बिशप के विरुद्ध लगे बलात्कार के आरोपों का सच

Edited By ,Updated: 21 Jan, 2022 07:13 AM

the truth of the rape allegations against the bishop

मैं कैथोलिक ईसाई हूं तथा किसी भी तरह से अपनी मान्यताओं में कट्टर नहीं हूं। मगर क्राइस्ट के उपदेशों ने हमेशा मुझे आकॢषत किया है क्योंकि स्वाभाविक है कि इन्होंने मेरे पिता जी को भी प्रेरित

मैं कैथोलिक ईसाई हूं तथा किसी भी तरह से अपनी मान्यताओं में कट्टर नहीं हूं। मगर क्राइस्ट के उपदेशों ने हमेशा मुझे आकॢषत किया है क्योंकि स्वाभाविक है कि इन्होंने मेरे पिता जी को भी प्रेरित किया था जिनका देहांत तब हो गया था जब मैं 8 वर्ष का बच्चा था। मुझे भी उनकी रूचि में तब रूचि पैदा हुई जब उनकी पुस्तकों में मुझे थॉमस ए केंपिंस की ‘द इमिटिएशन ऑफ क्राइस्ट’ मिली।

एक अखबार के एडिटर ने मुझे जालन्धर की एक कैथोलिक चर्च के बिशप फ्रैंको मलक्कल के दुष्कर्म के मामले में लिखने को कहा था। एडिटर का मानना था कि जज गोपा कुमार की जांच में कुछ गलती थी! निर्णय का अध्ययन करने के बाद मेरा अपना निष्कर्ष भिन्न था। ऐसा दिखाई देता है कि बिशप ने एक सीनियर नन के साथ उसकी सहमति से सैक्स किया जिस पर उनका गिरजाघर के अधिकारी के नाते कुछ अधिकार था। यदि उन्होंने अपनी ताकत की धमकी देकर बल का इस्तेमाल किया होता तो उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के अंतर्गत दोषी पाया जाता है। चूंकि ऐसी धमकियां साबित नहीं की जा सकतीं, उन्हें बरी किया जाना सही था। 

जज गोपा कुमार की अदालत में पेश किए गए सभी सबूत दर्शाते हैं कि नन की धार्मिक व्यवस्था में ऊपर पहुंचने की अपनी निजी महत्वाकांक्षाएं थीं और इसके लिए उसने मिशनरीज ऑफ जीसस में एक नई इकाई बनाने का भी सुझाव दिया, जिससे वह संबंधित थी। उसने सुझाव दिया था कि नई इकाई बिहार धर्माध्यक्ष के अंतर्गत होगी। 

पीड़ित नन अपनी व्यवस्था में एक सीनियर टिन्सी के मदर जनरल के तौर पर नियुक्त होने से खुश नहीं थी। स्वाभाविक है कि उसकी नई वरिष्ठ ने उसे तथा नन्स के उनके समूह को कान्वैंट की उन सुविधाओं का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी जिनका किसी समय वह मजा उठाती थी। य

ह एक बहुत छोटा मामला था लेकिन उन लोगों के लिए एक चिंता का विषय था जिनका महत्व अचानक कम हो गया, जिनके वे आदी बन चुके थे। सबूत साबित करते हैं कि पीड़िता का बिशप फ्रैंको पर काफी प्रभाव था। अपनी व्यवस्था में अन्य ननों की नियुक्तियों तथा स्थानांतरणों में वह सुझाव देती थी। जब संबंधों में खटास आ गई तो यह प्रभाव भी समाप्त हो गया जैसा कि ऐसे मामलों में आमतौर पर होता है। ऐसे कई फोटोग्राफ हैं जो यह दिखाते हैं कि दुष्कर्म के कथित आरोप के बाद भी पीड़िता बिशप के साथ बहुत खुशी से बातचीत करती थी। यहां तक कि ऐसे ही एक कथित यौन समागम के एक दिन बाद उसने बिशप के साथ कार में एक ल बी यात्रा की। सबूत यह नहीं दिखाते कि अपने तौर पर वह अनिच्छुक थी या उस चरण पर उनके संबंधों में कोई दरार आई हो। 

जनवरी 2017 में किसी समय पीड़िता ने बिशप को यह संदेश भिजवाया कि वह उन्हें कान्वैंट में आने की इजाजत नहीं देगी। एक बिशप को इस तरह का कड़ा संदेश देने वाली एक नन निश्चित तौर पर ऐसी नहीं होगी जो किसी अत्याचार के सामने आत्मसमर्पण कर दे। जैसा कि उसने मुकद्दमे के दौरान आरोप लगाया। जब यह कथित अत्याचार हुए वह पहले ही एक सुपरवाइजरी पद पर थी। मैं कभी भी ऐसे मामले में किसी नन अथवा पादरी के स पर्क में नहीं आया जिसने एक सुपरवाइजरी स्तर का पद हासिल किया हो, यदि उसका दब्बू स्वभाव हो। 

पीड़ित नन तथा आरोपी बिशप के बीच गर्माहट भरे संबंध कब और क्यों  खटासपूर्ण बन गए यह केवल उन्हीं को पता होगा। मुकद्दमे के दौरान नन की एक चचेरी बहन द्वारा उसके खिलाफ अपने पति के साथ गैर-कानूनी संबंधों को लेकर शिकायत बारे कुछ अल्प ब्यौरे सामने आए हैं जो आरोपी के बचाव का एक हिस्सा थे। 

मैंने गत दिवस एक प्रमुख अंग्रेजी दैनिक में महिला अधिकारों की निडर झंडाबरदार लाविया एगुएस के तर्क पढ़े। मेरे मन में लाविया के लिए बहुत स मान है जिन्हें जानने की मैं डींग मार सकता हूं यद्यपि केवल औपचारिक रूप से कभी-कभार ही। मैं उनके विचारों का सम्मान करता हूं लेकिन स्टेट बनाम बिशप फ्रैंको मामले में मैं उनके निष्कर्षों से मतभेद रखता हूं। जैसे कि मैंने पहले कहा कि जब कोई जज मुकद्दमे की अध्यक्षता कर रहा होता है तो उसे यह निर्णय लेना होता है कि क्या कानून का उल्लंघन किया गया है। वह नैतिक भ्रष्टता के आरोपों पर निर्णय नहीं दे सकता। 

अब इनकी जांच रोम में गिरजाघर की अदालतों द्वारा की जाएगी। बिशपों तथा पादरियों द्वारा अपने धर्म से संबंधित नियमों को तोडऩे की घटनाएं असामान्य नहीं हैं। अमरीका तथा यूरोप में ऐसे मामले भारत के मुकाबले कहीं अधिक हैं जो तुलनात्मक रूप से रूढि़वादी है। इसाई धर्म के उदय होने की लगभग 2 या 3 शताब्दियों के बाद चर्च ने पुरोहित ब्रह्मचर्य लागू करने का निर्णय किया। शुरूआत में काफी हद तक गिरजाघरों के पादरी विवाहित थे। पुरुष तथा महिला का मिलन प्रकृति की व्यवस्था में सामान्य है। प्रजातियों का फैलाव ऐसे मिलनों पर निर्भर करता है। 

दुर्भाग्यपूर्ण आज कोई भी पोप इस आदेश को पलटने की हि मत नहीं कर सकता। यदि इसकी इजाजत दी गई तो कैथोलिक चर्च दो-फाड़ हो जाएगी।-जूलियो रिबैरो(पूर्व डी.जी.पी. पंजाब व पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी)
 

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!