डिजिटल गवर्नैंस से घूमेगा सुशासन का पहिया

Edited By ,Updated: 02 Aug, 2022 06:42 AM

the wheel of good governance will spin through digital governance

पिछले हफ्ते केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सी.बी.एस.ई.) द्वारा 10वीं और 12वीं के परीक्षा परिणाम घोषित किए गए। पहली बार छात्रों को डिजीलॉकर से घर बैठे मार्कशीट-कम-सर्टीफिकेट हासिल करने

पिछले हफ्ते केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सी.बी.एस.ई.) द्वारा 10वीं और 12वीं के परीक्षा परिणाम घोषित किए गए। पहली बार छात्रों को डिजीलॉकर से घर बैठे मार्कशीट-कम-सर्टीफिकेट हासिल करने की सुविधा मिली है।

डिजीलॉकर इलैक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा मुहैया कराया गया वह डिजिटल स्पेस है जो नागरिकों से जुड़े अहम दस्तावेजों को ऑनलाइन रखने की सुविधा प्रदान करता है। पहले जरूरी सर्टीफिकेट को संभालकर रखना प्रशासनिक प्राधिकरणों व सामान्य व्यक्ति दोनों के लिए एक चुनौतीपूर्ण था। डिजीलॉकर  ड्राइविंग लाइसैंस, मार्कशीट, वाहनों के पंजीयन जैसे अनेक दस्तावेजों को रखने व उसकी उपलब्धता को सुरक्षित व लागत सक्षम बनाता है। आज इसकी उपयोगिता का आकलन इसके दो करोड़ यूजर्स की संख्या से लगाया जा सकता है। 

कोरोना ने मानवीय जीवन में रोजमर्रा के कामकाज से लेकर लोक सेवाओं के संचालन में डिजिटल अनुप्रयोगों की उपयोगिता को प्रमाणित किया है। भारत भौगोलिक और सांस्कृतिक बहुलताओं से युक्त होकर भी जिस तरह इस संकट से बाहर आया, आज वह दुनिया के सामने एक मॉडल के रूप में है।

2 अप्रैल 2020 को कोविड-19 की पहली लहर के दौरान भारत सरकार की एजैंसी नैशनल इंन्फॉर्मैटिक्स सैंटर (एन.आई.सी.) द्वारा आरोग्य सेतु की लॉन्चिंग हुई तो इसकी प्रासंगिकता पर सवाल उठे थे। कुछ समय बाद कोविड के खिलाफ जंग में संक्रमण को पहचानने से लेकर विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान में आरोग्य सेतु तथा कोविन एप फ्रंटल हथियार बनकर उभरे। जून 2022 तक आरोग्य सेतु के डाऊनलोड की संख्या 21 करोड़ से अधिक हो चुकी है। 85 करोड़ से अधिक लोगों के सैंपल की टैस्टिंग आरोग्य सेतु की मदद से की गई है। 

देश कोविड टीकाकरण के शत-प्रतिशत लक्ष्य को हासिल कर सका तो उसमें स्वदेश निर्मित कोविन एप्लीकेशन की अहम भूमिका रही। जरा सोचिए, यदि कोविन एप जैसे डिजिटल संसाधन के बगैर 100 करोड़ से अधिक लोगों को वैक्सीन लगाने का अभियान पूरा करना होता, तो क्या स्थिति होती। कोविन और आरोग्य सेतु जैसे संसाधनों ने डिजिटल जन सहभागिता को नया आयाम दिया है। 

गुड गवर्नैंस के डिजिटल पहिया विकास की भौगोलिक बाधाओं को अपने सर्वव्यापी और सर्वस्पर्शी पहुंच से दूर करता है। जम्मू एवं कश्मीर से अनुच्छेद 370 के उन्मूलन को तीन साल पूरे होने वाले हैं। इस ऐतिहासिक घटना की तीसरी वर्षगांठ से पहले यहां के लोगों को आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत सौगात मिली है। सूबे के लोग अब शेष भारत की तरह आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का लाभ ले सकेंगे। इसके अंतर्गत लोगों को उनका स्वास्थ्य पहचान पत्र मिल सकेगा। आयुष्मान भारत हैल्थ अकाऊंट (आभा) के जरिए देश के प्रत्येक नागरिक की हैल्थ रजिस्ट्री अर्थात उसके स्वास्थ्य का अकाऊंट तैयार किया जा रहा है। 

देश में यू.पी.आई. (यूनीफाइड पेमैंट इंटरफेस) के जरिए डिजिटल भुगतान नए शिखर को छू चुका है। एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले 7 साल में डिजिटल लेन-देन 19 गुना बढ़ गया है। 300 से अधिक सरकारी, निजी एवं सहकारी बैंक यू.पी.आई. के जरिए डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा दे रहे हैं। 2020-21 में यू.पी.आई. से लेन-देन 22 हजार करोड़ रुपए रहा। 2025-26 तक केंद्र सरकार ने इसे एक लाख 69 हजार 900 करोड़ रुपए करने का लक्ष्य रखा है। 

भारतीय शासन व्यवस्था को टिकाऊ व समावेशी बनाने के लिए डिजिटल गवर्नैंस को प्रभावी और लोक उन्मुख बनाना होगा। यहां हम यूरोप के एक छोटे से देश एस्टोनिया से बहुत कुछ सीख सकते हैं। सोवियत संघ के बिखरने के बाद एस्टोनिया 1991 में स्वतंत्र हुआ। इस देश की आबादी सिर्फ 13 लाख है, यह भारत के किसी भी एक जिले से भी छोटा है। हालांकि यह तथ्य दुनिया भर की डिजिटल अर्थव्यवस्थाओं को रोमांचित करने वाला है कि यहां की 99 प्रतिशत नागरिक सेवाएं डिजिटल माध्यमों पर आधारित हैं। 

90 प्रतिशत पार्किंग शुल्क ऑनलाइन है। अब तो यहां चुनाव के दौरान वोटिंग भी ऑनलाइन होती है। एस्टोनिया 2014 में ई-रैजीडैंसी प्रोग्राम शुरू करने वाला दुनिया का पहला देश है। इस यूरोपीय देश में दुनिया के किसी भी व्यक्ति को निवेश और कारोबार करने के लिए ई-रैजीडैंसी के जरिए महज एक क्लिक पर बैंक अकाऊंट से लेकर घर बैठे तमाम जरुरी क्लीयरैंस मिलते हैं। यह बात सच है कि इंटरनैट और तकनीक अपने साथ कुछ आशंकाएं भी लेकर आती है। हमें सुनिश्चित करना होगा कि तकनीक आधारित सेवाएं सुरक्षित, भरोसेमंद और जवाबदेह हों।(लेखिका हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग की वरिष्ठतम सदस्य हैं।)-डा. रचना गुप्ता

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