हिमाचल में बेरोजगारी भत्ते पर गरमाई राजनीति

Edited By ,Updated: 02 Mar, 2017 01:32 AM

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पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के घोषणा पत्र शामिल बेरोजगारी भत्ते के मुद्दे पर चुनावी वर्ष में

पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के घोषणा पत्र शामिल बेरोजगारी भत्ते के मुद्दे पर चुनावी वर्ष में सियासत गरमा गई है। हिमाचल प्रदेश में सत्तासीन होने के बाद कांग्रेस सरकार पिछले 4 सालों से इस मुद्दे को भुलाए बैठी थी लेकिन अब प्रदेश कांग्रेस कमेटी सहित वरिष्ठ मंत्री जी.एस.बाली और राज्यसभा सदस्य विप्लव ठाकुर ने जल्द इस चुनावी वायदे को पूरा करने की याद मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को दिला रहे हैं।

जबकि विपक्षी दल भाजपा ने भी कांग्रेस सरकार पर बेरोजगारों को छलने के आरोप लगाकर उसे घेरना शुरू कर दिया है परन्तु सरकार चाहकर भी प्रदेश के लाखों पंजीकृत बेरोजगारों को यह भत्ता नहीं दे पा रही है क्योंकि राज्य के खजाने की हालत ठीक नहीं है लेकिन कांग्रेस पार्टी के कई बड़े नेता चुनावी घोषणा पत्र में शामिल अपने इस वायदे को हर हाल में पूरा करवाना चाहते हैं क्योंकि चुनावी वर्ष में उन्हें इस मुद्दे पर विपक्षी दल भाजपा की ओर से चुनौती मिलनी शुरू हो चुकी है। 

हिमाचल प्रदेश के रोजगार कार्यालयों में लगभग 8288048 बेरोजगार पंजीकृत हैं। एक अनुमान के अनुसार इसमें आधे से अधिक वे युवक भी पंजीकृत हैं जो वर्तमान में निजी क्षेत्र में नौकरी कर रहे हैं और कुछ ने स्वरोजगार को अपनाया हुआ है लेकिन सरकारी नौकरी पाने की चाहत में उन्होंने अपने नाम रोजगार कार्यालयों में दर्ज करवा रखे हैं। वर्ष 2014-15 के पंजीकृत बेरोजगारों के आंकड़े को देखें, तब यह संख्या 892988 थी जिसमें अब 64940 की कमी आई है। यानी इस अवधि में सरकारी और निजी क्षेत्र में लोगों को रोजगार भी प्राप्त हुए हैं परन्तु बेरोजगारी भत्ते के नाम पर चुनावों के वक्त कांग्रेस पार्टी की ओर आकॢषत हुआ युवा वर्ग पिछले 4 सालों में खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। 

हालांकि सरकार के गठन के बाद वित्त विभाग से परामर्श के बाद जब इस योजना को लागू कर पाने में सरकार को असमर्थता दिखी तो कौशल विकास भत्ते की शुरूआत कर दी गई थी लेकिन यह भत्ता केवल व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए एक तय अवधि के लिए ही मिल सकता है। सरकार का दावा है कि अब तक 1 लाख 52 हजार युवाओं को कौशल विकास भत्ता बांटा जा चुका है। केरल, बिहार और हरियाणा में भी बेरोजगारी भत्ता दिया जा रहा है। अगर सरकार सालाना 2 लाख रुपए से कम की आय वाले परिवारों के बेरोजगार बच्चों को बेरोजगारी भत्ता देने की सोचे तो यह संभव भी हो सकता है लेकिन सरकार की ओर से इस विषय में आज तक न तो सही मायने में बेरोजगार युवाओं का आंकड़ा पता लगाने की कोशिश की गई है और न ही इस बारे कोई ठोस कार्य योजना पर काम किया गया है। 

अगर सरकार वास्तविक बेरोजगारों की संख्या का पता लगाए तो यह 2 लाख के करीब ही होगी। यही कारण है कि चुनावी वर्ष में बेरोजगारी भत्ते के मुद्दे पर अब कांग्रेस सरकार अपने ही संगठन और बड़े नेताओं के विरोध को झेल रही है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी की बैठक में तो बेरोजगारी भत्ते को शुरू करवाने के लिए एक कमेटी का गठन भी कर दिया गया है जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेता शामिल हैं। 
 

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