गुलाम कश्मीर में उठी ‘पाकिस्तान से आजादी’ की आवाज

Edited By ,Updated: 11 Sep, 2019 01:47 AM

voice of  independence from pakistan  raised in slave kashmir

धारा 370 हटाए जाने की भारत की वीरता अब पाकिस्तान के अस्तित्व पर न केवल भारी पड़ रही है, बल्कि गुलाम कश्मीर में भी पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी बज चुकी है। यह अलग बात है कि पाकिस्तान की पुलिस-सेना गुलाम कश्मीर में बज रही खतरे की घंटी की आवाज को बंद...

धारा 370 हटाए जाने की भारत की वीरता अब पाकिस्तान के अस्तित्व पर न केवल भारी पड़ रही है, बल्कि गुलाम कश्मीर में भी पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी बज चुकी है। 

यह अलग बात है कि पाकिस्तान की पुलिस-सेना गुलाम कश्मीर में बज रही खतरे की घंटी की आवाज को बंद करने के लिए उत्पीडऩ और बर्बरता का सहारा ले रही है, फिर भी यह आवाज पूरी दुनिया में सुनी जा रही है, दुनिया के अखबारों की सुॢखयां भी बन रही है। जब गुलाम कश्मीर में पाकिस्तान से आजादी और गुलामी को लेकर आवाज उठेगी और पाकिस्तान की बर्बरता के खिलाफ लोग सड़कों पर उतरेंगे तब दुनिया के जनमत और दुनिया को नियंत्रित करने वाले अंतर्राष्ट्रीय संगठनों पर भी दबाव जरूर पड़ेगा। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि पाकिस्तान को अपनी बर्बरता और निरंकुशता को समाप्त करने की नसीहत भी मिलेगी। 

पाकिस्तान की आंतरिक समस्या और गुलाम कश्मीर का प्रश्न भारत के लिए बड़ी राहत वाली बात रही है। पाकिस्तान प्रायोजित प्रोपेगंडा दुनिया में इसलिए कारगर साबित नहीं हुआ कि खुद पाकिस्तान अपनी आंतरिक समस्याओं को नियंत्रित करने के लिए सैनिक और पुलिस बर्बरता का सहारा लेता है। यही कारण है कि धारा 370 की भारतीय वीरता के खिलाफ पाकिस्तान के विरोध और धमकी को दुनिया ने लगभग अनसुना कर डाला। गुलाम कश्मीर में पाकिस्तान की सेना और पुलिस की करतूत अब मानवाधिकार हनन का भी प्रश्न बनेगी। 

पाकिस्तान की नींद उड़ी
अभी-अभी गुलाम कश्मीर में पाकिस्तान से मुक्ति को लेकर बहुत बड़ा और दुनिया के जनमत का ध्यान खींचने वाला आंदोलन हुआ। यह आंदोलन जे.के.एल.एफ. के प्रमुख मोहम्मद सगीर के नेतृत्व में शुरू हुआ। पाकिस्तान विरोधी आंदोलन में हजारों लोग शामिल हुए और सभी ने पाकिस्तान से आजादी की मांग की और अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी से आत्म निर्णय का अधिकार दिलवाने की अपील की। जे.के.एल.एफ. के इस आंदोलन ने पाकिस्तान की नींद उड़ाई है। पाकिस्तान की नींद इसलिए उड़ी है कि धारा 370 की भारतीय वीरता के खिलाफ प्रोपेगंडा बेपर्दा न हो जाए और अंतर्राष्ट्रीय नियामक खुद गुलाम कश्मीर और बलूचिस्तान में बर्बरता के खिलाफ पाकिस्तान की गर्दन न नाप लें। 

यही कारण है कि पाकिस्तान ने जे.के.एल.एफ. के आंदोलन को कमजोर करने के सभी हथकंडे अपनाए। सबसे पहले इस्लाम का हवाला देकर समझाने की कोशिश की पर गुलाम कश्मीर की जनता नहीं मानी। फिर सैन्य और पुलिस उत्पीडऩ का सहारा लिया गया। जे.के.एल.एफ. का दावा है कि पाकिस्तानी पुलिस ने करीब 40 लोगों को गिरफ्तार कर जेलों में डाल दिया है।

इतना ही नहीं, बल्कि आंदोलनकारी लोगों के परिजनों का भी उत्पीडऩ जारी है। यह सही है कि पाकिस्तान ने कश्मीर के बड़े भू-भाग पर कब्जा तो जरूर कर लिया था पर गुलाम कश्मीर की जनता को कभी भी आजादी नहीं मिली। गुलाम कश्मीर की जनता सिर्फ और सिर्फ पाकिस्तान की गुलाम बन कर रह गई। शासन-प्रशासन और विकास के प्रसंग पर ये भेदभाव के शिकार हैं, गुलाम कश्मीर के संसाधनों का प्रयोग पाकिस्तान की भलाई और विकास के लिए किया जाता है पर गुलाम कश्मीर को कुछ भी नहीं मिलता है। 

गुलाम कश्मीर को सिर्फ और सिर्फ भारत विरोधी हथकंडा बना कर रखा गया है। पाकिस्तान ने गुलाम कश्मीर को कैसे हड़पा था, यह कौन नहीं जानता। कबायलियों के वेश में आई पाकिस्तानी सेना ने कश्मीर के बड़े भू-भाग पर कब्जा कर लिया था। राजा हरि सिंह ने बिना शर्त जम्मू-कश्मीर का विलय भारत में किया था। भारतीय सेना ने वीरता दिखाई और पाकिस्तान सेना को बहुत दूर तक खदेड़ भी दिया था। जवाहर लाल नेहरू ने भारतीय सेना के  हाथ बांध दिए थे। फलस्वरूप कश्मीर के एक बड़े भू-भाग पर पाकिस्तान का कब्जा हो गया था। 

भारतीय शासकों में वीरता के अभाव के कारण ही आज तक गुलाम कश्मीर पाकिस्तान के कब्जे में है। अगर भारतीय शासकों में वीरता होती तो निश्चित तौर पर गुलाम कश्मीर भी हमारे देश का अंग होता। सही तो यह है कि भारतीय शासकों ने गुलाम कश्मीर को लेकर कभी भी कोई गंभीर प्रयास नहीं किए और न ही पाकिस्तान की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोई गंभीर घेराबंदी करने की कोशिश की। पाकिस्तान ने गुलाम कश्मीर को एक अलग क्षेत्र के रूप में स्वीकार किया था। वह पाकिस्तान का अंग नहीं था। फिर भी पाकिस्तान ने गुलाम कश्मीर को एक अंग के रूप में तबदील कर दिया। गुलाम कश्मीर के लोगों को चुनाव लडऩे या फिर कोई सरकारी कागजात हासिल करने के लिए यह कहना होता है कि वे पाकिस्तान के नागरिक हैं और पाकिस्तान के संविधान में विश्वास रखते हैं। गुलाम कश्मीर के शासन को भी पाकिस्तान का संविधान ही नियंत्रित करता है। 

पाकिस्तान प्रायोजित सत्ता
एक प्रश्न यह है कि गुलाम कश्मीर में सत्ता पाकिस्तान प्रायोजित होती है, पाकिस्तान विरोधी शख्सियत कभी गुलाम कश्मीर की सत्ता पर सत्तासीन हो ही नहीं सकती। पाकिस्तान गुलाम कश्मीर का एक बड़ा भू-भाग चीन को सौंप चुका है, जो कश्मीर की जनता के साथ अन्याय था। चीन गुलाम कश्मीर में किस प्रकार का खेल खेल रहा है, यह भी जगजाहिर है। सच तो यह है कि चीन ने गुलाम कश्मीर की जनता की आशाओं और भविष्य की कब्र खोद रखी है। उल्लेखनीय है कि चीन के कई सामरिक ठिकाने गुलाम कश्मीर में हैं। चीन अपने सामरिक ठिकानों के माध्यम से भारत की सुरक्षा को चुनौती ही नहीं देता है, बल्कि भारत को डराता-धमकाता भी है। भारत के खिलाफ पाकिस्तान और चीन का गठजोड़ किस प्रकार से काम करता है, यह भी जगजाहिर है। 

धारा 370 पर भारतीय वीरता को लेकर पाकिस्तान को दुनिया भर से हार मिली, चीन ही एक मात्र देश है जो पाकिस्तान के साथ खड़ा रहा। इतना ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान की सहायता के लिए और भारत के खिलाफ चीन संयुक्त राष्ट्र भी गया पर भारत की कूटनीतिक वीरता के सामने चीन और पाकिस्तान का गठजोड़ कोई खास करिश्मा नहीं कर सका। सबसे बड़ी बात यह है कि पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन भी गुलाम कश्मीर की जनता पर हिंसा बरपाते हैं। गुलाम कश्मीर के अंदर पाकिस्तानी आतंकवादियों के शिविरों और सक्रियता से विकास और शिक्षा जैसे कार्य बाधित होते हैं। इस्लामिक आतंकवादी सिर्फ और सिर्फ इस्लाम आधारित व्यवस्थाएं ही चाहते हैं। उनका विरोध करने पर गुलाम कश्मीर की जनता हिंसा की शिकार होती है। 

भारत की आक्रामक कूटनीति
भारत अब पाकिस्तान के खिलाफ आक्रामक कूटनीति पर चल रहा है, यह एक अच्छी बात है। बलूचिस्तान की अस्मिता और स्वतंत्रता को लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी भारत आवाज उठा रहा है। गुलाम कश्मीर भी हमारा अंग है। उसमें हर पाकिस्तानी करतूत को उजागर करने की जरूरत है। जब दुनिया को यह पता चलेगा कि धारा 370 की समाप्ति का विरोध करने वाला पाकिस्तान खुद गुलाम कश्मीर में ङ्क्षहसा बरपा रहा है और मानवता का खून कर रहा है तो फिर उसका असली चेहरा दुनिया के सामने उजागर हो जाएगा।-विष्णु गुप्त
 

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