कांग्रेस से गठबंधन को लेकर एकमत नहीं ‘आप’ समर्थक

Edited By ,Updated: 13 Apr, 2019 03:48 AM

unanimous opinion on coalition alliance with congress

क्या कांग्रेस विरोधी प्रचार से सत्ता में आई आम आदमी पार्टी (आप) को अब कांग्रेस से गठबंधन कर लेना चाहिए? इस बारे में दिल्ली के सातों लोकसभा क्षेत्रों में विभिन्न वर्गों के लोगों से बात की गई जिनमें सरकारी कर्मचारी, प्रापर्टी डीलर और पार्टी...

क्या कांग्रेस विरोधी प्रचार से सत्ता में आई आम आदमी पार्टी (आप) को अब कांग्रेस से गठबंधन कर लेना चाहिए? इस बारे में दिल्ली के सातों लोकसभा क्षेत्रों में विभिन्न वर्गों के लोगों से बात की गई जिनमें सरकारी कर्मचारी, प्रापर्टी डीलर और पार्टी कार्यकत्र्ता शामिल थे। लोगों से बातचीत में यह बात सामने आई कि कई लोग भाजपा से मुकाबले के लिए ‘आप’-कांग्रेस के गठबंधन को सही मानते हैं, जबकि कई लोगों का मानना है कि ऐसा करने से ‘आप’ की छवि को नुक्सान पहुंचेगा। 

पूर्वी दिल्ली : इस लोकसभा क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में रह रहे लोगों का मानना है कि कांग्रेस के साथ गठबंधन करने से पार्टी के पक्ष में संभावनाएं बढ़ जाएंगी। बहुत से लोगों का तर्क था कि गठबंधन के बिना सभी सातों सीटें भाजपा जीत जाएगी। जो लोग इन दोनों पार्टियों के गठबंधन के पक्ष में हैं उनका मानना है कि दोनों पार्टियों के बीच पहले रहे मतभेदों को भुला देना चाहिए। मंडावली से एक सेवानिवृत्त पत्रकार ए.टी. वशिष्ठ (83) ने कहा कि हमारे देश में राजनीति ऐसी है कि यहां वोट शेयर मायने रखता है। यहां सभी गठबंधन सत्ता प्राप्ति के लिए किए जाते हैं, विचारधारा के लिए नहीं। गठबंधन किया जाना चाहिए ताकि लोगों को वर्तमान सत्ताधारियों को हटाने का मौका मिल सके। 

हालांकि कुछ कट्टर ‘आप’ समर्थकों, जैसे कि त्रिलोकपुरी से 3 गृहिणियों का कहना है कि ‘आप’ ने लोगों के लिए बहुत अच्छा काम किया है लेकिन गठबंधन उन्हें धोखा देने जैसा होगा। इसका यह अर्थ होगा कि वे सत्ता के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। पांच साल बाद, यदि यह उनके हित में होगा तो क्या वे भाजपा का भी समर्थन करेंगे? वे अपने दम पर सत्ता में आए थे और उन्हें उसी तरह काम करते रहना चाहिए। 

उत्तर-पश्चिम : रिठाला के ‘आप’ पदाधिकारी साहिब सिंह ने कहा कि ‘आप’-कांग्रेस के गठबंधन की स्थिति में हमारे बहुत से वालंटियर काम करना छोड़ देंगे और कुछ पार्टी भी छोड़ सकते हैं। यदि कांग्रेस 1000 वोट भी लेती है तो वह हमारे हिस्से से ही जाएंगे। इस क्षेत्र के कार्यकत्र्ता गठबंधन के बिल्कुल खिलाफ हैं। ‘आप’ के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह भी इस क्षेत्र में कार्यकत्र्ताओं से मिले थे और उन्हें भी यह बात बता दी गई थी। रोहिणी में ‘आप’ वालंटियर काली चरण ने कहा कि नेता लोग किसी भी चीज को सही ठहरा सकते हैं लेकिन  पार्टी कार्यकत्र्ता इस कदम को कैसे सही ठहराएंगे क्योंकि ‘आप’ कांग्रेस के विरोध में ही सत्ता में आई थी। इस क्षेत्र से ‘आप’ उम्मीदवार गुगन सिंह रंगा इस बात से सहमत हैं कि असमंजस की इस स्थिति से पार्टी कार्यकत्र्ताओं को झटका लगा है। कार्यकत्र्ताओं में निराशा का माहौल है जो पार्टी के लिए मेहनत करना चाहते हैं। 

दक्षिण दिल्ली : इस लोकसभा क्षेत्र में संगम विहार, दियोली और अम्बेदकर नगर जैसे स्लम एरिया भी शामिल हैं। यहां बहुत से ‘आप’ समर्थकों का मानना है कि पार्टी को अकेले चुनाव लडऩा चाहिए क्योंकि कांग्रेस का अब यहां ज्यादा जनाधार नहीं है। अम्बेदकर नगर में दर्जी का काम करते  सुखराम का कहना है कि ‘आप’ ने पहले ही अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं और प्रचार शुरू हो चुका है। गठबंधन पहले होना चाहिए था। यदि अब गठबंधन किया जाता है तो ‘आप’ और कांग्रेस दोनों को नुक्सान होगा क्योंकि नए उम्मीदवारों को ज्यादा समय नहीं मिलेगा। उधर दुकानदार ओम प्रकाश का कहना है कि  यदि कांग्रेस और ‘आप’ के वोट बंट जाते हैं तो इससे भाजपा को फायदा होगा। 

पश्चिमी दिल्ली : इस लोकसभा क्षेत्र में पड़ते द्वारका, जनकपुरी, तिलकनगर और राजौरी गार्डन में मध्यम वर्गीय जनसंख्या अधिक है। यहां के अधिकतर निवासी गठबंधन के खिलाफ हैं। उनका मानना है कि इससे मतदाताओं में मिलाजुला संदेश जाएगा।  जनकपुरी में फैशन स्टोर के प्रबंधक रमन सिंह का कहना है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने वर्षों तक कांग्रेस की आलोचना की है। यदि अब वह कांग्रेस से गठबंधन करते हैं तो उनकी अपनी सीट भी खतरे में पड़ जाएगी। 

पेशे से दर्जी अमीरुल रमन सिंह से असहमत हैं और उनका मानना है कि गठबंधन करना ‘आप’ के लिए फायदे का सौदा होगा और उसके दोनों हाथों में लड्डू होंगे। यदि कांग्रेस लोकसभा चुनाव जीत जाती है तो ‘आप’ केन्द्र में आ जाएगी और वे दिल्ली के चुनाव भी जीत जाएंगे। पान का खोखा चलाने वाले तिलक नगर के हरीश चंद्र का कहना है कि यदि गठबंधन हो भी गया तो यह 6 महीने में टूट जाएगा। 

उत्तर पश्चिम : यहां ‘आप’ कार्यकत्र्ताओं में गठबंधन को लेकर संदेह है लेकिन उनमें से अधिकतर  का मानना है कि वह पार्टी के निर्णय के साथ चलेंगे। बाबरपुर निवासी ‘आप’ कार्यकत्र्ता अतुल तोमर का कहना है कि हम हर हाल में केजरीवाल के साथ हैं लेकिन अच्छा होगा यदि हम कांग्रेस को नवजीवन न दें। उनके पास दिल्ली में कोई सीट नहीं है और दिल्ली में मुकाबला हमारे और भाजपा के बीच है। हम अपने आपको नैतिक तौर पर दूसरों से बेहतर बताते हैं इसलिए गठबंधन करने पर कुछ लोग उंगलियां उठाएंगे। 

चांदनी चौक : मुस्लिम बहुल क्षेत्रों बलीमारां  और मतिया महल बाजारों में लोग गठबंधन के पक्ष में हैं। वे नहीं चाहते कि उनके वोट बंट जाएं। मतिया महल में कपड़े की दुकान चलाने वाले अतीक-उर-रहमान का कहना है कि धर्मनिरपेक्षता खतरे में है। यदि गठबंधन से यह बच सकती है तो गठबंधन होना चाहिए। चूडिय़ों की दुकान करने वाली रिंकी गुप्ता का कहना है कि गठबंधन का कोई फायदा नहीं होगा क्योंकि उनकी विचारधारा में मेल नहीं है। 

नई दिल्ली : इस लोकसभा क्षेत्र में कई व्यापारियों और सरकारी कर्मचारियों के घर हैं। यहां अधिकतर लोग गठबंधन के खिलाफ हैं। राजिंद्र कुमार प्रजापति का कहना है कि अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में उन्होंने भी ‘आप’ को आर्थिक मदद दी थी लेकिन विधानसभा चुनाव जीतने के बाद उन्होंने कांग्रेस से सहायता ली और तब लोगों ने महसूस किया कि उनसे धोखा हुआ। 

सरकारी कर्मचारी नारायण सिंह का मानना है कि मोदी जैसे बड़े नेता  से मुकाबला करने के लिए गठबंधन जरूरी है। उधर पहाडग़ंज में अधिकतर लोग स्पष्ट तौर पर गठबंधन के पक्ष में हैं। यहां के व्यापारियों का कहना है कि वे लोग अब भी् नोटबंदी और जी.एस.टी. की मार से उबर नहीं पाए हैं। व्यापारी गंभीर का कहना है कि उन्होंने पिछले 5 साल में इस बाजार को तबाह होते देखा है। क्या आप 18 प्रतिशत जी.एस.टी. के साथ जूता खरीदना पसंद करेंगे? मेहंदी की दुकान पर काम करने वाली पिंकी शर्मा और रिंकू मिश्रा का कहना है कि यदि ‘आप’ और कांग्रेस गठबंधन करती हैं तो इसमें धोखा देने वाली कोई बात नहीं है।               

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