Edited By ,Updated: 27 Dec, 2019 02:31 AM
ज्यादातर युवा पाठक पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष देवकांत बरुआ द्वारा एमरजैंसी के दौरान गढ़े गए बदनाम नारे के बारे में नहीं जानते। एमरजैंसी के दौरान जब तत्कालीन दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अपनी चरमसीमा पर थीं तब बरुआ ने नारा दिया था ‘इंडिया इज इंदिरा...
ज्यादातर युवा पाठक पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष देवकांत बरुआ द्वारा एमरजैंसी के दौरान गढ़े गए बदनाम नारे के बारे में नहीं जानते। एमरजैंसी के दौरान जब तत्कालीन दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अपनी चरमसीमा पर थीं तब बरुआ ने नारा दिया था ‘इंडिया इज इंदिरा एंड इंदिरा इज इंडिया’। नशे में चूर तथा अति आत्मविश्वास से भरी इंदिरा गांधी जिन्होंने 1975 में एमरजैंसी लगाई थी, ने इस धारणा के साथ आशा जताई कि देश के लोग कांग्रेस को फिर जिताएंगे तथा उनके नेतृत्व में पार्टी शानदार जीत प्राप्त करेगी। 1977 में एमरजैंसी हटाने के बाद कांग्रेस पार्टी सत्ता से बाहर हो गई।
पूर्व के इतिहास से सबक लेने की बजाय इसको भुलाए बैठी है भाजपा
हालांकि जनसंघ जोकि भारतीय जनता पार्टी का पूर्वकालीन अवतार था, जनता पार्टी सरकार का हिस्सा था, जिसने सत्ता संभाली। अब भाजपा पूर्व के इतिहास से सबक लेने की बजाय इसको भुलाए बैठी है। मोदी सरकार ने अपने पिछले 5 सालों के शासन के दौरान संयम बरते रखा मगर इस वर्ष दोबारा सत्ता में लौटने के बाद वह निडर हो चुकी है। देशव्यापी प्रदर्शनों के बावजूद पार्टी अपने एजैंडे को थोपने के लिए जल्दी में है। हालांकि देश भर में नागरिकता संशोधन एक्ट तथा उसके बाद नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एन.आर.सी.) को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कई दिनों से एकांत में चले गए थे। वास्तव में मोदी उस समय भी रहस्यमयी ढंग से गैर-हाजिर थे जब उनके गृह मंत्री अमित शाह संसद में विवादास्पद विधेयक का संचालन कर रहे थे। दिल्ली के रामलीला मैदान में प्रधानमंत्री के भाषण ने कई अनसुलझे सवालों को छोड़ दिया। उन्होंने दावा किया कि एन.आर.सी. के बारे में चर्चा नहीं हुई। ऐसा ही दावा उनके कई नेता भी करते आए। उन्होंने स्पष्ट रूप से इसे नकारा नहीं और न ही इसकी समीक्षा का कोई प्रस्ताव रखा।
ऐसे ही एक और हमले में मोदी तथा उनकी पार्टी सरकार की आलोचना करने वाले को अर्बन नक्सल बता रही है। इसी मुद्दे पर मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधा। हालांकि प्रदर्शनों के दौरान मारे गए युवकों के प्रति उन्होंने कोई संवेदना प्रकट नहीं की। इसके विपरीत उन्होंने इस मुद्दे को भटका कर कहा कि विपक्ष का मोदी को सत्ता से सत्ताहीन करने का इरादा है।
मीडिया के सवालों के जवाब नहीं देते मोदी
अमित शाह तथा अन्य कई नेता यह दोहराते आए हैं कि सी.ए.ए. तथा एन.आर.सी. को आपस में लिंक किया गया है। मोदी ने इस बात को नकारा है। उनके पूर्व के स्टैंड से यह बिल्कुल विपरीत बात है। इस मुद्दे को और जटिल बनाते हुए सरकार ने यह घोषणा की कि नैशनल पापुलेशन रजिस्टर (एन.पी.आर.) को अपडेट किया जा रहा है। हालांकि गृह मंत्री अमित शाह ने दोहराया है कि इसे एन.आर.सी. से लिंक नहीं किया गया, जबकि मीडिया का रिकार्ड बताता है कि शाह तथा उनके सहयोगियों ने नौ बार पूर्व में कहा है कि एन.पी.आर. में उपलब्ध करवाई गई सूचना का इस्तेमाल एन.आर.सी. के लिए किया जाएगा।
मोदी का अवांछनीय रिकार्ड बताता है कि वह मीडिया के सवालों के जवाब नहीं देते (ऐसा करने वाले शायद वह विश्व में किसी भी लोकतांत्रिक देश के इकलौते नेता हैं) सार्वजनिक रैलियों को सम्बोधित करने या फिर ‘मन की बात’ करने के दौरान मोदी एकतरफा संवाद करना पसंद करते हैं। सरकार के आगे घुटने टेकने वाला मीडिया का एक बहुत बड़ा हिस्सा‘गोदी मीडिया’ कहलाता है। कुछ वरिष्ठ टी.वी. पत्रकार जो मोदी तथा शाह से विशेष इंटरव्यू करने के बाद उनका अनुग्रह प्राप्त किए हुए हैं, हंसते हुए अपना अपमान झेल लेते हैं। उच्चकोटि के दोनों नेता अपनी आलोचना पसंद नहीं करते। उन पर मर मिटने वाले उनके समर्थक किसी भी हिस्से से अपने नेताओं की आलोचना बर्दाश्त नहीं करते। ये लोग मोदी तथा शाह की किसी भी आलोचना के बारे में सदैव जागरूक रहते हैं तथा आलोचकों के मुंह पर चांटा मारने के लिए किसी भी अभद्र भाषा तथा चुनी हुई गालियों का इस्तेमाल करते हैं।
जैसा चाहे वैसा बोलते हैं भाजपा नेता
विधानसभा चुनावों में इस वर्ष शुरूआती दौर में एक नेता ने तो यह दावा कर दिया कि भाजपा यह जानती है कि किसने उनके हक में वोट दिया और किसने नहीं दिया। हरियाणा के भाजपा विधायक लीलाराम गुर्जर ने कुछ दिन पहले कहा कि यह मोदी का हिन्दुस्तान है तथा एक घंटे में ही इसे स्वच्छ कर दिया जाएगा। हालांकि उन्होंने यह अंदाजा लगाने के लिए कुछ नहीं छोड़ा कि वह किस तरह की स्वच्छता की ओर इशारा कर रहे हैं। जब उन्होंने यह कह दिया कि ‘‘मियां जी अब यह हिन्दुस्तान मोदी जी का है, अगर इशारा हो गया न, एक घंटे के अंदर सफाई कर देंगे।’’ ऐसी बातें बोलने के लिए इन नेताओं को छूट दे रखी है जो जैसा चाहे वैसा बोल सकते हैं। ऐसे नेता इंदिरा गांधी के लिए गढ़े गए देवकांत बरुआ के नारे की याद दिलाते हैं। वह सोचते हैं कि सरकार की ऐसी कोई भी आलोचना देश को कमजोर करने का प्रयास है तथा यह आदेशभक्ति है। उनके लिए सरकार तथा राष्ट्र में कोई फर्क नहीं। इस तरह जो लोग मोदी सरकार की आलोचना करते हैं वे किसी देशद्रोही से कम नहीं हैं। पांच राज्यों के हाल ही के नतीजे सरकार के लिए किसी चुनौती की घंटी से कम नहीं, जो यह बताते हैं कि मतदाता सब कुछ जानता है। आलोचना झेलने की योग्यता तथा गलतियों को सुधारने की धारणा से भाजपा के साथ-साथ देश का भला होगा।-विपिन पब्बी