Edited By Pardeep,Updated: 23 Oct, 2018 04:22 AM
प्रोफैसर जी.डी. अग्रवाल नहीं रहे। यह देश की क्षति है। वह आजीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस.) के मूल्यों के समर्थक रहे। वह प्रशिक्षित सिविल इंजीनियर और गंगा की स्वच्छता को लेकर प्रतिबद्ध व्यक्ति थे। प्रोफैसर अग्रवाल की मृत्यु अनिश्चितकालीन भूख...
प्रोफैसर जी.डी. अग्रवाल नहीं रहे। यह देश की क्षति है। वह आजीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस.) के मूल्यों के समर्थक रहे। वह प्रशिक्षित सिविल इंजीनियर और गंगा की स्वच्छता को लेकर प्रतिबद्ध व्यक्ति थे। प्रोफैसर अग्रवाल की मृत्यु अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की वजह से हुई। अंतिम कुछ दिनों में उन्होंने पानी पीना भी बंद कर दिया था। उनका तर्क था कि जब उनकी प्रिय गंगा इतनी अशुद्ध है तो वह पानी कैसे पी सकते हैं? वह नदियों की अशुद्धि के लिए जलविद्युत परियोजनाओं, रेत खनन और औद्योगिक कचरे को वजह मानते थे।
वर्ष 2017 में मंत्रिमंडल पुनर्गठन के वक्त हटाए जाने से पहले तक साध्वी उमा भारती गंगा सफाई मंत्रालय की प्रभारी थीं। चर्चा के मुताबिक बतौर मंत्री अच्छा प्रदर्शन कर पाने में उनकी नाकामी के चलते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह उन्हें हटाने का पूरा मन बना चुके थे लेकिन सितम्बर 2017 में वृंदावन में शाह के साथ 3 दिवसीय बैठक में संघ ने उन्हें बनाए रखने का मशविरा दिया। ऐसा क्यों? क्योंकि डर था कि उनको हटाने से लोध समुदाय पार्टी से दूरी बना सकता है क्योंकि उमा भारती लोध हैं। इससे पहले भाजपा को कल्याण सिंह के खिलाफ कदम उठाने की कीमत समुदाय की नाराजगी के रूप में चुकानी पड़ी थी।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह स्वयं लोध हैं। बहरहाल, भारती को मंत्री बनाए रखा गया लेकिन 2017 के अंत में गंगा से जुड़ा विभाग उनसे छीनकर सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को सौंप दिया गया। संघ ने अपने एक और चुपचाप रहने वाले लेकिन प्रतिबद्ध स्वयंसेवक को यह काम सौंपा। उस वक्त उन्होंने घोषणा की थी कि अगर अक्तूबर 2018 तक गंगा सफाई का काम पूरा नहीं होता है तो वह ‘महाउपवास से महाप्रयाण’ का रास्ता अपनाएंगे। जाहिर है वह गंगा सफाई के कार्य की प्रगति से संतुष्ट हैं। प्रश्न यह है कि उमा भारती कौन हैं और उनकी ताकत का स्रोत क्या है? अगर आप उनके करियर पर करीबी नजर डालें तो पता चलेगा कि वह तभी सबसे अधिक प्रभावी होती हैं जब वह सत्ता से बाहर होती हैं। इससे पहले वह सन् 1991, 1996 और 1998 में लोकसभा सांसद रहीं। उन्होंने राम जन्मभूमि आंदोलन में योगदान दिया।
मध्य प्रदेश के वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा का नेतृत्व किया और तीन चौथाई बहुमत के साथ वह राज्य की मुख्यमंत्री बनीं। उन्हें कर्नाटक में घटी घटनाओं के कारण आपराधिक मामला दर्ज होने पर पद छोडऩा पड़ा। चुनाव उन्होंने जिताया था लेकिन पहले बाबूलाल गौर और फिर शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री बना दिया गया। जाहिर है इन बातों से वह नाखुश थीं। उन्हें भाजपा की सबसे अविवेकी और सबसे मुखर महिला सदस्य माना जाता है। वर्ष 2004 में उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया। 2006 में उन्हें दोबारा निकाला गया क्योंकि लालकृष्ण अडवानी और अटल बिहारी वाजपेयी की उपस्थिति में उन्होंने अरुण जेतली पर आरोप लगाया कि वह उनकी पीठ पीछे उनके खिलाफ किस्से गढ़ रहे हैं। उन्होंने सुषमा स्वराज की भी आलोचना की और निजी मानी जा रही पार्टी कार्यकारिणी की बैठक में कई सदस्यों को आड़े हाथों लिया। दुर्भाग्यवश माइक्रोफोन चालू रह गया था और पूरा वाक्या मीडिया तक पहुंच गया। जब नितिन गडकरी पार्टी अध्यक्ष बने तो उनकी पार्टी में वापसी हुई। उन्होंने दावा किया कि वह अपनी शर्तों पर पार्टी में लौटी हैं।
गडकरी के निवास पर भी उन्होंने एक दृश्य रच दिया था। वह उनका इंतजार कर रही थीं जब उन्होंने कहा था, ‘‘अब आप लोग यह मत लिख देना कि मैं उनसे इसलिए मिल रही हूं क्योंकि मैं उनसे भाजपा में वापस लेने की भीख मांगने आई हूं।’’ उन्होंने संवाददाताओं की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘मैं यहां इसलिए हूं क्योंकि मुझे मोटे लोग पसंद हैं...(उन्होंने कमरे में मौजूद स्मृति ईरानी की ओर देखकर एक तिरछी मुस्कान दी) इसलिए तो मैं स्मृति को इतना पसंद करती हूं।’’ स्मृति ने उन्हें हल्की मुस्कान दी और कहा, ‘‘अरे दीदी मुझे लगा आप कहेंगी कि मेरा वजन कम हुआ है।’’ गडकरी ने उन्हें उत्तर प्रदेश भेज दिया और वह 2014 में झांसी सीट से चुनकर आईं। भारती ने इस वर्ष के आरम्भ में कहा था कि वह आगे चुनाव नहीं लड़ेंगी हालांकि अगर बुलाया गया तो वह मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रचार अवश्य करेंगी। करीब 3 सप्ताह पहले वह मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में एक सार्वजनिक बैठक में शामिल हुईं। उत्तर प्रदेश से लगे इस क्षेत्र में कुल 32 विधानसभा सीटें हैं। वह 8 वर्ष में पहली बार अपनी जन्मभूमि में किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल हुईं।
बुंदेलखंड को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती के प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता है। अमित शाह और प्रदेश के मुख्यमंत्री दोनों मानते हैं कि विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए तरकश में मौजूद हर तीर का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। उमा भारती को न्यौता इसी नीति का हिस्सा है। उस बैठक में उन्होंने अपनी चिरपरिचित शैली में जनता से पूछा, ‘‘मैंने शिवराज जी से पूछा कि क्या मेरे मध्य प्रदेश आने का कोई फायदा है? क्या इससे कोई फर्क पड़ेगा? जब उन्होंने मुझे आश्वस्त किया कि ऐसा होगा तभी मैं इस बैठक में आई।’’ उमा भारती ऐसी ही हैं। आप उनके बारे में पूर्वानुमान लगा सकते हैं लेकिन साथ ही साथ वह अप्रत्याशित भी हैं।-आदिति फडणीस