इस्लामिक जेहाद की बर्बरता : 2017 में 84,000 निर्दोष जानें गईं

Edited By Pardeep,Updated: 26 Sep, 2018 03:10 AM

violence of islamic jihad 84 000 innocent people were killed in 2017

इस्लामिक बर्बरता के नए आंकड़ों ने दुनिया को शर्मसार कर दिया है, चिंता में डाल दिया है, उसे फिर से यह सोचने के लिए बाध्य कर दिया है कि आखिर इस इस्लामिक बर्बरता के रोकने के सिद्धांत और नीति क्या हैं? अब तब जितने भी प्रयास हुए हैं वे सबके सब नाकाफी,...

इस्लामिक बर्बरता के नए आंकड़ों ने दुनिया को शर्मसार कर दिया है, चिंता में डाल दिया है, उसे फिर से यह सोचने के लिए बाध्य कर दिया है कि आखिर इस इस्लामिक बर्बरता के रोकने के सिद्धांत और नीति क्या हैं? अब तब जितने भी प्रयास हुए हैं वे सबके सब नाकाफी, बेअसर साबित हुए हैं। इस्लामिक आतंकवाद से जुड़ी घृणा और हिंसा का दायरा दिनों-दिन बढ़ता ही चला जा रहा है। सिर्फ बर्बर सामाजिक व्यवस्था वाले देशों की ही बात नहीं है, बल्कि सभ्य और विकसित सामाजिक व्यवस्था वाले देशों में भी इस्लामिक घृणा और इस्लामिक हिंसा ने अपने पैर पसारे हैं। 

अब यहां यह प्रश्न उठता है कि इस्लामिक बर्बरता, हिंसा और घृणा के नए आंकड़े क्या हैं, किसने तैयार किए हैं, कितने चाक-चौबंद हैं? इन घृणित आंकड़ों से भी क्या दुनिया कोई सबक लेगी और इस्लामिक बर्बरता के खिलाफ कोई चाक-चौबंद अभियान चलेगा? इस्लामिक बर्बरता का नया आंकड़ा यह है कि 2017 में दुनिया भर में इस्लामिक आतंकवादियों ने 84,000 से ज्यादा निर्दोष लोगों की हत्याएं की हैं, हजारों अवयस्क लड़कियों की इज्जत लूटी है। हजारों अवयस्क लड़कियों को बंधक बनाकर सैक्स स्लेव यानी गुलाम बना कर रखा। 

कोई एक नहीं, बल्कि 66 देशों में इस्लामिक आतंकवादियों ने हिंसा की खतरनाक साजिश रची है और हिंसा को साजिशपूर्ण ढंग से अंजाम देने का कार्य भी किया है। 121 देशों में इस्लामिक आतंकवादी सक्रिय हैं जहां पर उनका नैटवर्क गंभीर रूप से सक्रिय है और उसको सुरक्षा एजैंसियां भी समाप्त करने में विफल रही हैं। सर्वाधिक खतरा उन देशों पर बढ़ा है जहां पर इस्लामिक राज नहीं है, पर इस्लामिक राज के लिए किसी न किसी प्रकार का मजहबी हिंसक अभियान जारी है। इस्लामिक आतंकवादी सरेआम कहते हैं कि दुनिया को कुरान का शासन मानना ही होगा अन्यथा हिंसा का शिकार होना होगा, हम तलवार के बल पर पूरी दुनिया में कुरान का शासन लागू करेंगे। 

ये आंकड़े और ये निष्कर्ष ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर की संस्था ‘इंस्टीच्यूट फॉर ग्लोबल चेंज’ ने दिए हैं। ये आंकड़े कोई सतही नहीं हैं, चाक-चौबंद हैं, यह निष्कर्ष भी चाक-चौबंद है। कुछ समय पूर्व तक दुनिया भी खुशफहमी की शिकार हो गई थी। वह इसलिए कि वह इस्लामिक आतंकवाद से जुड़ी अवधारणा की चाक-चौबंद समझ विकसित नहीं कर पाई थी। ईराक में आई.एस. की पराजय के बाद दुनिया ने यह समझ लिया था कि इस्लामिक आतंकवाद और इस्लामिक घृणा पर विजय मिल चुकी है और अब दुनिया उससे पूरी तरह से मुक्त हो जाएगी। इस्लामिक आतंकवादियों का जो 121 देशों में नैटवर्क  कायम है, उसे अब आसानी से समाप्त कर दिया जाएगा। 

‘इंस्टीच्यूट फॉर ग्लोबल चेंज’ के नए आंकड़ों और निष्कर्ष ने साबित कर दिया है कि दुनिया की वह समझ झूठ और सतही थी। ईराक में आई.एस. की पराजय जरूर हुई है, पर  वहां आई.एस. पूरी तरह से जमींदोज हो गया है, यह कहना मुश्किल है। खबर तो यह है कि ईराक में आज भी आई.एस. अप्रत्यक्ष तौर पर सक्रिय है और खासकर सुन्नी मुस्लिम समुदाय में आज भी आई.एस. को लेकर सहानुभूति है, संरक्षण की नीति है। यह जानना जरूरी है कि ईराक में शिया मुस्लिम समुदाय बहुसंख्यक है और सुन्नी मुस्लिम समुदाय की संख्या कम है। आई.एस. सुन्नी आतंकवादी संगठन है। 

सबसे बड़ी बात यह है कि कभी ईराक और सीरिया में ही आई.एस. सक्रिय था, जहां पर दुनिया भर के मुस्लिम युवक-युवतियां आई.एस. की ओर से लडऩे के लिए गए थे लेकिन अब इसने ईराक और सीरिया से बाहर निकल कर पूरी दुनिया भर में अपने पैर पसार लिए हैं, अपना नैटवर्क कायम कर लिया है। इस्लाम के नाम पर दुनिया भर से जो मुस्लिम लड़के-लड़कियां आई.एस. में शामिल हुए थे और उसके लिए लड़े थे, वे पराजय के बाद अपने-अपने देश लौट चुके हैं और वहां इस्लाम के शासन के लिए जेहाद कर रहे हैं। दुनिया में सिर्फ आई.एस. ही खूंखार, हिंसक या फिर मानवता को शर्मसार करने वाला आतंकवादी संगठन नहीं है। 200 से अधिक मुस्लिम आतंकवादी संगठन हैं जो सीधे तौर पर इस्लाम की मान्यताओं को लेकर जेहादी हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि स्थानीय स्तर पर दुनिया में हजारों और लाखों मुस्लिम आतंकवादी संगठन हैं। स्थानीय स्तर का मुस्लिम आतंकवादी संगठन भी कम खतरनाक नहीं होता है। 

वह बड़े आतंकवादी संगठनों के लिए जमीन तैयार करता है, आतंकवादी मानसिकताओं का प्रचार-प्रसार करता है, आतंकवाद का बीजारोपण करता है। बड़े आतंकवादी संगठन पर कार्रवाई तो आसान होती है मगर, स्थानीय स्तर पर सक्रिय आतंकवादी संगठनों पर कार्रवाई बड़ी मुश्किल होती है, क्योंकि इनकी पहचान अति गोपनीय होती है और मुस्लिम समुदाय ऐसे संगठनों की पहचान जाहिर करना इस्लाम विरोधी मान लेते हैं। खासकर अफ्रीका महाद्वीप में इस्लामिक हिंसा ने कुछ ज्यादा ही मुश्किल पैदा की है और खासकर महिलाओं की जिंदगी ङ्क्षहसाग्रस्त बना डाली है। अफ्रीका महाद्वीप का कोई एक देश नहीं, बल्कि कई देश इस्लामिक आतंकवाद की चपेट में हैं। सूडान, नाइजीरिया, सोमालिया, सेनेगल, इथोपिया जैसे दर्जनों देश हैं जहां पर इस्लाम के शासन के लिए गृह युद्ध जारी है। 

बोको हराम नामक इस्लामिक संगठन आई.एस. से भी खतरनाक है। बोको हराम ने ईसाईयत को समाप्त करने की कसम खाई है और उसके निशाने पर ईसाईयत ही है। अफ्रीका में ईसाईयत और इस्लाम के बीच में मार-काट मची है और प्रभुत्व के लिए हिंसा भी चरम पर है। ईसाई जहां आत्मसुरक्षा के लिए सक्रिय हैं, वहीं इस्लाम के मानने वाले लोग इस्लामिक  शासन कायम करने के लिए जेहादी बने हुए हैं। बोको हराम ने अफ्रीका में हजारों ईसाई लड़कियों का अपहरण कर उन्हें सैक्स गुलाम बना डाला। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि सैक्स गुलाम बनाई गई लड़कियों को अरब के शेखों के हाथों बेचने जैसे घृणित कार्य भी किए हैं। 

इस्लामिक आतंकवादी संगठन ऐसे देशों की ओर रुख किए हैं जहां पर इस्लामिक शासन नहीं हैं और जो देश इस्लामिक आतंकवाद को रोकने के लिए सक्रिय हैं जैसे अमरीका, भारत, इसराईल, ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया आदि। इन देशों में उदारवादी शासन व्यवस्था कायम है जहां पर मुस्लिम आबादी के बीच मुस्लिम आतंकवादी संगठन तेजी के साथ नैटवर्क कायम कर रहे हैं और अपनी असली पहचान को भी संरक्षित कर लेते हैं। यही कारण है कि ये लोमहर्षक हिंसा को अंजाम देने के बावजूद भी पकड़ से बाहर हो जाते हैं या फिर उदारवादी कानून व्यवस्था का लाभ उठा कर दंडित होने से बच जाते हैं। 

इस्लामिक आतंकवाद को कुचलने के नाम पर अरबों-खरबों रुपए खर्च कर दिए गए। आतंकवादी देश पाकिस्तान को खरबों रुपए की सहायता दी गई पर परिणाम जीरो ही रहा। जब तक इस्लामिक आतंकवाद की वैचारिक शक्ति पर प्रहार नहीं होगा और आतंकवादी समूह को पनाह देने वाले मुस्लिम समूहों पर दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी, तब तक ऐसी ही अंधेरगर्दी चलती रहेगी। इस्लामिक आतंकवादी कोई आसमान में या जमीन के अंदर नहीं रहते हैं, ये भी मुस्लिम आबादी के बीच ही रहते हैं, इस सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए।-विष्णु गुप्त

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!