ट्रम्प तथा मोदी कई मायनों में एक जैसे

Edited By ,Updated: 26 Sep, 2019 02:43 AM

trump and modi are alike in many ways

अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प तथा हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दोनों ही महान शोमैन हैं और कई विशेषताएं सांझी करते हैं जिसके परिणामस्वरूप दोनों के बीच एक शानदार तालमेल बन गया है। ह्यूस्टन में आयोजित मैगा इवैंट ‘हाऊडी मोदी’ इससे पहले मैडिसन...

अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प तथा हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दोनों ही महान शोमैन हैं और कई विशेषताएं सांझी करते हैं जिसके परिणामस्वरूप दोनों के बीच एक शानदार तालमेल बन गया है। ह्यूस्टन में आयोजित मैगा इवैंट ‘हाऊडी मोदी’ इससे पहले मैडिसन स्क्वायर तथा सिलीकॉन वैली में आयोजित कार्यक्रमों, जहां उन्होंने अपने पहले कार्यकाल के दौरान विदेश में बसे भारतीय समुदाय को प्रभावित किया था, से भी कहीं अधिक सफल था। नवीनतम कार्यक्रम ट्रम्प की उपस्थिति के कारण और भी अधिक भव्य बन गया था, जो उस देश के इतिहास में सम्भवत: अप्रत्याशित था। 

मतदाता तथा समर्थक
स्वाभाविक था कि दोनों उपस्थित भीड़ के लिए कम बल्कि अपने घरेलू मतदाताओं तथा समर्थकों के लिए मंच अधिक सांझा कर रहे थे। मोदी हर बार ऐसा ही करते हैं, चाहे संसद में बोल रहे हों या अपने ‘मन की बात’ सांझी करने के लिए लाल किले से राष्ट्र को सम्बोधित कर रहे हों। लेकिन इस वक्त राष्ट्रपति ट्रम्प के लिए दाव और भी ऊंचे हैं, जो लगभग एक वर्ष बाद दूसरे कार्यकाल के लिए चुनावों का सामना करेंगे। स्पष्टतया ट्रम्प समर्थन के लिए अमरीका में बड़ी संख्या में रह रहे भारतीय समुदाय पर भरोसा कर रहे हैं। समुदाय, जिसने दिखता है मोदी को पूरी तरह से विस्मित कर दिया था, के इस आशा में ट्रम्प का समर्थन करने की सम्भावना है कि मोदी अमरीकी राष्ट्रपति को उनके प्रवासी-विरोधी रवैये पर धीरे कदम उठाने के लिए प्रभावित कर सकेंगे। 

महान शोमैन होने के अतिरिक्त दोनों नेता मुखर होने के साथ-साथ प्रथाओं तथा मान्यताओं को तोडऩे के लिए तैयार के तौर पर भी जाने जाते हैं। इसके साथ ही दोनों नेता अपने आलोचकों तथा राजनीतिक विरोधियों पर हमला करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। ट्रम्प ने कई अवसरों पर पूर्व राष्ट्रपतियों की आलोचना की है तथा वर्तमान स्थिति के लिए उन्हें दोषी ठहराया है। हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ अपनी संयुक्त प्रैस कांफ्रैंस के दौरान उन्होंने स्पष्ट तौर पर अपने पूर्ववर्ती ओबामा की देश के लिए उनकी नीतियों की आलोचना की थी। मोदी भी देश के सामने अब खड़ी कई समस्याओं के लिए भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को दोष देते हैं। 

एक अन्य स्वभाव जो दोनों में एक-सा है, वह है किसी भी तरह की आलोचना को बंद करना, जिसमें बदला लेना तथा राजनीतिक विरोधियों के साथ निपटने के दौरान क्रूर होना शामिल है। दोनों के मन में मीडिया के लिए विशेष तौर पर नफरत है। ट्रम्प ‘फर्जी मीडिया’ के खिलाफ एक अभियान चला रहे हैं और सार्वजनिक रूप से मीडिया कर्मियों को अपमानित करते हैं। मोदी अपनी इस सौगंध पर डटे हुए हैं कि वह न तो किसी प्रैस कांफ्रैंस को सम्बोधित करेंगे और न ही मीडिया के किसी प्रश्र का उत्तर देंगे। यहां तक कि ट्रम्प के साथ हालिया प्रैस कांफ्रैंस के दौरान मोदी मीडिया की ओर से कोई भी प्रश्न लेने से बचते रहे। 

ट्रम्प के लिए परीक्षा की घड़ी
इस वर्ष के प्रारम्भ में आम चुनावों में शानदार विजय प्राप्त करके मोदी ने अपने जीवट को साबित किया है और अपनी नीतियों तथा कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए 4 वर्षों के दौरान उनके सामने कोई बाधा नहीं आई। ट्रम्प के लिए परीक्षा की घड़ी शुरू हो गई है और दूसरा कार्यकाल हासिल करने के लिए वह किसी भी हद तक जाना चाहेंगे। 

उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी डैमोक्रेट्स भी उनके खिलाफ कमर कसे हुए हैं। नवीनतम कदम के अन्तर्गत हाऊस ऑफ रिप्रैजैंटेटिव्स, जिसमें डैमोक्रेट्स का प्रभुत्व है, ने राष्ट्रपति ट्रम्प के खिलाफ यह आरोप लगा कर एक औपचारिक महाभियोग जांच शुरू करने का निर्णय किया है कि उन्होंने अपने खुद के राजनीतिक लाभ के लिए एक विरोधी की छवि खराब करने हेतु एक विदेशी ताकत की सहायता लेने का प्रयास करके देश की सुरक्षा तथा पद के लिए ली गई शपथ के साथ विश्वासघात किया है। 

आरोप यह है कि उन्होंने यूक्रेन को सहायता रोकने का आदेश दिया ताकि उसे उनके राजनीतिक विरोधी एवं पूर्व उपराष्ट्रपति जो बिडेन के वित्तीय सौदों की जांच करने के लिए मजबूर किया जा सके। इस बात की सम्भावना नहीं है कि उन पर महाभियोग चलाया जाएगा क्योंकि यह प्रक्रिया काफी पेचीदा है तथा रिपब्लिकनों को कांग्रेस में बहुमत हासिल है, लेकिन कार्रवाई का उनकी चुनावी सम्भावनाओं पर विपरीत प्रभाव हो सकता है। कोई हैरानी की बात नहीं कि उन्होंने इस कदम के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया दी है। 

संकल्प पर भरोसा
दूसरा कार्यकाल हासिल करने के लिए उन्हें अपने भड़कीलेपन तथा अमरीकियों के हितों की रक्षा करने के निधड़क संकल्प पर भरोसा करना होगा। वह अमरीका के लाभ के लिए अर्थव्यवस्था तथा व्यापार पर बहुत अधिक जोर दे रहे हैं। वह भारत तथा पाकिस्तान दोनों के साथ व्यापार की बात करते हैं और मुख्यत: दोनों देशों के बीच व्यापार असंतुलन के कारण चीन के साथ सींग फंसाए हुए हैं। यह स्थिति भारत के अनुकूल है। ट्रम्प तथा मोदी ने कई अवरोध तोड़े हैं और कई अंतर्राष्ट्रीय परम्पराओं का मजाक बनाया है। यह अनुमान लगाना कठिन है कि यदि ट्रम्प दूसरा कार्यकाल जीत जाते हैं तो आगे क्या होगा।-विपिन पब्बी
 

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