उत्तर प्रदेश में भाजपा को ‘नमो’ का सहारा

Edited By ,Updated: 16 Jan, 2019 04:14 AM

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2019 के आम चुनावों के लिए उत्तर प्रदेश में एकजुट हो चुके सपा-बसपा के मुकाबले के लिए भाजपा अपना घर ठीक करने के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता पर निर्भर करेगी। वरिष्ठ भाजपा नेताओं का मानना है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग)...

2019 के आम चुनावों के लिए उत्तर प्रदेश में एकजुट हो चुके सपा-बसपा के मुकाबले के लिए भाजपा अपना घर ठीक करने के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता पर निर्भर करेगी। 

वरिष्ठ भाजपा नेताओं का मानना है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) द्वारा केन्द्र और राज्यों में सामाजिक और आर्थिक तौर पर पिछड़े वर्गों के लिए किए गए काम लोकसभा चुनाव का रुख तय करेंगे। उनका कहना है कि अपना दल और सुहेल देव भारतीय समाज पार्टी (एस.बी.एस.पी.) ने कुछ मसलों पर चिंताएं जाहिर की हैं लेकिन दोनों गठबंधन सहयोगी राजग में रहेंगे और मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे। 

सपा-बसपा मोदी की लोकप्रियता से चिंतित 
उत्तर प्रदेश सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री ने कहा, ‘‘ये दोनों राजनीतिक दल, सपा और बसपा इसलिए साथ आए हैं क्योंकि वे कमजोर हैं तथा प्रधानमंत्री की लोकप्रियता से चिंतित हैं। हम अपना दल और एस.बी.एस.पी. से बात कर उनकी चिंताएं दूर करेंगे। चूंकि सपा और बसपा ने कांग्रेस और राष्ट्रीय लोक दल (आर.एल.डी.) को अपने साथ नहीं लिया है। ऐसे में अपना दल और एस.बी.एस.पी. के लिए विपक्षी खेमे में कोई जगह नहीं है। 

राजग स्थिर है और हम एक साथ चुनाव लड़ेंगे,’’ भाजपा नेताओं ने यह भी कहा कि सपा-बसपा गठबंधन भाजपा को सामाजिक पहुंच बढ़ाने में मदद करेगा क्योंकि अब पार्टी गैर यादव, अन्य पिछड़ा वर्गों तथा गैर जाटव अनुसूचित जाति के सदस्यों तक पहुंच बनाएगी ताकि उसका जनाधार मजबूत हो सके। एक भाजपा नेता ने बताया, ‘‘केन्द्र सरकार ने सामान्य वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया है और हम व्यक्तिगत तौर पर अन्य पिछड़ा वर्ग तथा अनुसूचित जाति के उन समुदायों को अपने साथ जोडऩे का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं, जो यादवों और जाटवों से जुड़े हुए नहीं हैं, लेकिन मायावती और अखिलेश यादव के मुख्य समर्थक हैं। हमें उम्मीद है कि इस विपरीत ध्रुवीकरण से भाजपा के चुनावी और सामाजिक जनाधार में वृद्धि होगी।’’ 

निर्णायक सिद्ध हो सकती है यू.पी. में चुनावी जंग
आगामी लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश के लिए चुनावी जंग विपक्ष और सत्ताधारी गठबंधन दोनों के लिए निर्णायक साबित हो सकती है। जो भी गठबंधन इस राज्य में अधिकतम सीटें जीतेगा उसकी दिल्ली में सरकार बनाने की सम्भावना बढ़ जाएगी। पिछले एक वर्ष में सपा-बसपा ने संयुक्त रूप से लोकसभा उपचुनाव में भाजपा के साथ सीधे मुकाबले में गोरखपुर, फूलपुर और कैराना सीटें जीत ली हैं। 

उत्तर प्रदेश में मुकाबला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 2014 के आम चुनावों में इस राज्य में राजग ने 80 में से 73 लोकसभा सीटें जीती थीं तथा केन्द्र में भाजपा को सत्ता में लाने में इस प्रदेश की निर्णायक भूमिका रही थी। राज्य का चुनावी महत्व इस बात से भी आंका जा सकता है कि प्रधानमंत्री ने भाजपा की सम्भावना बढ़ाने के लिए स्वयं वाराणसी से चुनाव लड़ा था। भाजपा नेता का कहना है कि सभी राजनीतिक पार्टियां इसलिए एकजुट हो रही हैं क्योंकि वे जानती हैं कि भाजपा मजबूत है। सपा-बसपा का गठबंधन दोनों दलों के मूल स्वभाव के विपरीत है। उनके पास कोई एजैंडा नहीं है परन्तु यह अस्तित्व बचाए रखने के लिए उनकी राजनीतिक जरूरत है। 

भाजपा नेताओं ने कहा कि विश्व हिन्दू परिषद 31 जनवरी और एक फरवरी के बीच प्रयागराज में धर्म संसद का आयोजन करेगी, जो महत्वपूर्ण साबित हो सकती है क्योंकि इस धर्म संसद में अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण पर चर्चा की जाएगी। भाजपा नेता ने बताया कि यह पार्टी के लिए पेचीदा मामला है क्योंकि हम पर संसद में कानून बनाने को लेकर दबाव है परंतु पार्टी का विचार है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का इंतजार किया जाना चाहिए। हमें जनता की मांग तथा न्यायालय में चल रही कानूनी लड़ाई के बीच संतुलन बनाना होगा।-जी. वर्मा

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