पुलिस से बचने के लिए किन्नरों से काम लेने लगे ‘नशों के सौदागर’

Edited By ,Updated: 16 Feb, 2019 04:38 AM

to avoid the police they started working with the kidnappers

एंटी नारकोटिक्स सैल (ए.एन.सी.) की कांदिवली इकाई द्वारा हाल ही में नशे के सौदागरों पर बोले गए धावे, जिसमें उन्होंने 70 लाख रुपए की 70 किलो भांग पकड़ी, में उन्होंने नशे के व्यापारियों द्वारा इस्तेमाल में लाई जाने वाली एक नई चाल का भी पर्दाफाश किया।...

एंटी नारकोटिक्स सैल (ए.एन.सी.) की कांदिवली इकाई द्वारा हाल ही में नशे के सौदागरों पर बोले गए धावे, जिसमें उन्होंने 70 लाख रुपए की 70 किलो भांग पकड़ी, में उन्होंने नशे के व्यापारियों द्वारा इस्तेमाल में लाई जाने वाली एक नई चाल का भी पर्दाफाश किया। पुलिस को यह तब देखने को मिला जब गत सप्ताह उसने दहिसर में ड्रग्स के व्यापार का पर्दाफाश किया। पुलिस के अनुसार 6 फरवरी को जब ए.एन.सी. की कांदिवली यूनिट के पुलिस इंस्पैक्टर प्रवीण कदम के नेतृत्व में दो टीमों ने दहिसर में रेल लाइनों से लगते अम्बुजवाड़ी की एक झोंपड़पट्टी में छापा मारा तो उन्हें हैरानीजनक संख्या में किन्नर मिले, जो छापों से उनका ध्यान हटाने का प्रयास कर रहे थे। 

पुलिस को भटकाने का प्रयास
ए.एन.सी. के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह एहसास होते ही कि हम पुलिस से हैं, बड़ी संख्या में किन्नरों ने उनकी जांच में बाधा डालने तथा उन्हें भटकाने का प्रयास किया। चूंकि गलियां संकरी थीं इसलिए पुलिस की टीमें एक कतार में चल रही थीं। उस समय एक किन्नर ने बीच में दखल देते हुए उनसे धन की मांग की। कुछ कदम आगे एक अन्य ने उन्हें कोई झूठी सूचना देकर उनका ध्यान भटकाने तथा समय बर्बाद करने का प्रयास किया। बाद में खुलासा हुआ कि जब पुलिस का ध्यान भटकाया जा रहा था, तब किन्नरों का एक अन्य दल आरोपियों को पुलिस के जाल से भागने के लिए सतर्क कर रहा था। हालांकि पुलिस की एक टीम समय पर पहुंच गई और आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। 

6 फरवरी को अम्बुजवाड़ी में उस छापे के दौरान पुलिस ने क्षेत्र के मुख्य नशा तस्कर लक्ष्मी वेलनदास उर्फ बॉस को उसके सहयोगियों सम्पूर्ण मिस्त्री तथा भरत शाह के साथ दबोचा। आरोपी तिकड़ी को नारकोटिक ड्रग एंड साइकोट्रोपिक सबस्टांसिज (एन.डी.पी.एस.) कानून की संबंधित धाराओं के अंतर्गत जेल भेज दिया गया। ए.एन.सी. प्रमुख शिवदीप लांडे ने बताया कि ड्रग माफिया पुलिस को गुमराह करने तथा गिरफ्तारी से बचने के लिए अपनी रणनीतियों तथा चालों में बदलाव करता रहता है। एक सूचना के अनुसार नशे के सौदागर अपने सौदों में कुछ हिस्सा इन किन्नरों को देते हैं, जो बदले में पुलिस छापों के दौरान उनका बचाव करते हैं। चूंकि कोई भी किन्नरों से उलझना नहीं चाहता और उनसे दूर रहना चाहता है, नशों के सौदागर इस स्थिति का लाभ उठाकर बच निकलते हैं। 

प्रवेश व निकास मार्गों पर तैनाती
पुलिस ने बताया कि किन्नर नशे के सौदागरों के लिए सुरक्षा की बाहरी परत के तौर पर काम करते हैं और उन्हें झोंपड़पट्टी क्षेत्रों के विभिन्न प्रवेश तथा निकासी मार्गों पर तैनात किया जाता है। जब कभी भी पुलिस कर्मी इन क्षेत्रों में नशों के व्यापार का घेरा तोडऩे का प्रयास करते हैं, किन्नर पुलिस को गुमराह तथा नशे के सौदागरों को सतर्क करने का प्रयास करते हैं। ऐसी घटनाएं अब आम हो गई हैं। पुलिस के अनुसार नशे के सौदागरों ने किन्नरों को एक तरह से नौकरी पर ही रख लिया है, जो पुलिस कार्रवाई के दौरान जानबूझ कर दखल देते हैं और कई बार तो पुलिस कर्मियों के साथ उनकी गरमा-गरमी भी हो जाती है। नशों के सौदागर ऐसे किन्नरों को ही काम पर लगाते हैं जो पुलिस के साथ उलझने के लिए काफी दिलेर होते हैं। 

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि यदि अधिकारी आपत्ति जताते हैं तो किन्नर गाली-गलौच पर उतर आते हैं, जिससे एक ऐसा दृश्य बन जाता है जैसे कि उनसे छेड़छाड़ या उन पर हमला किया गया हो। इस तरह से पुलिस अधिकारी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई करने से बचते हैं। पुलिस ने बताया कि किन्नरों की मदद से पुलिस कर्मियों को ऐसे स्थानों पर आसानी से गुमराह किया या भटकाया जा सकता है, जहां रास्ते भूलभुलैयां जैसे हों। 

गरीबों की कमजोरियों का शोषण
पुलिस रिपोर्ट्स  के अनुसार नशों के सौदागर आम तौर पर झोंपड़पट्टी के लोगों की कमजोरियों का शोषण करके उन्हें मारिजुआना, भांग, कफ सिरप, गोंद तथा कई अन्य तरह के सस्ते नशों के आदी बना देते हैं। अपने छोटे लेकिन लाभकारी व्यवसायों को सुरक्षित रखने तथा पुलिस के राडार से दूर रहने के लिए ऐसे तरीकों का इस्तेमाल गिरफ्तारी से बचने हेतु किया जाता है।-पी. नवलकर

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