केंद्र सरकार का 2020-21 का बजट ‘सत्ता पक्ष खुश’ ...‘विपक्ष नाखुश’

Edited By ,Updated: 02 Feb, 2020 01:26 AM

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शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2020-21 का बजट पेश करते हुए इसे ‘देश की आकांक्षाओं’ का बजट करार दिया और कहा, ‘‘यह वंचितों और गरीबों की आकांक्षाओं को पूरा करेगा।’’‘‘हमारा लक्ष्य देश और लोगों की सेवा करना है। यह देश की उम्मीदें...

शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2020-21 का बजट पेश करते हुए इसे ‘देश की आकांक्षाओं’ का बजट करार दिया और कहा, ‘‘यह वंचितों और गरीबों की आकांक्षाओं को पूरा करेगा।’’‘‘हमारा लक्ष्य देश और लोगों की सेवा करना है। यह देश की उम्मीदें पूरी करने वाला बजट है। हम जनता की जिंदगी बेहतर बनाने के लिए कृत्संकल्प हैं। हमारा लक्ष्य ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास है’।’’ 1 अप्रैल से सरल जी.एस.टी. रिटर्न प्रक्रिया लागू करने की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘जी.एस.टी. लागू होने से 2 वर्षों में देश में 60 लाख से अधिक करदाता जुड़े। जी.एस.टी. ने इंस्पैक्टरी राज को समाप्त किया।’’

‘‘इससे उपभोक्ताओं को एक लाख रुपए का वार्षिक लाभ मिलने के अलावा प्रत्येक परिवार के मासिक व्यय में 4 प्रतिशत की बचत हुई है। यह बजट लोगों की क्रय शक्ति बढ़ाने के लिए है।’’ उन्होंने बताया कि सरकार महंगाई पर काबू पाने में सफल रही है और 2014-19 में महंगाई दर 9 प्रतिशत से घट कर 4 प्रतिशत तक आ गई है। भारत में 27.10 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला गया और सरकार के आर्थिक सुधारों की वजह से भारत विश्व में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और इस बजट में : 

बैंकों में जमा राशि पर बीमा कवरेज एक लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दी गई है तथा सरकारी बैंकों के विकास के लिए 3 लाख 50 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इस वर्ष 10 सरकारी बैंकों का 4 बैंकों में विलय किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने एल.आई.सी. और आई.डी.बी.आई. की हिस्सेदारी बेचकर अर्थव्यवस्था मजबूत करने की बात कही। आयकर में बड़ी छूट देने के प्रस्ताव के अनुसार अब आयकर छूट में 2 विकल्प पेश किए गए हैं। नए विकल्प के अनुसार 2.5 लाख से 5 लाख तक आय पर कोई आयकर नहीं देना होगा जबकि पहले यह 5 प्रतिशत था। 5 से 7.5 लाख आय पर पहले के 20 प्रतिशत के मुकाबले अब 10 प्रतिशत, 7.5 से 10 लाख वार्षिक आय पर पहले के 20 प्रतिशत के मुकाबले 15 प्रतिशत और 10 से 12.5 लाख रुपए तक वार्षिक आय पर पहले के 30 प्रतिशत के मुकाबले अब 20 प्रतिशत ही आयकर देना होगा। नई टैक्स व्यवस्था के अंतर्गत इसमें कोई डिडक्शन शामिल नहीं होगा और जो डिडक्शन लेना चाहते हैं वे पुरानी दरों से टैक्स दे सकते हैं। 

सस्ते मकानों पर ब्याज की दर में छूट और 1 वर्ष तक बढ़ाकर मार्च, 2021 तक कर दी गई है तथा किसानों के लिए कृषि ऋण का लक्ष्य बढ़ाकर 15 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया है। स्वास्थ्य के लिए 69,000 करोड़ रुपए, स्वच्छ भारत मिशन के लिए 12,300 करोड़ रुपए और शिक्षा के लिए 99,300 करोड़ तथा कौशल विकास के लिए 3000 करोड़ रुपए की राशि निर्धारित की गई है। पी.पी.पी. माडल के अंतर्गत 5 नए स्मार्ट सिटी और मैडीकल कालेज कायम किए जाएंगे। हर घर को नल का पानी उपलब्ध करवाने के लिए 3.60 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। 550 रेलवे स्टेशनों पर वाईफाई शुरू होगा, 27,000 कि.मी. रेल मार्ग का विद्युतीकरण किया जाएगा। पी.पी.पी. माडल पर 150 नई रेलगाडिय़ां चलाई जाएंगी और 2024 तक देश में 100 नए हवाई अड्डों बनाए जाएंगे। 

100 लाख करोड़ रुपए का नैशनल इंफ्रास्ट्रक्चर फंड कायम किया जाएगा। बुजुर्गों एवं विकलांगों संबंधित कल्याण योजनाओं के लिए 95,00 करोड़ रुपए तथा महिलाओं बारे योजनाओं के लिए 28,600 करोड़ रुपए और अनुसूचित एवं पिछड़ी जातियों के लिए 85,000 करोड़ रुपए रखे गए हैं। कश्मीर और लद्दाख के विकास के लिए अलग फंड कायम करने की घोषणा करते हुए 30,757 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है। हालांकि निर्मला सीतारमण ने इसे देश की उम्मीदें पूरी करने वाला बजट बताया है तथा केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने इसे सभी वर्गों के लिए हितकारी बताया है परंतु विरोधी दलों और उद्योग जगत को यह बजट रास नहीं आया। पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम (कांग्रेस) के अनुसार, ‘‘इस बजट से साबित होता है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अर्थव्यवस्था पटरी पर लाने की उम्मीद छोड़ चुकी है। बजट में रोजगार सृजन बारे कुछ नहीं कहा गया है।’’

माकपा नेता सीताराम येचुरी के अनुसार, ‘‘इस बजट में सिर्फ बेकार की बातें और जुमले हैं और इसमें लोगों की समस्याएं दूर करने, बढ़ती बेरोजगारी, गांव में मजदूरी भुगतान संकट, परेशान किसानों की आत्महत्याओं जैसी समस्याओं का कोई ठोस समाधान नहीं है।’’अरविंद केजरीवाल (आप) के अनुसार, ‘‘बजट में इस बार भी दिल्ली के साथ सौतेला व्यवहार किया गया।’’ अखिलेश यादव (सपा) ने कहा, ‘‘यह दिवालिया सरकार का दिवालिया और निराशाजनक बजट है। गिरती अर्थव्यवस्था, बेतहाशा बढ़ी महंगाई और रोजगार के बारे में कोई ठोस कदम उठाने की बजट में बात नहीं की गई है।’’ 

उद्योगपतियों और व्यापारियों के एक वर्ग ने इस बजट को सराहा है तो दूसरे वर्ग ने इसकी आलोचना भी की है। भारतीय उद्योग एवं वाणिज्य महासंघ (फिक्की) की अध्यक्षा संगीता रैड्डी ने इस बजट का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे देश की अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलेगी। ‘बायोकान’ की चेयरपर्सन किरण मजूमदार शॉ के अनुसार, ‘‘हमारे आर्थिक कैंसर को कीमोथैरेपी की नहीं बल्कि इम्यूनो थैरेपी की जरूरत है।’’वहीं लुधियाना के ईस्टमैन इम्पैक्स के मैनेजिंग डायरैक्टर जगदीप सिंघल के अनुसार, ‘‘एल.आई.सी. और आई.डी.बी.आई. के हिस्से बेच कर सरकार आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं कर सकती।’’बहरहाल लघु और मध्यम उद्योगों के ऑडिट के लिए टर्न ओवर की सीमा को 1 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 5 करोड़ रुपए करना, बैंकों में जमा राशि पर बीमा कवरेज 1 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए करना और आयकर में रियायतें देना राहत देने वाले कदम अवश्य हैं।—विजय कुमार 

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