगे।
गुरुद्वारा कमेटी देश के एक राज्य की तरह बुनियादी ढांचा स्थापित कर सिस्टम को संचालित करती है। कमेटी में वे सभी सुविधाएं व्यवस्थित की गई हैं, जो एक स्थापित राज्य को संचालित करने में की जाती हैं। दिल्ली में करीब 9 ऐतिहासिक गुरुद्वारे हैं, जिनका संचालन कमेटी की देख-रेख में होता है। इसके अलावा स्कूल, कालेज, इंजीनियरिंग कालेज, पॉलीटैक्निक, धार्मिक गुरमत कालेज, खालसा कालेज, बी.एड. कालेज, अस्पताल, डिस्पैंसरियां, वृद्धाश्रम संचालित हो रहे हैं। कमेटी का दायरा बहुत बड़ा होने के कारण यहां सियासी दखल भी हमेशा से रहा है। यही कारण है कि सभी सियासी एवं धार्मिक दल कमेटी से जुड़े रहना चाहते हैं।
दिल्ली में किसी भी धार्मिक समुदाय की यह सबसे बड़ी कमेटी है। आॢथक ढांचा मजबूत बना रहे, इसके लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों की तर्ज पर ही आर.टी.आई. व्यवस्था भी यहां लागू है। कमेटी में करीब 2100 कर्मचारी सीधे कार्यरत हैं, जिनको बाकायदा सभी सुविधाएं मिलती हैं। कमेटी की आमदनी गुरु की गोलक, प्रसाद की पर्ची एवं देश-विदेश से आने वाले श्रद्धारूपी दान से होती है।
4 साल होता है कार्यकाल : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्यों के चुनाव दिल्ली सरकार गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय द्वारा लोकतांत्रिक तरीके से करवाए जाते हैं। इसके सदस्यों का कार्यकाल चार साल का होता है। पिछला चुनाव फरवरी 2017 में करवाया गया था। पूरी दिल्ली को चुनाव की दृष्टि से 46 गुरुद्वारा वार्डों में बांटा गया है। गुरुद्वारा वार्ड मतदाता सूची में 18 वर्ष से ऊपर की आयु के पात्र सिख नागरिकों का पंजीकरण किया जाता है। अभी तक इस सूची में 3,83,561 मतदाताओं के नाम दर्ज हैं, हालांकि इसी में से उन फर्जी एवं बोगस वोटों को कैंसिल कर दिया गया है, जो निर्धारित स्थान पर नहीं रह रहे हैं। वर्ष 2017 में हुए गुरुद्वारा चुनाव में 45.68 प्रतिशत मतदान हुआ था।
संसद एक्ट के तहत बनी है : दिल्ली सरकार के गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय की स्थापना वर्ष 1974 में संसद में दिल्ली सिख गुरुद्वारा अधिनियम 1971 के नाम से पारित एक अधिनियम के तहत हुई थी। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के पहले आम चुनाव क्रमश: वर्ष 1974, 1978, 1995, 2002, 2007 एवं 2013 में हुए थे। निदेशालय, गुरुद्वारा चुनाव करवाने के अलावा दिल्ली सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1971 के प्रावधानों के पालन के साथ गुरुद्वारा वार्डों के परिसीमन और अधिनियम और नियमों में संशोधन के कार्य को भी सुनिश्चित करता है।
कमेटी के सदस्यों को 24 लाख दिया जाता है बजट : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी में 46 सदस्य चुने जाते हैं, जिनको एक्ट के अनुसार खर्च करने के लिए कमेटी की तरफ से 6 लाख रुपए प्रति वर्ष दिया जाता है। उनका कार्यकाल 4 साल का होता है, लिहाजा उन्हें कुल 24 लाख रुपए मिलते हैं। इनमें से वे गरीब बच्चों के स्कूलों की फीस, स्थानीय गुरुद्वारों की मदद, राशन की पर्ची, बीमार लोगों के इलाज के लिए खर्च करते हैं। कोई भी सदस्य बजट के इन पैसों का नकद लेन-देन नहीं कर सकता, सब कुछ चैक के जरिए किए जाने का प्रावधान है।
हालांकि, कई बार विपक्षी सदस्यों को न देकर सत्तापक्ष अपने किसी नुमाइंदे को क्षेत्र में लोगों की मदद के लिए यह बजट सौंप देता है, जो एक्ट की उल्लंघना भी है। कमेटी में चुनकर आने वाले सदस्यों को ही विभिन्न कमेटियों की चेयरमैनी सौंपी जाती है। मसलन धार्मिक कमेटी, परचेज कमेटी, स्कूल-कालेज एवं अन्य संस्थानों के चेयरमैन, वाइस चेयरमैन, गुरुद्वारों के चेयरमैन बनाए जाते हैं।
शिक्षा, स्वास्थ्य का सबसे बड़ा केंद्र : दिल्ली में सिख बच्चों का शैक्षणिक बुनियादी ढांचा मजबूत बनाने के लिए गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने शिक्षा का सबसे बड़ा सैंटर स्थापित किया है। कक्षा 1 से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई के लिए गुरु हरिकिशन पब्लिक स्कूल (जी.एच.पी.एस.) के 17 संस्थान संचालित हो रहे हैं। इसके अलावा खालसा एडिड के 5 स्कूल, 6 कालेज, 1 गुरमत कालेज (धार्मिक पढ़ाई के लिए), 4 कालेज डी.यू. के अधीन हैं, जबकि तकनीकी पढ़ाई के लिए 10 इंस्टीच्यूट, आई.टी.आई., पोलीटैक्निक, बी.एड., एम.बी.ए. की पढ़ाई के लिए अलग संस्थान स्थापित हैं।
श्री गुरु ग्रंथ साहिब एवं साहित्य प्रकाशित करने के लिए 1 प्रिंटिंग प्रेस, नई पीढ़ी एवं दूसरे लोगों को सिख इतिहास की जानकारी देने के लिए 2 यूजियम भी बनाए गए हैं। इसी प्रकार स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर 6 डिस्पैंसरियों का निर्माण किया गया है, जहां सभी वर्गों का इलाज होता है। इसके अलावा 2 अस्पताल भी बनाए गए हैं। बुजुर्गों के लिए 1 वृद्धाश्रम भी खोला गया है।
और अंत में... दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी चुनाव में अब महज 15 दिन बचे हैं। सत्ता की चाबी किसके हाथ लगेेगी, यह तो 25 अगस्त की शाम को पता चलेगा लेकिन सभी दलों ने कमर कसते हुए ताकत झोंकनी शुरू कर दी है। सीधे तौर पर दो दलों- सत्ताधारी दल शिरोमणि अकाली दल एवं प्रमुख विपक्षी दल शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली) के बीच कांटे की टक्कर देखी जा रही है। हालांकि पूर्व अध्यक्ष मंजीत सिंह जी.के. की नई पार्टी जागो पहली बार नए चेहरों एवं युवा जोश के साथ चुनाव में अलख जगाने को तैयार है।-दिल्ली की सिख सियासत सुनील पांडेय