Edited By ,Updated: 25 Jan, 2020 04:51 AM
केन्द्र सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसरा आम बजट 1 फरवरी 2020 को पेश होगा। देश के करोड़ों लोगों की निगाहें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा एक फरवरी, 2020 को प्रस्तुत किए जाने वाले वित्त वर्ष 2020-21 के बजट की ओर लगी हुई हैं। इस बार बजट से अगर...
केन्द्र सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसरा आम बजट 1 फरवरी 2020 को पेश होगा। देश के करोड़ों लोगों की निगाहें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा एक फरवरी, 2020 को प्रस्तुत किए जाने वाले वित्त वर्ष 2020-21 के बजट की ओर लगी हुई हैं। इस बार बजट से अगर किसी को सबसे ज्यादा उम्मीद है तो वो है सैलरीड क्लास। इंकम टैक्स में छूट को लेकर सरकार पर भी काफी दबाव है। साथ ही ग्रोथ को रफ्तार देने के लिए सरकार टैक्सपेयर्स को छूट दे सकती है। खपत को बढ़ाने के लिए सरकार इस बार के यानी 2020-21 के बजट में मध्यम वर्ग को कई तरह की राहत दे सकती है। इनमें टैक्स स्लैब में बदलाव, टैक्सेबल इंकम की सीमा में बदलाव और होम लोन पर मिलने वाली टैक्स छूट सीमा में बदलाव शामिल हो सकते हैं।
उम्मीद है कि उद्योग जगत के लिए कार्पोरेट टैक्स में कटौती कर राहत देने के बाद सरकार पर्सनल इंकम टैक्स पेयर्स को बजट में राहत दे सकती है। ऐसा माना जा रहा है कि सरकार 80सी के तहत निवेश पर किए गए छूट की सीमा 2.5 लाख कर सकती है। साथ ही 50 हजार रुपए तक एन.एस.सी. में किए निवेश को भी छूट के दायरे में ला सकती है। पी.पी.एफ. में निवेश की रकम का दायरा भी बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है। नए बजट के तहत सरकार की चुनौती यह भी है कि उसके पास आर्थिक सुस्ती से निपटने और सभी वर्ग के लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए संसाधनों की भारी कमी है।
विकास दर 5 फीसदी के निम्न स्तर पर तथा बजट में निर्धारित राजकोषीय घाटा (फिजिकल डैफिसिट) जी.डी.पी. के 3.3 फीसदी से बढ़कर करीब 3.6 फीसदी के स्तर पहुंच गया है। ऐसे में वर्ष 2020-21 के आगामी बजट में अर्थव्यवस्था को गतिशील करने के ठोस प्रावधान करने होंगे। बजट में इस बार मनरेगा योजना के लिए अतिरिक्त धन मिल सकता है। निश्चित रूप से नए बजट में कृषि क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने को सरकार उच्च प्राथमिकता देगी। नए बजट में उन स्टार्टअप्स को मदद मिलेगी, जो कृषि उत्पादों के लिए बाजार प्रदान करने तथा उचित मूल्य पर अंतिम उपभोक्ताओं को आपूर्ति करने में मदद कर रहे हैं। इस बजट से महिलाओं को भी काफी उम्मीदें हैं।
पिछले बजट की बात करें तो सरकार ने महिलाओं के लिए कई घोषणाएं की थीं, इस बार महिलाओं को बजट से कुछ ज्यादा ही उम्मीदें हैं। पिछली बार के बजट में महिला सुरक्षा को लेकर कई घोषणाएं हुई थीं। इस बार के बजट में महिलाओं के किचन के बजट को सस्ता करने पर जोर होगा। बजट 2020 से महिलाएं चाहती हैं कि उनके घर का खर्च आराम से चले। इसमें दाल, चावल, गेहूं, फल, चीनी, सब्जी, तेल जैसी रोजाना के इस्तेमाल वाली चीजों पर कम पैसे खर्च करने पड़ें। ऐसे में हम यह कह सकते हैं कि महिलाओं के साथ आम आदमी को भी उम्मीद है कि सरकार इसे लेकर भी आम बजट में कुछ राहत देगी। आम बजट में सरकार फार्मा सैक्टर के लिए एक बड़े फार्मास्यूटिकल्स पैकेज की घोषणा कर सकती है। इस पैकेज का मकसद सस्ती दवाइयां और मैडीकल उपकरण का घरेलू स्तर पर निर्माण करना है। बजट 2020 में घरेलू कैमिकल और इलैक्ट्रॉनिक इंडस्ट्री को राहत मिल सकती है। जानकारी के मुताबिक तैयार माल की जगह कच्चे माल को सस्ते में इंपोर्ट करने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं। बजट में घरेलू इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए कैमिकल, इलैक्ट्रॉनिक आइटम के सस्ते इंपोर्ट पर शिकंजा कसा जा सकता है।
सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक बजट में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने पर जोर होगा जिसके तहत इंपोर्ट ड्यूटी में बदलाव हो सकता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर सोने पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाई जाती है तो कीमतों में गिरावट देखने को मिलेगी। क्योंकि जितनी ड्यूटी कम होगी उतने ही दाम घट जाएंगे। क्योंकि, इंपोर्ट करना सस्ता होगा तो ज्वैलर्स को भी सस्ता सोना मिलेगा, लिहाजा ज्वैलरी भी सस्ती होगी। बजट में तार्किक ड्यूटी स्ट्रक्चर के लिए कदम उठाए जाएंगे। तैयार माल के मुकाबले कच्चे माल का इंपोर्ट महंगा होगा। इस पर वित्त मंत्रालय और उद्योग मंत्रालय के बीच सहमति बनी है। उद्योग मंत्रालय की गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाने की भी मांग है। लेकिन वित्त मंत्रालय इंपोर्ट ड्यूटी घटाने के पक्ष में नहीं है। उद्योग मंत्रालय ने अपना प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को भेजा है।
बता दें कि पिछले बजट में गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़कर 12.5 फीसदी हुई थी। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, देश का सोने का आयात चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-नवम्बर अवधि में करीब 7 प्रतिशत गिरकर 20.57 अरब डॉलर का रह गया। वित्त वर्ष 2018-19 की इसी अवधि में यह आंकड़ा 22.16 अरब डॉलर था। सोने के आयात में कमी से देश के व्यापार घाटे को कम करने में मदद मिली। 2019-20 के अप्रैल-नवम्बर में व्यापार घाटा कम होकर 106.84 अरब डॉलर रहा। एक साल पहले इसी अवधि में व्यापार घाटा 133.74 अरब डॉलर था। भारत दुनिया में सबसे बड़ा स्वर्ण आयातक है और मुख्य रूप से आभूषण उद्योग की मांग को पूरा करने के लिए आयात किया जाता है। देश का सालाना स्वर्ण आयात 800-900 टन है। वहीं, रत्न एवं आभूषण निर्यात अप्रैल-नवम्बर अवधि में करीब 1.5 प्रतिशत गिरकर 20.5 अरब डॉलर रहा।
इसी तरह रोजगार के मोर्चे पर सरकार बजट में बड़ी घोषणाएं कर सकती है। नई नौकरियां पैदा करने वाली कम्पनियों के लिए कई तरह के प्रोत्साहन के ऐलान हो सकते हैं। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक बजट में नौकरियों के लिए कम्पनियों को इंसैंटिव्स देने पर विचार हो सकता है। इसके लिए सरकार प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना नियमों में बदलाव कर सकती है। पी.एफ. में एम्प्लॉयर कंट्रीब्यूशन सीमा भी बढ़ाई जा सकती है। इसकी समय सीमा 3 साल के लिए बढ़ सकती है। बजट में गैर संगठित क्षेत्र से संगठित क्षेत्र में आने पर प्रोत्साहन का प्रावधान भी हो सकता है। इसमें मार्च 2019 के बाद रजिस्टर्ड कम्पनियों को भी फायदा होगा। बजट 2020 सरकार के पास देश के आर्थिक फ्रंट पर अपनी संजीदगी को साबित करने का बेहतरीन मौका है जिसका हम सबको इंतजार रहेगा।-डा. वरिन्द्र भाटिया