‘गठबंधन सरकार चलाने में माहिर थे वाजपेयी’

Edited By ,Updated: 12 Apr, 2019 03:54 AM

vajpayee  specializes in running coalition government

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक जो पांचवीं बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के लिए प्रयासरत हैं, ने बताया कि वह भाजपा और कांग्रेस से समान दूरी बनाए हुए हैं लेकिन वह अपने पुराने दोस्त मोदी से निराश हैं। नवीन पटनायक से बात की प्रणव ढल्ल सामंत और मीरा...

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक जो पांचवीं बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के लिए प्रयासरत हैं, ने बताया कि वह भाजपा और कांग्रेस से समान दूरी बनाए हुए हैं लेकिन वह अपने पुराने दोस्त मोदी से निराश हैं। नवीन पटनायक से बात की प्रणव ढल्ल सामंत और मीरा मोहंती ने : नवीन पटनायक का कहना है कि वह केन्द्र में उस गठबंधन को समर्थन देंगे जो  ओडिशा के लिए उनकी शर्तों पर सहमत होगा। पांचवीं बार चुनाव मैदान में खड़े नवीन को पूरा भरोसा है कि वह अच्छे अंतर से चुनाव जीतेंगे। हालांकि  उन्होंने यह बताने से इंकार किया कि  उन्हें कितनी सीटें जीतने की उम्मीद है। 

चुनाव जीतने पर अपने उद्देश्यों के बारे में नवीन का कहना है कि विकास और ओडिशा के लोगों का कल्याण ही उनका मुख्य मकसद होगा। यदि वह दिल्ली में किंगमेकर की भूमिका में आते हैं तो उसी पार्टी को समर्थन करेंगे जो ओडिशा की आकांक्षाओं के अनुरूप काम करने का भरोसा देगी। 

विशेष राज्य के दर्जे की करेंगे मांग 
नवीन पटनायक का कहना है कि वह ओडिशा के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग करेंगे जैसा कि वह पहले भी करते रहे हैं। उनका कहना है कि  इस राज्य को विशेष राज्य का दर्जा  देने की बात भाजपा के 2014 के एजैंडे में पहले नम्बर पर थी लेकिन उन्होंने इसे पूरा नहीं किया। इसके अलावा वह प्रदेश में रेलवे, कोयला और रॉयल्टी के क्षेत्र में काम करवाना चाहते हैं। जहां तक भाजपा और कांग्रेस से प्रतिद्वंद्विता का सवाल है तो इस  बारे में उनका कहना है कि वह दोनों पाॢटयों से समान दूरी बना कर रखे हुए हैं। 

भाजपा द्वारा ओडिशा को ज्यादा फंड देने के दावे को नकारते हुए उन्होंने कहा कि वास्तव में केन्द्र ने राज्य के फंडों में कमी कर दी है जोकि दुखद है। तीन प्रधानमंत्रियों-अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और नरेन्द्र मोदी के साथ काम कर चुके नवीन पटनायक  का कहना है कि अटल बिहारी वाजपेयी के साथ काम करने का उनका अनुभव सबसे अच्छा रहा है। नवीन का कहना है कि उन्हें लगता है कि मोदी ओडिशा में रुचि नहीं रखते। इसके अलावा प्रधानमंत्री के तौर पर वाजपेयी का कद मोदी से कहीं ऊंचा है। किसी समय मोदी, जयललिता और नवीन पटनायक की मुख्यमंत्रियों के तौर पर अच्छी जुगलबंदी थी लेकिन उन्हें इस बात का मलाल है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी बदल गए हैं। पटनायक का कहना है कि मोदी ने अपने किए हुए वायदे नहीं निभाए। इसके बावजूद बीजू जनता दल ने केन्द्र में अच्छी योजनाओं के मुद्दों पर केन्द्र का साथ दिया। उनका कहना है कि नोटबंदी अच्छी योजना थी लेकिन इसे ठीक तरह से लागू नहीं किया जा सका। 

विपक्षी गठबंधन के बारे में उनका कहना है कि यह एक अच्छी पहल है। अब देखना यह है कि चुनाव नतीजों में उन्हें कितनी सीटें मिलती हैं। विपक्षी गठबंधन से दूर रहने के अपने फैसले पर नवीन पटनायक का कहना है कि हमने दोनों दलों से समान दूरी बना कर रखी है। नतीजे देख कर फैसला लिया जाएगा। यह पूछे जाने पर कि क्या क्षेत्रीय दल इकटठे होकर केन्द्र में एक स्थायी सरकार दे सकते हैं, उनका कहना है कि यदि सबके हित सांझे हों तो यह संभव है। नवीन ने स्वीकार किया कि अब वे एन.डी.ए. में अच्छा महसूस नहीं करते। इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ओडिशा के हितों के प्रति उदासीन है। इसके अलावा यह भी दुर्भाग्यपूर्ण है कि राजनीतिक उद्देश्यों के लिए केन्द्रीय एजैंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। 

चुनाव आयोग के कदम का विरोध 
कलिया स्कीम पर चुनाव आयोग द्वारा रोक लगाए जाने का विरोध करने को भी नवीन ने सही ठहराया। मुख्यमंत्री का कहना है कि यह योजना किसानों के हित के लिए थी। यह भी दुखद है कि भाजपा ने भी इसका विरोध किया जबकि केन्द्र की ओर से कृषि क्षेत्र संबंधी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। ओडिशा में आर्थिक बदलाव के बारे में उन्होंने कहा कि यह पहले ही शुरू हो चुका है। हमने  80 लाख लोगों को गरीबी की रेखा से बाहर निकाला है जोकि देश में सबसे अधिक है। इसके अलावा हमने 4.5 लाख करोड़ का निवेश किया है। ओडिशा की सत्ता में वापस आने पर वह गरीबी कम करने पर ध्यान देंगे। हालांकि इस दिशा में काफी कुछ किया गया है लेकिन और भी करने की जरूरत है। ओडिशा के सभी क्षेत्रों में उद्योग को बढ़ावा दिया जाएगा। कांग्रेस द्वारा किए गए बड़े-बड़े वायदों के बारे में नवीन का कहना है कि इस तरह के वायदों को पूरा करना मुश्किल काम होगा। हालांकि अन्य कई पार्टियों ने भी इस तरह के वायदे किए हैं। कांग्रेस की नवीनतम आय योजना ‘न्याय’ के बारे में नवीन का कहना है कि यह एक अच्छी योजना है लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि  कौन-सी सरकार इसे वहन कर सकती है। इसके बारे में और विचार की जरूरत है। 

अधूरे रहे भाजपा के वायदे 
केन्द्र की योजनाओं के बारे में नवीन का कहना है कि उन्होंने बहुत-सी नौकरियों का वायदा किया था लेकिन इसे पूरा नहीं किया। उनका कहना है कि लोकसभा चुनावों में महिलाओं को 33 प्रतिशत टिकट देने  के प्रति अच्छा रिस्पांस मिल रहा है।नवीन ने बताया कि हमने महिलाओं के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। वर्ष 2000 में महिला स्वयं सहायता समूहों की शुरूआत की गई ताकि उनका आॢथक और राजनीतिक विकास हो सके, इसमें काफी सफलता भी मिली है। मिशन शक्ति  नामक हमारे कार्यक्रम के तहत 77 लाख महिलाएं इन समूहों में शामिल हैं। ई.वी.एम. और वी.वी. पैट के बारे में  नवीन का कहना है कि इनके बारे में मैंने कभी ज्यादा नहीं सोचा लेकिन चुनाव आयोग इनसे संतुष्ट नजर आता है। 

क्षेत्रीय दलों के भविष्य के बारे में उनका कहना है कि क्षेत्रीय दल और आगे बढ़ेंगे क्योंकि वे राज्यों के हितों का ख्याल रखते हैं। उनके बहुत से सहयोगियों के भाजपा में चले जाने  पर वे कहते हैं कि राजनीति में यह कोई बड़ी बात नहीं है। हालांकि व्यक्तिगत तौर पर कई बार बुरा लगता है। बीजू पटनायक की विरासत के बारे में उनका कहना है कि बीजू बाबू कहा करते थे कि लोगों की मांग और जरूरतों के बारे में सोचो, मेरे बारे में नहीं। बीजू जनता दल की अपनी विचारधारा और अस्तित्व है।  प्रधानमंत्री द्वारा अपने भाषणों में राष्ट्रवाद, पुलवामा और बालाकोट स्ट्राइक की बात करने पर वह कहते हैं कि उनका यह प्रयास विफल हो गया है।-पी. सामंत और एम. मोहंती    

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