सोलोमन द्वीप समूह में भड़के चीन विरोधी हिंसक दंगे

Edited By ,Updated: 02 Dec, 2021 05:11 AM

violent anti china riots erupted in solomon islands

इन दिनों हिन्द प्रशांत क्षेत्र में एक छोटे से देश सोलोमन द्वीप पर चीन विरोधी दंगे भड़क उठे हैं। 25 नवम्बर से भड़के दंगों के पीछे विदेशी ताकतों का हाथ बताया जा रहा है। पिछले तीन दिन सोलोमन की राजधानी होनीआरा

इन दिनों हिन्द प्रशांत क्षेत्र में एक छोटे से देश सोलोमन द्वीप पर चीन विरोधी दंगे भड़क उठे हैं। 25 नवम्बर से भड़के दंगों के पीछे विदेशी ताकतों का हाथ बताया जा रहा है। पिछले तीन दिन सोलोमन की राजधानी होनीआरा में बहुत आपाधापी भरा माहौल रहा जिसमें हिंसा, आगजनी और लूट की वारदातें देखने को मिलीं। 

हिंसा का केन्द्र राजधानी होनीआरा का चाइना टाऊन है। वैसे अभी तक इस हिंसा में 3 लोगों के मरने और 100 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी की खबर है। सबसे चिंता की बात यह रही कि इसमें खासतौर पर चीनी समुदाय के व्यापारियों के खिलाफ हिंसा देखने को मिली। जहां उनकी दुकानों को आग के हवाले किया गया, वहीं उनके व्यापार को नुक्सान पहुंचाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी गई। इस सारी हिंसा में स्थानीय लोगों की भागीदारी सबसे ज्यादा रही। इस ङ्क्षहसा में सोलोमन की संसद की इमारत, पुलिस स्टेशन, व्यापारिक संस्थान आदि को आग के हवाले कर दिया गया। हिंसा के बाद सोलोमन द्वीप समूह में खाने-पीने की वस्तुओं की कमी हो गई है। 

हालात की गंभीरता को भांपते हुए ऑस्ट्रेलिया ने 67 सुरक्षाकर्मियों का एक दल सोलोमन भेज दिया है, ताकि हालात पर समय रहते काबू पाया जा सके। सोलोमन द्वीप तस्मानिया और न्यूजीलैंड की तरह ऑस्ट्रेलिया का निकटतम पड़ोसी देश है। सोलोमन द्वीप के गवर्नर जनरल डेविड वुनागी ने लोगों से एक-दूसरे का सम्मान करने और साथ रह कर काम करने के महत्व पर जोर देते हुए हिंसा खत्म करने की अपील की है। वहीं प्रशासन ने हिंसा के बाद से ही अनिश्चित काल के लिए रात का कफ्र्यू लगा दिया है ताकि हालात पर जल्दी काबू पाने में मदद मिले। 

दरअसल कहा जा रहा है कि सामोआ द्वीप समूह के प्रधानमंत्री मानासेह सोगावारे ने अपना दोस्त बदल लिया था, जिसके चलते लोगों का गुस्सा उनके खिलाफ फूट पड़ा। सोलोमन द्वीप समूह पहले ताईवान का दोस्त था लेकिन हाल ही में उसने अपने दोस्त की सूची से ताईवान को हटाकर उसमें चीन का नाम जोड़ दिया। बस इसी बात से सोलोमन द्वीप के लोगों का गुस्सा अपने प्रधानमंत्री मानासेह के खिलाफ फूट पड़ा और इसमें लोगों ने चीन की साजिश देखी। असल में चीन पूरी दुनिया में ताईवान को अलग-थलग करने की मुहिम में जुटा हुआ है। 

इस समय पूरी दुनिया में ताईवान के दोस्तों में सिर्फ 17 देश शामिल हैं, जिनमें से अब एक और दोस्त कम हो गया है। चीन ताईवान के दोस्तों को अपने पक्ष में मिलाने के लिए हर तरह के छल-प्रपंच का इस्तेमाल कर रहा है। किसी देश में एक स्टेडियम बना कर उसे खरीद लेता है तो किसी देश में रेलवे लाइन, पुल, सड़क और पुलिस मुख्यालय बनाकर उसको अपने पक्ष में कर लेता है। 

लोगों का गुस्सा पहले से ही सोलोमन में रहने वाले चीनी लोगों के खिलाफ था क्योंकि चीनी व्यापारी अपना व्यापार तो बढ़ा रहे थे लेकिन स्थानीय लोगों को रोजगार देने की जगह विदेशी, खासकर चीनी लोगों को ही नौकरी पर रखते थे। इसके साथ ही लोग प्रधानमंत्री सोगावारे के इस्तीफे की मांग भी कर रहे हैं, जो पिछले 21 वर्षों से सोलोमन के प्रधानमंत्री हैं। उन पर आरोप है कि इन्होंने सोलोमन के लोगों की बेहतरी के लिए कोई काम नहीं किया और न ही देश की प्रगति के लिए कोई योजना बनाई है। 

वर्ष 2019 में सोलोमन के लोग सोगावारे से तब खासे नाराज हो गए जब उन्होंने ताईवान से अपने सारे राजनयिक संबंध खत्म कर लिए। सोलोमन द्वीप समूह के सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले द्वीप मालाइता में बहुत सारे समुदायों के ताईवान के साथ बहुत गहरे संबंध हैं, जो प्रधानमंत्री मानासेह के ताईवान से रिश्ते खत्म करने और चीन के साथ जोडऩे से खासे नाराज और गुस्से में हैं। इस हिंसा के पीछे इन लोगों का गुस्सा और मानासेह का पाला बदलने का फैसला भी बताया जा रहा है। 

मामला चीनी लोगों से जुड़ा है तो चीन का प्रतिक्रिया देना जरूरी हो जाता है। चीनी दूतावास ने सोलोमन द्वीप समूह पर हुई हिंसा और इसमें चीनी समुदाय को निशाना बनाए जाने को लेकर खासी नाराजगी जताई और सोलोमन की सरकार से इसे रोकने को कहा है। वहीं चीन के विदेश विभाग के प्रवक्ता त्साओ लीच्यान ने हिंसा को लेकर चिंता जताई और सोलोमन की सोगावारे सरकार पर भरोसा जताया कि जल्दी ही वे हिंसा पर काबू पाएंगे और हालात सामान्य होंगे। 

ऑस्ट्रेलिया ने जल्दी ही कदम उठा कर सोलोमन द्वीप समूह के हालात पर काबू पाने की कोशिश की है। ऐसी आशंका जताई जा रही थी कि अगर ऑस्ट्रेलिया को यहां पहुंचने में देरी होती तो चीन अपनी सेना को यहां भेज देता, जो ऑस्ट्रेलिया के लिए खतरे की घंटी होती क्योंकि दोनों देशों के बीच दूरी बहुत कम है। इससे ऑस्ट्रेलिया के समुद्री व्यापार और गतिविधियों में चीन निश्चित ही बाधा डालता। इससे दोनों देशों के बीच पहले से चले आ रहे गतिरोध में और इजाफा होता। ऑस्ट्रेलिया नहीं चाहता कि चीन वही हालात ऑस्ट्रेलिया के लिए पैदा करे जो उसने नाइन डैश लाइन को लेकर दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के लिए बनाए हैं। 

सोलोमन द्वीप समूह के हालात आगे कैसी करवट लेते हैं, इस पर विश्व की महाशक्तियां पैनी नजर बनाए हुए हैं, जिनमें अमरीका, फ्रांस, इसराईल, जापान और ब्रिटेन जैसी ताकतें शामिल हैं। ये देश भी नहीं चाहते कि सोलोमन द्वीप समूह के हालात किसी भी तरह चीन के पक्ष में जाएं।

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