वियतनाम : चीन की तुलना में आर्थिक सफलता की एक कहानी है

Edited By ,Updated: 06 Feb, 2023 04:24 AM

vietnam a story of economic success compared to china

यह अनुमान लगाना संभव है कि रूस के विशेष सैन्य अभियान 24 फरवरी 2022 को शुरू नहीं किए गए होते यदि अमरीका और पश्चिमी देशों ने ढोल पीट कर रूस को यूक्रेन में छद्म युद्ध के लिए लुभाने के लिए जोर न दिया होता।

यह अनुमान लगाना संभव है कि रूस के विशेष सैन्य अभियान 24 फरवरी 2022 को शुरू नहीं किए गए होते यदि अमरीका और पश्चिमी देशों ने ढोल पीट कर रूस को यूक्रेन में छद्म युद्ध के लिए लुभाने के लिए जोर न दिया होता। 4 फरवरी 2022 को बीजिंग में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच आम सहमति समझौते पर हस्ताक्षर करने की घोषणा के बाद पश्चिमी देशों के मुंह से झाग निकलने लगी। दोनों देशों ने कहा कि यह एक असीमित दोस्ती है। 

इन परिस्थितियों में चीन और रूस की जोड़ी ने एक-दो पंच सीधे पश्चिम की ठोड़ी पर दे मारे। उसी क्रम ने वाशिंगटन और लंदन को भी झकझोर कर रख दिया। पिछले वर्ष अगस्त में अफगानिस्तान की पराजय की गहरी शर्मिंदगी से अमरीका और ब्रिटेन की राजधानियां बामुश्किल उभर पाई थीं। 2008 में लेहमैन ब्रदर्स के पतन के बाद ‘अमरीका में गिरावट’-‘अमरीका में गिरावट’ की आवाजें आने लगीं और ये आवाजें अफगानिस्तान से अमरीका की वापसी के बाद चरम पर पहुंच गईं। उनके पास क्या विकल्प था? भले ही पश्चिमी मीडिया यूक्रेन को लेकर पश्चिमी एकता के मिथक पर कायम रहा लेकिन यूरोपीय राजनेताओं ने 2 समांतर रेखाओं को बनाए रखना शुरू कर दिया-एक अपने घरेलू दर्शकों के लिए और दूसरा ब्रसल्स और वाशिंगटन के लिए। 

हंगरी के विक्टर ओरबान ने अपनी स्पष्टवादिता के लिए चैम्पियनशिप जीती। उन्होंने कहा कि ‘‘यूरोपियन यूनियन 4 टायर पंक्चर वाली एक कार है।’’ फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रां उतने कठोर नहीं थे। उन्होंने गोपनीय बैठक के लिए अपने सभी राजनयिकों और वरिष्ठ अधिकारियों को आमंत्रित किया। मैक्रां ने उन्हें एक नई विश्व व्यवस्था के लिए खुद को तैयार करने के लिए कहा। 

बीजिंग और मास्को के बीच ‘किसी भी सीमा के बिना दोस्ती’ ने बिल्ली को कबूतरों के बीच खड़ा कर दिया। इस चीन-रूसी सामंजस्य का ईरान और सऊदी अरब जैसी शक्तियों तथा कई अन्य देशों पर एक चुंबकीय प्रभाव था जिनमें से कुछ पारम्परिक रूप से पश्चिम के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में थे। जब से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की नई उदारवादी आर्थिक नीतियों ने इसे वाशिंगटन के साथ मजबूती से ला खड़ा कर दिया तब से ही भारत ऐसा देश था। यूक्रेन युद्ध ने भारतीय नीति में एक निश्चित अस्पष्टता प्रस्तुत की है जिसने इसे मास्को से प्रशंसा अर्जित करने में मदद की है। बीजिंग-मास्को की जोड़ी ने नए अनुयायियों को अपनी ओर आकर्षित किया है। इसके विपरीत पश्चिमी खेमा अशांत है। 

पश्चिमी चिंताओं को जोडऩे के लिए हनोई से एक शीर्षक आता है जिसके तहत कहा गया है कि, ‘‘वियतनाम चीन के साथ एक सांझा भविष्य देखता है।’’ शीर्षक के बारे में सनसनीखेज रूप से परेशान करने वाली कोई बात नहीं है। शी जिनपिंग और वियतनामी कम्युनिस्ट के महासचिव गुयेन फू ट्रोंग के बीच आदान-प्रदान चल रहा है। शी जिनपिंग ने कहा है कि, ‘‘चीन और वियतनाम  एक सांझा भविष्य वाले समुदाय हैं।’’ वही ट्रोंग का कहना है कि, ‘‘वियतनाम कामरेड शी के साथ काम करने के लिए तैयार है।’’ दोनों देशों के समाजवादी विकास के सिद्धांतों और व्यवहार पर रणनीतिक संचार करने के लिए दोनों पक्षों और देशों के बीच संबंध लगातार विकसित हों और नई ऊंचाइयों तक पहुंचें। 

वियतनाम चीन की तुलना में आॢथक सफलता की एक कहानी है सिवाय इसके कि पैमाने बहुत अलग हैं। वियतनाम चीन की 1.4 बिलियन की तुलना में 100 मिलियन का देश है लेकिन 100 मिलियन आबादी की अर्थव्यवस्था के रूप में इसने हाल के वर्षों में अपनी आर्थिक दक्षता में सिंगापुर और हांगकांग को भी पीछे धकेल दिया है। पश्चिम की पसंद के विपरीत हाल ही में चीन वियतनाम का आलिंगन बदलाव का अनुसरण करता है, 2 हफ्ते पहले वियतनाम के राष्ट्रपति गुयेन जुआन फुक को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि उनकी व्यावसायिक गति में उनका करीबी भ्रष्टाचार के उच्च स्तर में फंस गया। 1979 में चीन वियतनाम संंबंध कितने अलग थे जब मैंने खुद को पार्टी के तत्कालीन महासचिव जुआन थ्यू की उपस्थिति में पाया था। चीन वियतनाम युद्ध का पहला मौका था जब मैंने पश्चिमी मीडिया, उसकी व्यवसायिकता और उसके पूर्वाग्रहों के बारे में कुछ शुरूआती सबक सीखे। मीडिया के लिहाज से यह एक अलग दुनिया थी। 

1979 में समाचार पत्रों की काफी विश्वसनीयता थी। जब तक कि चीन वियतनाम युद्ध जैसी घटना नहीं हुई। चीन ने वियतनाम को सबक सिखाने की धमकी दी थी। पश्चिमी मीडिया ने इस लड़ाई पर कोई ध्यान नहीं दिया जहां वियतनामियों ने चीनियों को रौंदा था। 1993 में उप-राष्ट्रपति के.आर. नारायणन ने वियतनाम का दौरा किया। राजनेता और महान शक्तियों के साथ तथा 3 युद्धों के विजेता के बीच नारायणन ने गुयेन गियाप से मुलाकात की। तब यह प्रश्र उठा था कि वियतनाम का दीर्घकालिक सहयोगी अमरीका या फिर चीन होगा? गियाप ने चुटकी लेते हुए कहा, ‘‘एक सैनिक के रूप में मैंने सीखा है कि रसद युद्ध और शांति दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। चीन बगल में था और इसीलिए एक प्रबंधनीय दीर्घकालिक मित्र था।-सईद नकवी           

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