विकास दुबे ‘मरा नहीं’ अभी शायद कभी मरेगा भी नहीं- (3)

Edited By ,Updated: 22 Jul, 2020 02:51 AM

vikas dubey  not dead  may not even die yet  3

मुझे बहुत दुख है कि पार्टी के प्रारंभ से सबसे बड़ा आदर्श मूल्य आधारित राजनीति अब पूरी तरह से केवल सत्ता और कुर्सी आधारित राजनीति बन गया। हम दल-बदल में शामिल हो रहे हैं। हरियाणा की भजन मंडली की तरह कुछ छोटे प्रदेशों में हमने पूरी

मुझे बहुत दुख है कि पार्टी के प्रारंभ से सबसे बड़ा आदर्श मूल्य आधारित राजनीति अब पूरी तरह से केवल सत्ता और कुर्सी आधारित राजनीति बन गया। हम दल-बदल में शामिल हो रहे हैं। हरियाणा की भजन मंडली की तरह कुछ छोटे प्रदेशों में हमने पूरी मंडली की दल-बदल कर सरकारें बनाईं भले ही सरकारें गिर गईं। 

फिर तो पार्टी एक सराय बन जाएगी
हिमाचल विधानसभा के पिछले चुनाव से पहले प्रदेश के प्रमुख नेताओं को दिल्ली बुलाया गया। प्रमुख विषय था कि कांग्रेस के अधिक से अधिक नेताओं को पार्टी में लाया जाए। एक नेता ने कहा यह करने में पार्टी के जिला संगठन से अनुमति लेनी चाहिए। हमें आदेश हुआ कोई अनुमति की जरूरत नहीं-पार्टी में लो और फिर सूचित करो। मुझे पंडित सुखराम जी से बात करने के लिए कहा गया। मुझे अच्छा नहीं लगा, बाद में चाय पीते हुए मैंने कहा था फिर तो पार्टी एक सराय बन जाएगी। कुछ दिन के बाद मुझे पूछा-आपने श्री सुखराम जी से बात की तो मैंने कहा था मुझे अच्छा नहीं लगा और न ही मैंने श्री सुखराम जी से बात की है। बाद में श्री सुखराम जी आए फिर गए वह एक अलग कहानी है। 

भारतीय जनता पार्टी अपने उसी आदर्शों से भटक गई
आज राजनीति केवल वोट की, कुर्सी की और सत्ता की बन गई है। जो पार्टी मूल्य आधारित राजनीति का आदर्श लेकर बनी,आगे बढ़ी और जिस आदर्श के कारण ही देश की जनता ने उसे विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बनाया आज वह भारतीय जनता पार्टी अपने उसी आदर्शों से भटक गई। बहुत आहत हो गया हूं इसीलिए स्पष्ट लिख रहा हूं। यदि मध्य प्रदेश और राजस्थान में जनता के वोटों से कांग्रेस की सरकारें बनीं तो इसमें बुरा क्या है। यही तो लोकतंत्र है। लगभग पूरे भारत में हमारी सरकारें हैं। केंद्र में भी हमारी सरकार है। इसके बाद भी मध्य प्रदेश और राजस्थान की सरकारों को हमारी पार्टी उखाडऩे का प्रयत्न क्यों कर रही है। मुझे तो बिल्कुल समझ नहीं आ रहा है। क्या अब लोकतंत्र की नई परिभाषा हो गई जिसमें विपक्ष होगा ही नहीं।  हमारे देश के संत कितने बुद्धिमान और दूरदर्शी थे। संत कबीर जी ने कहा था :-

निंदक नियरे राखिए आंगन कुटी छवाए बिन पानी साबुन बिना निर्मल करे सुभाए
निंदक या आलोचक को तो अपने ही आंगन में रखना चाहिए। आज हम देश में कहीं भी उन्हें नहीं रहने देना चाहते।

अधिक वोट प्राप्त करने के लिए बाहुबली भी चाहिए और धनबली भी चाहिए
यदि राजनीति का एकमात्र उद्देश्य जिस किसी तरीके से सरकार बनाना ही है तो फिर अधिक वोट प्राप्त करने के लिए बाहुबली भी चाहिए और धनबली भी चाहिए। इनकी सहायता से सत्ता तो मिलेगी परन्तु फिर इनको पालना-पोसना भी पड़ेगा। चुनाव के लिए आज कितना धन खर्च होता है आप में से किसी को कोई अनुमान नहीं। इस बार हिमाचल के विधानसभा चुनाव में एक-एक विधानसभा में लाखों नहीं करोड़ों खर्च किए गए। कई जगह बिना जरूरतों के खर्च किए गए। मैं बहुत हैरान भी हुआ और दुखी भी हुआ। 

मैंने पूरे हिमाचल में जितने धन से सरकार बनाई थी उससे अधिक तो एक-एक विधानसभा में खर्च किया गया। मेरा सौभाग्य है कि प्रदेश चुनाव करवाने के लिए मैंने कभी किसी से धन नहीं मांगा। जब पहली बार मुख्यमंत्री बना था। कुछ बड़े लोग काम होने पर धन देना चाहते थे लेकिन मैं बिल्कुल इंकार करता था। उन्हें कहता था चुनाव के समय हमें धन की आवश्यकता होती है। हो सके तो तब याद कर लेना। एक बार पूरा चुनाव लड़ा और पांच लाख रु. बच गए। केंद्र सेकभीकुछ नहीं लेता था। दिल्ली जाकर बचे पांच लाख रु. को श्री सुंदर सिंह भंडारी जी को वापस किया। वे बड़े हैरान हुए-कहने लगे आपने केंद्र से कुछ नहीं लिया फिर भी धन लौटा रहे हो। मैंने कहा कि यह धन लोगों ने स्वयं दिया है, बच गया, पार्टी का है आपको दे रहा हूं। 

आज हम पूरे भारत में शान के साथ सत्ता में हैं न तो हमारी पार्टी का कोई विकल्प है और न ही आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी का कोई विकल्प है। कांग्रेस आत्महत्या कर रही है। अब भी यदि हम मूल्य आधारित राजनीति के आदर्श को लागू नहीं कर सके तो इतिहास हमें कभी क्षमा नहीं करेगा। भारतीय जनता पार्टी इस दृष्टि से अंतिम आशा की किरण है। यदि हम भी शहीदों, दीन दयाल उपाध्याय व गांधी के सपनों का भारत न बना सके तो भारत का भविष्य अंधकारमय ही है। 

सत्ता की राजनीति में अमीरी चमकती है गरीबी सिसकती है 
सत्ता और केवल सत्ता की राजनीति से सरकारें तो बनती रहेंगी पर एक खुशहाल समाज नहीं बनेगा। 72 वर्ष की आजादी के बाद भी आज भयंकर गरीबी व बेरोजगारी है। हालत यहां तक है कि कुछ गरीब प्रदेशों के गरीब घरों की बेटियां बेची व खरीदी जाती हैं। क्या यह सोचकर शर्म नहीं आती? इस सबका एकमात्र कारण सत्ता की राजनीति है। उसमें अमीरी चमकती है गरीबी सिसकती है और विकास दुबे फलते-फूलते हैं। 

लाखों के जनप्रतिनिधि भेड़-बकरियों की तरह नीलामी पर चढ़ते हों उन्हें विरोधियों से बचाए रखने के लिए फाइव स्टार होटलों में बंद रखना पड़े तो लोकतंत्र का जनाजा नहीं निकलेगा तो और क्या होगा। सेवानिवृत्त पुलिस डी.जी.पी. और विद्वान प्रकाश सिंह की चेतावनी विचारणीय है-‘‘यदि स्थिति में सुधार नहीं किया गया तो वह दिन दूर नहीं जब भारत में लोकतंत्र का जनाजा निकल जाएगा।’’ एक तरफ मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु राम का मंदिर बना रहे हैं, दूसरी तरफ जनप्रतिनिधियों की नीलामी हो रही है। विकास दुबे जैसे फल-फूल रहे हैं। सच कहता हूं प्रभु राम भी रो रहे होंगे। 

मेरा सौभाग्य है कि मेरे छोटे भाई व एक अजीज की तरह श्री जगत प्रकाश नड्डा आज भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। यदि क्रोध आए तो वे मुझे क्षमा कर दें। परन्तु वे मेरे एक निवेदन पर विचार अवश्य करें। आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी से भी बड़ी विनम्रता से यही निवेदन कर रहा हूं। भाजपा एक बार फिर यह संकल्प करे कि अब पूरे देश में केवल मूल्य आधारित राजनीति ही करेंगे। हम बहुमत में हैं दल-बदल कानून बदला जाए। एक बार पार्टी के प्रत्याशी के रूप में जीता नेता यदि दल-बदल करे तो उसकी सदस्यता समाप्त की जाए। उसे पांच वर्ष के लिए चुनाव लडऩे के अयोग्य ठहराया जाए। 

आज लोकसभा में 43 प्रतिशत सदस्य वे हैं जिन पर गंभीर आरोपों के मुकद्दमे चल रहे हैं। कानून द्वारा अपराध से आरोपित को चुनाव लडऩे के  अयोग्य ठहराया जाए। श्री एन.एन. वोहरा की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए, जिसमें उन नेताओं के नाम हैं जो दाऊद जैसे अपराधियों की सहायता करते रहे। यदि छोटी-सी भारतीय जनसंघ पार्टी को देश की जनता ने आदर्शवाद के कारण विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बना दिया तो उन्हीं आदर्शों के कारण जनता का समर्थन और भी बढ़ जाएगा। इस प्रकार नैतिकता व मूल्यों की राजनीति आएगी। तभी भ्रष्ट  राजनीति के पिंजरे का तोता मरेगा और फिर कभी कोई विकास दुबे पैदा ही नहीं होगा?-शांता कुमार (पूर्व मुख्यमंत्री हि.प्र. व पूर्व केन्द्रीय मंत्री)

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