गांधी जी के विचारों व सिद्धांतों का अनुसरण ही उनको ‘सच्ची श्रद्धांजलि’

Edited By ,Updated: 03 Oct, 2019 12:45 AM

true tribute  to gandhiji following his thoughts and principles

अमरीका  के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को राष्ट्रपिता (फादर ऑफ इंडिया) कह कर हर किसी को चौंका दिया। ट्रम्प को भारत के इतिहास तथा महात्मा गांधी की स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका, जिसने उन्हें राष्ट्रपिता का...

अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को राष्ट्रपिता (फादर ऑफ इंडिया) कह कर हर किसी को चौंका दिया। ट्रम्प को भारत के इतिहास तथा महात्मा गांधी की स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका, जिसने उन्हें राष्ट्रपिता का विशेषण दिलाया, की जानकारी न होने के लिए माफ किया जा सकता है।

इस बात की सम्भावना है कि खुद मोदी ट्रम्प द्वारा उन्हें ऐसा कहने पर अधिक खुश नहीं हैं, हालांकि सम्भवत: उन्होंने इस पर विश्वास करना शुरू कर दिया है कि वह भारत के महानतम नेताओं में से एक हैं। विडम्बना यह है कि ट्रम्प की टिप्पणी महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के वर्ष में की गई, जिन्होंने अपने अहिंसा के सिद्धांत के साथ ब्रितानियों को बाहर निकालने के लिए देश का नेतृत्व किया।

मोदी लम्बे समय से महात्मा गांधी के नाम का आह्वान कर रहे हैं और अपने पूर्ववर्ती कार्यकाल के दौरान उन्होंने घोषणा की थी कि स्वच्छ भारत कार्यक्रम उनको समर्पित होगा। गांधी जी की 150वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देने तथा देश को खुले में शौच से मुक्त घोषित करने के लिए वह साबरमती आश्रम में थे।

अनुसरण या दिखावा
मगर क्या वास्तव में हम अथवा सरकार राष्ट्रपिता के प्रिय मूल सिद्धांतों का अनुसरण कर रहे हैं या फिर हम केवल दिखावटी प्रेम दर्शा रहे हैं। अब इसी दावे को लेते हैं कि देश में कहीं भी खुले में शौच नहीं किया जाता। क्या इस पर विश्वास किया जा सकता है? केवल भारतीय जनता पार्टी के अंध समर्थक ही इसके सच होने का दावा करेंगे। उनको सलाह दी जाती है कि झोंपड़पट्टी इलाकों, छोटे शहरों, छोटे नगरों तथा गांवों में जाकर देखें कि क्या यह सही है। आपको अभी भी हजारों लोग मजबूरी में ऐसा करते मिल जाएंगे और वे इसलिए ऐसा नहीं करते कि उन्हें ऐसा करना पसंद है।

ऐसा नहीं है कि सरकार ने प्रयास नहीं किए। इसने किए हैं और इसके द्वारा शुरू किया गया जागरूकता अभियान प्रशंसनीय है। निश्चित तौर पर स्थिति में काफी सुधार है लेकिन अभी बहुत और किए जाने की जरूरत है। खुद की पीठ थपथपाना और यह दावा करना कि देश ने इस समस्या से छुटकारा पा लिया है, सच नहीं है। हैरानी होती है कि महात्मा गांधी ऐसे बेतुके दावे पर कैसे प्रतिक्रिया व्यक्त करते।

विभिन्न समुदायों के बीच संदेह
गांधी की दो विशेषताएं अलग से दिखाई देती हैं और आधुनिक समय में बहुत प्रासंगिक हैं। पहली थी साम्प्रदायिक सौहार्द तथा दूसरी थी लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास और इन दोनों उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए अहिंसा का इस्तेमाल। दुर्भाग्य से जो लोग साम्प्रदायिक विसंगति के लिए जिम्मेदार हैं, वे उन लोगों में शामिल हैं, जो उनके रास्ते पर चलने का दावा करते हैं। स्वतंत्रता संग्राम से लेकर तथा जिसने गत कुछ वर्षों के दौरान नीचे की ओर तीखा मोड़ लिया है, सम्भवत: भारतीय समाज का एकमात्र सर्वाधिक अध: पतन, विभिन्न समुदायों के बीच संदेह का बढऩा है, विशेषकर हिन्दुओं तथा मुसलमानों के बीच।

अभी भी जनसंख्या का एक बड़ा प्रतिशत और निश्चित तौर पर बहुमत से कहीं अधिक, साम्प्रदायिक सौहार्द में विश्वास करता है तथा किसी भी पक्ष बारे सख्त विचार नहीं देता। मगर इस मूक बहुमत की आवाज उन लोगों की ऊंची आवाजों व चिल्लाहटों में दब जाती है, जिनका रवैया आक्रामक होता है। इनमें नेता तथा उनके समर्थक दोनों ही शामिल होते हैं। जो मूक बहुमत में होते हैं, वे हैं जो वोट डालने के लिए भी बाहर नहीं आते तथा चुपचाप देखने को अधिमान देते हैं। निश्चित तौर पर यह एक ऐसी विशेषता है जिसे महात्मा गांधी पसंद नहीं करते। सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह घोषणा करने पर कि वह विवादित रामजन्म भूमि मुद्दे पर 18 अक्तूबर को निर्णय सुनाएगी, देश में पहले ही काले बादल घिरने शुरू हो गए हैं। जनता के बन रहे मूड को देखते हुए यह अनुमान लगाना कठिन है कि निर्णय सभी संबंधित पक्षों को स्वीकार्य होगा। हम केवल यह आशा तथा प्रार्थना कर सकते हैं कि निर्णय के बाद का माहौल हिंसामुक्त रहे।

लोकतंत्र व लोकतांत्रिक मूल्य
गांधी का अन्य जुनून लोकतंत्र तथा लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए था। एक के बाद एक आने वाली सरकारों ने उस पर प्रतिबंध जारी रखे तथा वर्तमान सरकार ने कुछ कड़े कदम उठाए हैं। उदाहरण के लिए ब्रिटिश काल का देशद्रोह का कानून राजनीतिक कार्यकत्र्ताओं, विचारकों, लेखकों, पत्रकारों और यहां तक कि अभिनेताओं के खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा था। अदालतों द्वारा कई बार ऐसे मामलों में दखल देने के बावजूद किसी सरकार ने कानून को समाप्त नहीं किया।

इसी तरह कश्मीर घाटी में इस समय जो हो रहा है वह अप्रत्याशित है। वहां सब कुछ बंद है तथा इंटरनैट व मोबाइल सेवाओं पर गत दो महीनों से रोक है। हैरान हूं कि यदि इस समय महात्मा गांधी होते तो वह क्या करते? हम सभी जानते हैं कि वह उस समय भी बंगाल में साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए काम कर रहे थे जब देश अपनी स्वतंत्रता का जश्न मना रहा था तथा लाल किले पर तिरंगा फहराता देखने के लिए दिल्ली में लाखों की संख्या में लोग एकत्र हो गए थे। हमें अभी भी महात्मा गांधी के विचारों तथा सिद्धांतों से काफी सीखने की जरूरत है। उनको सच्ची श्रद्धांजलि देने का वही एकमात्र रास्ता होगा।-विपिन पब्बी 
 

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!