योगी के पास हमारे ‘आदर्शों’ को आकार देने का अधिकार नहीं

Edited By ,Updated: 20 Sep, 2020 04:34 AM

the yogi does not have the right to shape our  ideals

हमारे नायक मुगल कैसे हो सकते हैं? पिछले हफ्ते उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह पूछा था। अपने अर्थ को स्पष्ट करने के लिए उन्होंने कहा कि, ‘‘कुछ भी हो, जो मानसिक रूप से कमजोर है वे उनकी सरकार को स्वीकार्य...

हमारे नायक मुगल कैसे हो सकते हैं? पिछले हफ्ते उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह पूछा था। अपने अर्थ को स्पष्ट करने के लिए उन्होंने कहा कि, ‘‘कुछ भी हो, जो मानसिक रूप से कमजोर है वे उनकी सरकार को स्वीकार्य नहीं है।’’ आज मैं योगी को जवाब देना चाहता हूं। उससे पहले हालांकि मैं उनसे कुछ सवाल पूछना चाहता हूं। एक मुख्यमंत्री को यह अधिकार किसने दिया कि वह पूछे कि हमारे नायक कौन हैं? उनके पास शासन करने का अधिकार हो सकता है लेकिन हमारे मूल्यों को निर्धारित करने और हमारे आदर्शों को आकार देने का अधिकार नहीं है। हमारे अतीत के कौन से शासक महान हैं यह उन्हें नहीं बताना। ये बातें अपने आप में महत्व रखती हैं। 

हालांकि मुझे योगी के बारे में ज्यादा पता नहीं। दुर्भाग्य से उन्हें मुझसे मिलने का मौका नहीं मिला। मैं एक और बात आगे बढ़ाना चाहूंगा। मुझे संदेह है कि उनके सवाल से पक्षपात और अज्ञानता का पता चलता है। वह एक मुख्यमंत्री के रूप में असंतुलित हैं और उनमें अहंकार झलकता है। हमारे शासकों में सबसे बड़ा मुगल बादशाह अकबर है। उनका पूरा नाम अबू अल फतह जलाल-उ-द्दीन मुहम्मद अकबर है। मुझे पता है कि कई लोग मौर्य सम्राट अशोक को महान मानते हैं, जिन्होंने 18 सदियों पहले शासन किया था। अशोक अकबर के समांतर या संभवत: वीरता में उनसे श्रेष्ठ थे। लेकिन मैं असहमत हूं। अकबर कलिंग युद्ध में एक लाख मौतों के लिए जिम्मेदार नहीं है। 

अब मैं योगी आदित्यनाथ को थोड़ा-बहुत अकबर के बारे में बताता हूं। इरा मुक्होती उनकी नवीनतम और यकीनन सर्वश्रेष्ठ जीवनी लेखिका ने लिखा है कि 16वीं शताब्दी में सम्राट अकबर का पृथ्वी पर सबसे बड़ा साम्राज्य था। 16 मिलियन पौंड की अनुमानित वाॢषक आय के साथ वह दुनिया के सबसे अमीर शासक थे लेकिन अकबर का धन या उनके राज्य का आकार नहीं जो उन्हें महान बनाता है बल्कि यह उनका अद्भुत व्यक्तित्व है। 

अकबर महान का मानना था कि सभी धर्म समान रूप से सत्य या समान रूप से भ्रमपूर्ण हैं। इरा मुक्होती का कहना है कि उन्होंने सूर्य की प्रार्थना की, मंत्रों का उच्चारण किया, अग्रि की पूजा की और उपवास रखा। उनके युवा बेटे मुराद को शिक्षा के लिए जेसुयिट्स को सौंपा गया। उन्हें क्रॉस की निशानी सिखाई गई और प्रारंभिक शिक्षा में जीसस तथा मैरी का नाम लेना सिखाया गया। अकबर की ङ्क्षहदू पत्नियों को धर्मांतरण की आवश्यकता नहीं थी। उन्होंने अपने स्वयं के धर्म का प्रयोग करने की पूर्ण स्वतंत्रता का आनंद लिया। अकबर ने जजिया को समाप्त कर दिया। गऊओं के वध और उनके मांस खाने पर प्रतिबंध लगा दिया। 

हफ्ते में एक बार वह शाकाहारी रहते थे। मुक्होती के उल्लेख में एक अविश्वसनीय व्यक्ति का पता चलता है। अकबर ने धोती भी पहनी थी तथा दीवाने-आम में माथे पर तिलक और कलाई पर राखी बांध कर दिखाई दिए थे। इस राखी को एक ब्राह्मण द्वारा बांधा गया था जोकि आशीर्वाद का प्रतीक था। फतेहपुर सीकरी में उनके द्वारा बनाए गए महल की सजावट उसी खुले दिल के उदारवाद को दर्शाती है। निजी कक्षों में मसीह, मैरी तथा ईसाई संतों के चित्र थे। 1582 में उन्होंने महाभारत का संस्कृत से फारसी में अनुवाद करवाया। बाद के वर्षों में उन्होंने रामायण, राजतरंगिणी और नल और दमयंती की कहानियों का अनुवाद किया। यह तब और भी उल्लेखनीय हो जाता है जब आपको पता चलता है कि अकबर प्रभावी रूप से अनियंत्रित और व्यावहारिक रूप से निरक्षर थे। 

अब मुझे योगी आदित्यनाथ से एक और सवाल पूछना है कि ऐसा व्यक्ति हमारे नायकों में से एक क्यों नहीं हो सकता? क्या इसका कारण यह है कि अकबर मुसलमान थे? क्या अकबर हमारे नायक नहीं हो सकते क्योंकि उनके दादा ने भारत पर विजय प्राप्त की थी? मुझे आश्चर्य है कि क्या ऐसे तर्क उड़ीसा के लोग अशोक को श्राप देने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं? या भारत के बौद्ध अपने पूर्वजों को सताने के लिए पुष्यमित्र शुंग को खलनायक मानते हैं? 

मैं जानता हूं कि योगी ने एक राजनेता के तौर पर ऐसा बोला। योगी हमारे द्वारा सांझा किए गए विश्वास के श्रद्धेय पुजारी हैं। क्या उनके विचार हिंदू सोच का प्रतिनिधित्व करते हैं? क्या वह हमारे विश्वास में चमक को जोड़ते हैं? क्या वह हम भारतीयों को बड़ा महसूस करवाते हैं या फिर वे ज्यादा देशभक्त हैं? मुझे संदेह है कि अगर योगी स्वीकार करेंगे कि उन्होंने एक भयानक गलती की है मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है।-करण थापर
 

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