यातायात अपराधों से कड़ाई के साथ निपटा जाना चाहिए

Edited By Pardeep,Updated: 06 Jul, 2018 03:04 AM

traffic crimes should be dealt with strictly

दुनिया भर में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों के अतिरिक्त गम्भीर चोटें लगने के कारण अपाहिज की तरह जीवन बिताने के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा उपलब्ध करवाए गए अंतर्राष्ट्रीय डाटा के अनुसार विश्व में प्रतिदिन 3500 लोग...

दुनिया भर में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों के अतिरिक्त गम्भीर चोटें लगने के कारण अपाहिज की तरह जीवन बिताने के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा उपलब्ध करवाए गए अंतर्राष्ट्रीय डाटा के अनुसार विश्व में प्रतिदिन 3500 लोग प्रतिदिन सड़कों पर मारे जाते हैं। 

जहां तक सड़क दुर्घटनाओं तथा उनमें होने वाली मौतों की संख्या का संबंध है तो भारत प्रमुख देशों में शामिल है और देश में भी पंजाब तथा हरियाणा शीर्ष राज्यों की संदिग्ध सूची में शामिल हैं। 2016 के दौरान पंजाब में सड़कों पर कुल 5077 लोग मारे गए जबकि इसी समय के दौरान हरियाणा में यह संख्या 5026 थी। हालांकि सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में इसी समय काल के दौरान सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए लोगों की संख्या 19320 के साथ सबसे अधिक रही। 

जहां ये आंकड़े दिमाग को झकझोरने वाले तथा अत्यंत चिंताजनक हैं, वहीं ऐसी दुर्घटनाओं के पीछे मानवीय दुखांत की थाह लेना अत्यंत कठिन है। कितने ही परिवार अपने रोजी-रोटी कमाने वाले को खो देते हैं या बच्चे अपने पिताओं को अथवा पत्नियां विधवा बन जाती हैं। जो लोग पीछे रह जाते हैं उनकी यातनाएं बहुत बड़ी होती हैं। यातायात विशेषज्ञों का कहना है कि दुर्घटनाओं के दो मुख्य कारण शराब पीकर गाड़ी चलाना तथा अत्यधिक रफ्तार हैं। इन दोनों अपराधों के साथ अत्यंत कड़ाई के साथ निपटा जाना चाहिए। 

सुप्रीम कोर्ट ने शराब पीकर गाड़ी चलाने के खतरे से निपटने के लिए प्रयास किए मगर इसके आदेशों पर अमल नहीं किया गया और परिणामस्वरूप इन्हें वापस ले लिया गया। उच्चमार्गों से शराब की दुकानों को 500 मीटर दूर ले जाना ही मात्र समस्या का समाधान नहीं है। इससे वास्तव में स्थिति और भी खराब हो गई। न ही इसका उत्तर शराबबंदी है, जो अमरीका सहित विश्व भर में असफल रही है। भारी जुर्मानों के अतिरिक्त जबरदस्त जागरूकता अभियान, जैसे कि सरकार तम्बाकू तथा सिगरेटनोशी के खिलाफ चला रही है, अधिक प्रभावी निवारक हो सकते हैं। 

इसी तरह तेज रफ्तारी के साथ भी मजबूत हाथों से निपटा जाना चाहिए। एक जोरदार विज्ञापन तथा जागरूकता अभियान, जिसमें स्कूली बच्चे शामिल हों तथा भारी जुर्माने लगाना इस खतरे से निपटने के लिए दूरगामी साबित हो सकता है। दरअसल सड़क दुर्घटनाओं तथा यातायात नियमों के उल्लंघनों, जैसे कि लालबत्ती जम्प करना, लेन बदलना तथा शराब पीकर ड्राइविंग करने के खिलाफ अभियानों का नेतृत्व बच्चों से ही करवाना चाहिए। चंडीगढ़ पुलिस, जिसने यातायात नियम लागू करके पहले ही अपने लिए नाम कमाया है, की सड़कों पर अनुशासन लाने के लिए अवश्य प्रशंसा की जानी चाहिए। पड़ोसी राज्यों तथा देश के अन्य हिस्सों से आने वाले वाहन चालक चंडीगढ़ में प्रवेश करते ही अत्यंत सतर्क हो जाते हैं। बेशक इसमें कुछ काली भेड़ें भी हो सकती हैं मगर सामान्यत: यातायात पुलिस अपने काम में ईमानदार है। 

घूस की घटनाओं से बचने तथा चालान की प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने के लिए अब इसके कर्मचारियों के लिए बॉडी कैमरा लगाना जरूरी कर दिया गया है। यातायात का उल्लंघन करने वालों के साथ बातचीत तथा अन्य गतिविधियां रिकार्ड होती हैं और उसी समय वरिष्ठ अधिकारी ऑनलाइन स्कैन करके भी देखते हैं। इसके अतिरिक्त सी.सी.टी.वी. कैमरे लगी मोबाइल वैन्स चैकिंग ड्यूटी पर लगे कर्मचारियों के समूहों के साथ होती हैं। इसके साथ ही अधिकारियों ने आदेश दिया है कि चालान की प्रक्रिया में कोई नकदी शामिल नहीं होगी। चालान अथवा जुर्माने की राशि क्रैडिट अथवा डैबिट काडर््स के माध्यम से या ट्रैफिक लाइंस पर चुकाई जा सकती है। 

पंजाब के राज्यपाल एवं यू.टी. के प्रशासक वी.पी. सिंह बदनौर द्वारा नियुक्त वरिष्ठ तथा प्रमुख नागरिकों की एक समिति उठाए जा रहे कदमों पर नजर रखती है तथा और अधिक उपायों के लिए सुझाव देती है। कोई हैरानी नहीं कि गत कुछ महीनों के दौरान दुर्घटनाओं, जिनमें मौतें भी शामिल होती हैं, की संख्या में कमी आई है जबकि चालानों की संख्या दोगुनी से भी अधिक हो गई है। नियमित अभियानों, जिनमें बच्चे तथा नागरिक शामिल होते हैं, के अतिरिक्त चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस ने आवाज के प्रदूषण के स्तरों को कम करने के लिए ‘नो होंकिंग’ जैसा प्रशंसनीय अभियान शुरू किया है। 

यह परिवारों के लिए महत्वपूर्ण है कि वे अपने सदस्यों को शिक्षित करें और यहां तक कि उन्हें सावधानीपूर्वक ड्राइव करने के लिए बाध्य करें। यह भी बहुत महत्वपूर्ण है कि वे अपने कम उम्र बच्चों को वाहन चलाने की इजाजत न दें तथा सुनिश्चित करें कि पात्र चालक सीट बैल्ट अथवा उचित हैल्मेट पहने। पड़ोसी राज्यों को चंडीगढ़ पुलिस से अवश्य मूल्यवान सुझाव लेने चाहिएं जो सड़क दुर्घटनाओं की संख्या कम करने के लिए सोशल मीडिया का भी प्रभावी इस्तेमाल करती है।-विपिन पब्बी

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