‘गर्लफ्रैंड के साथ झगड़ा’ : जॉनसन की ब्रिटिश प्रधानमंत्री पद की दावेदारी संकट में

Edited By ,Updated: 26 Jun, 2019 05:02 AM

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कौन बनेगा प्रधानमंत्री? यह प्रश्न भारत में कई महीनों तक गॢदश करता रहा है। नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री चुन कर भारत ने तो इस समस्या को सुलझा लिया है लेकिन अब इंगलैंड अपना नया नेता चुनने की उलझन में फंसा हुआ है। थेरेसा मे द्वारा प्रधानमंत्री पद से...

कौन बनेगा प्रधानमंत्री? यह प्रश्न भारत में कई महीनों तक गॢदश करता रहा है। नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री चुन कर भारत ने तो इस समस्या को सुलझा लिया है लेकिन अब इंगलैंड अपना नया नेता चुनने की उलझन में फंसा हुआ है। थेरेसा मे द्वारा प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र दिए जाने के बाद उनकी  गद्दी पर बैठने की जंग जोरों से जारी है। कौन बनेगा प्रधानमंत्री, पता चलेगा 22 जुलाई को।

नया प्रधानमंत्री चुनना है सिर्फ वर्तमान सत्ताधारी टोरी पार्टी के सदस्यों ने। इस विषय पर अपने पिछले लेख में मैंने विस्तार से लिखा था कि  मैदान में उतरे 10 उम्मीदवारों में से टोरी पार्टी के 313 संसद सदस्य वोटिंग द्वारा 8 प्रत्याशियों की छंटनी करके आखिरी मुकाबले के लिए केवल 2 उम्मीदवार चुनेंगे। चुने गए प्रत्याशियों में से एक तो हैं पूर्व विदेश मंत्री बोरिस जॉनसन और दूसरे हैं वर्तमान विदेश मंत्री जेरेमी हंट। प्रधानमंत्री का मुकुट कौन पहनेगा, इसका फैसला करेंगे सारे देश से टोरी पार्टी के सदस्य। उनकी संख्या है 1,60,000।  विभिन्न नगरों में सभाओं का आयोजन किया जाएगा, जिनमें दोनों उम्मीदवार वोटर सदस्यों के समक्ष अपना-अपना  पक्ष रखेंगे और उनके प्रश्नों का उत्तर देंगे। सदस्य अपना फैसला डाक द्वारा गुप्त वोटों से देंगे। 

वोट हासिल करने के लिए दोनों उम्मीदवारों का अभियान जोरों पर है। संसद सदस्यों द्वारा उम्मीदवारों की छंटनी का क्रम 5 दौरों में चला था और हर दौर में सबसे ज्यादा वोट हासिल किए थे बोरिस जॉनसन ने। हर दौर के बाद उनके वोट बढ़ते ही चले गए। आखिरी गिनती में उनके वोटों की संख्या प्रतिद्वंद्वी के मुकाबले में दोगुनी थी। 

बना-बनाया खेल कहीं बिगड़ न जाए
चरित्र और स्वभाव से बोरिस जॉनसन कब और किस वक्त क्या कुछ विचित्र कर बैठें, किसी को कुछ पता नहीं होता। चुनाव वातावरण उनके पक्ष में चल रहा था। मीडिया,ओपिनियन पोल और बुकी भी बहुधा उनकी सफलता के अनुमान लगा रहे थे कि अचानक बिजली-सी गिरी। अपनी गर्लफ्रैंड के साथ उनकी कोई घटना हो गई, जिसके बाद हवा का रुख कुछ बदल-सा गया है। उन दोनों के बीच क्या कुछ हुआ, किसी को पक्के तौर पर पता नहीं लेकिन जो कुछ भी हुआ है विपक्षी उसे खूब उछाल रहे हैं। मानो बिल्ली के भागों छींका टूटा हो। मामले को खूब तूल दिया जा रहा है। ओपिनियन पोलों में बोरिस के वोटों की गिनती कम हो रही है, जिससे आशंकाएं पैदा हो रही हैं कि  घटना उनके बने-बनाए खेल को बिगाडऩे का कहीं कारण न बन जाए।

गर्लफ्रैंड के फ्लैट से चीखें 
पिछले शुक्रवार रात गए बोरिस जॉनसन की गर्लफ्रैंड के फ्लैट के अंदर  से जोर-जोर की आवाजें और चीख-ओ-चिल्लाहट सुनी तो पड़ोसियों ने ङ्क्षचतित होकर पुलिस को फोन कर दिया। पुलिस ने आकर छानबीन की तो कुछ ऐसा नहीं पाया जिसे वह कोई गंभीर वारदात समझती। न कोई रिपोर्ट  लिखी गई, न ही कोई मामला दर्ज किया गया। कानून विरुद्ध अगर कुछ जरा-सी भी बात हुई हो तो इस देश की पुलिस उसे रफा-दफा नहीं कर सकती, छुपा नहीं सकती और वह भी ऐसी सूरत में जिसका संबंध मशहूर राजनीतिक हस्ती से हो, जिसे प्रधानमंत्री बनाने का जोरदार समर्थन स्वयं अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प तक ने किया हो। 

फिर भी कुछ तो हुआ है जिसका इतना शोर है। सभी समाचार पत्रों के प्रथम पृष्ठ मोटे शीर्षकों के साथ इसी घटना के बारे भरे हुए हैं, टी.वी. चैनलों पर चर्चे हैं, राजनेता लोग तरह-तरह के बयान दे रहे हैं। मामला बन गया है एक गंभीर विषय, जिसके भीषण राजनीतिक परिणाम निकलने की आशंका पैदा होने लगी है। हुआ क्या है? न तो स्वयं बोरिस जॉनसन कुछ बता रहे हैं न ही उनकी गर्लफ्रैंड कैरी सैयमोंड्स। पुलिस को फोन करने वाले पड़ोसियों ने जो कुछ बताया है उसके अनुसार उन्होंने कैरी के फ्लैट से आधी रात गए जोर-जोर से चीखने -चिल्लाने की आवाजें सुनीं। कैरी को यह कहते सुना, ‘‘मेरे से दूर हो जाओ, मेरे फ्लैट से निकल जाओ।’’  जॉनसन कह रहा था, ‘‘मेरे लैपटॉप को छोड़ दो।’’ प्लेटें टूटने की आवाजें भी सुनी गईं, शोर-शराबे का  सिलसिला काफी देर तक चलता रहा। इससे कैरी की सुरक्षा के बारे में चिंतित होकर हमने पुलिस को फोन कर दिया। उसके सोफे पर रैड वाइन गिरने पर झगड़ा हुआ, ऐसी चर्चा भी सुनने को आई है। 

प्रेम-संबंधों के चर्चे
यह बताया गया है कि भारतीय मूल की अपनी 25 वर्ष से ब्याहता पत्नी और उससे 4 बच्चों की मां से 8 माह पूर्व तलाक के बाद  बोरिस  गर्लफ्रैंड कैरी के फ्लैट पर रह रहे थे। उनके प्रेम-संबंध के चर्चे मीडिया और राजनीतिक क्षेत्रों में खूब चलते रहे हैं।  चूंकि अब वह प्रधानमंत्री पद के निश्चित प्रत्याशी समझे जा रहे थे, इस घटना ने एक स्कैंडल का रूप धारण कर लिया है। बोरिस पर दबाव बढ़ रहा है कि वह खुल कर बताएं कि उस रात क्या हुआ था। 

बोरिस अभी खामोश हैं। उनकी इस खामोशी का समर्थन ब्रिटिश समाज का एक भारी वर्ग यह दलील देकर कर रहा है कि यह बोरिस और कैरी का निजी मामला है। इसमें दखल देने या उसकी गहराई में जाने का किसी को कोई अधिकार नहीं। ब्रिटिश समाज की यह पुरानी परम्परा है कि राजनीति को निजी मामलों से प्रभावित नहीं होने दिया जाता। राजनीति और निजी जीवन दोनों का आपस में दखल नहीं होने दिया जाता परन्तु विपक्षी इसे स्वीकार नहीं कर रहे। उन्हें तो मौका मिल गया है बोरिस जॉनसन के खिलाफ खूब मिट्टी उछालने का। उनका कहना है कि चूंकि बोरिस प्रधानमंत्री पद के लिए खड़े हैं, इस घटना को निजी कह कर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसका संबंध देश के भविष्य से है कि उसका भावी नेता किस प्रकृति का है। 

आने वाले दिनों में बोरिस विरोधी ग्रुप यह मामला खूब उछालेगा, यह निश्चित है। वोट डालते वक्त टोरी मैम्बर इसे किस रूप में लेते हैं, यह वक्त ही बताएगा लेकिन इतना जरूर मानना पड़ेगा कि प्रधानमंत्री के रूप में बोरिस का चुनाव जहां प्राय: निश्चित-सा लग रहा था, वहां इस घटना का कुछ विपरीत प्रभाव पड़ता जरूर नजर आ रहा है।-कृष्ण भाटिया
 

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