‘क्या मोदी मंत्रिमंडल में हरसिमरत एक मूक सदस्य थीं’

Edited By ,Updated: 12 Nov, 2020 02:29 AM

was harsimrat a silent member in modi s cabinet

इन्हीं दिनों पूर्व केंद्रीय मंत्री बीबा हरमिसरत कौर बादल का एक बयान नजरों से गुजरा, जिसमें बीबा जी ने शिकवा किया है कि कृषि बिलों के मुद्दे पर केंद्र सरकार ने उन्हें अंधेरे में रखा। उनके इस बयान को पढ़ कर हैरानी हुई। इसका कारण यह है कि जब

इन्हीं दिनों पूर्व केंद्रीय मंत्री बीबा हरमिसरत कौर बादल का एक बयान नजरों से गुजरा, जिसमें बीबा जी ने शिकवा किया है कि कृषि बिलों के मुद्दे पर केंद्र सरकार ने उन्हें अंधेरे में रखा। उनके इस बयान को पढ़ कर हैरानी हुई। इसका कारण यह है कि जब यह बिल पास हो कानून बने और जब इनसे पहले इन बिलों से संबंधित अध्यादेश जारी हुआ, उस समय वे केंद्रीय मंत्रिमंडल में एक जिम्मेदार मंत्री के रूप में शामिल थीं। 

इतना ही नहीं मंत्रिमंडल की जिन बैठकों में अध्यादेश और उसके बाद बिलों के मसौदे को स्वीकृति दी गई, उनमें भी वह एक जिम्मेदार मंत्री के रूप में जरूर शामिल रही होंगी। जब अध्यादेश जारी हुआ, उस समय उन्होंने और उनके पति शिरोमणि अकाली दल (बादल) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने इन कानूनों की भरपूर प्रशंसा करते हुए जमीन-आसमान एक कर दिया था और इनके विरोधियों को लम्बे हाथों लिया। उनके इन कानूनों के समर्थन में दिए गए बयानों के वीडियो वायरल भी हुए। इसके बाद जब बिल संसद में पेश हुए तो इन्होंने और इनके दल के सदस्यों ने इनके बिलों के पक्ष में मतदान किया। हैरानी तो इस बात की है कि इसके बावजूद बीबा जी कह रही हैं  कि केंद्र ने उन्हें कृषि बिलों के संबंध में अंधेरे में रखा। 

यदि हरसिमरत कौर के इस बयान को सच मान लिया जाए तो यह सवाल उठता है कि जब इन कानूनों से संबंधित अध्यादेश और बिलों के मसौदे को स्वीकृति देने के लिए मंत्रिमंडल की बैठकें हुईं तो क्या वह उन बैठकों में शामिल नहीं थीं? क्या वह और सुखबीर सिंह बादल इन कानूनों की जानकारी न होते हुए भी, इनकी प्रशंसा करने और इनका समर्थन करने मैदान में उतरे थे? क्या इन सवालों के जवाब उनके पास हैं? यदि फिर भी दोनों यह दावा करते हैं कि सरकार ने उन्हें इन कानूनों के संबंध में अंधेरे में रखा, इसलिए उन्हें इनके संबंध में कुछ भी जानकारी नहीं थी तो यह मानना होगा कि मंत्रिमंडल में ‘वह’ बादल अकाली दल के प्रतिनिधि के रूप में केवल एक मूक सदस्य थीं और उन्हें दिखावे के रूप में ही केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। उन्हें मंत्रिमंडल के किसी फैसले से कुछ भी लेना-देना नहीं था। और वह इतने पर ही खुश और संतुष्ठ थी? 

प्रसिद्ध शिक्षाविद सरना दल में शामिल : दिल्ली के एक प्रमुख शिक्षाविद एस.एस. मिन्हास ने शिरोमणि अकाली दल दिल्ली (सरना) में शमूलियत कर, उसके झंडे तले कार्य करने की घोषणा की है। स. सरना ने उनका स्वागत करते हुए दावा किया कि स. मिन्हास का उनके दल में आना, दल के लिए संजीवनी साबित होगा। स. मिन्हास ने लम्बा समय दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के प्रबंधाधीन चल रही शैक्षणिक संस्थाओं के मुखी, पिं्रसीपल और डायरैक्टर के पद पर जिम्मेदारियां निभाई हैं। उनके प्रबंधाधीन कमेटी के पब्लिक स्कूलों में दी जा रही शिक्षा और प्रबंधकीय स्तर बुलंदियों पर रहे थे। जवाब में स. मिन्हास ने स.सरना के नेतृत्व पर विश्वास प्रकट करते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में उन्हें ऐसा मंच मिलेगा जिस पर वह सिख शैक्षणिक संस्थाओं, उनके प्रबंधकीय ढांचे को ऐसे पुराने स्तर पर लौटा लाने की कोशिश करेंगे जिससे दिल्ली के सिख फिर से उन पर गर्व कर सकें। 

गुरुद्वारा चुनाव में मतदाता बनने की अपील : जस्ट्सि आर.एस. सोढी, शिक्षाविद् एस.एस. मिन्हास तथा गुरुद्वारा चुनाव लड़ रहे अन्य कई सिख मुखियों ने दिल्ली के सिखों से अपील की है कि वह गुरुद्वारा चुनाव में अपनी सार्थक भूमिका निभाने के लिए आगे आएं। उन्होंने कहा कि दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी और उसके प्रबंधाधीन चल रहीं शैक्षणिक तथा अन्य संस्थाएं, जो कौम की अमानत हैं, उनको बचाए रखना उनकी कौमी जिम्मेदारी है। अपनी इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए हर सिख का कत्र्तव्य है कि वह गुरुद्वारा चुनाव में मतदान करने के अपने अधिकार को सुरक्षित रखने के लिए अपना नाम मतदाता सूची में शामिल करवाए और मतदान कर, गुरुद्वारा कमेटी के लिए धार्मिक मान्यताओं के प्रति समॢपत अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करने के लिए अपने कत्र्तव्य का पालन करे। इन मुखियों ने कहा कि एक ओर अपने प्रतिनिधियों को गुरुद्वारा प्रबंध सौंपने के लिए अपनी भूमिका न निभाना और दूसरी ओर गुरुद्वारा कमेटी के बिगड़ रहे प्रबंध की आलोचना करना, दोनों बातें साथ-साथ नहीं चल सकतीं। 

स. सिरसा के विरुद्ध कथित भ्रष्टाचार का मामला : समाचारों के अनुसार दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के अध्यक्ष मनजिंद्र सिंह सिरसा की ओर से अपने महासचिव काल के दौरान एक ‘राजनीतिक शख्सियत’ के सम्मान में हुए समारोह में इस्तेमाल कनातों एवं हुए अन्य खर्चों के साथ ही चश्मों के कथित लाखों के फर्जी तीन बिलों की मंजूरी देने के आरोप में दिल्ली की अदालत द्वारा उनके विरुद्ध 420, 410 सहित कई धाराओं के तहत मुकद्दमा दर्ज कर, पुलिस की जांच करने के दिए गए आदेश को लेकर दिल्ली की अकाली राजनीति गर्मा गई है। 

एक ओर तो स.सिरसा ने सभी आरोपों को नकारते हुए, अपने पर लगे हुए आरोप की जांच का सामना करने का दावा किया तो जी.के. की नवगठित पार्टी ‘जागो’ के प्रवक्ता स. सिरसा के दावे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जांच में दूध का दूध और पानी का पानी सामने आ जाएगा। दूसरी ओर शिरोमणि अकाली दल दिल्ली (सरना) के युवा प्रकोष्ठ के मुखी जसमीत सिंह प्रीतमपुरा ने संबंधित बिलों की फोटो कापियों पर आधारित एक वीडियो जारी कर दावा किया कि संबंधित बिलों की अदायगी के लिए स्वीकृति दिए जाने के रूप में सभी पर केवल महासचिव स.  सिरसा के ही हस्ताक्षर हैं। 

...और अंत में : शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा अपने स्टाक से लापता हुए श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 328 सरूपों के संबंध में कोई भी तसल्लीबख्श जानकारी उपलब्ध न करवाए जाने को ‘जागो-जग आसरा गुरु ओट’ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनजीत सिंह जी.के. ने मान लिया है कि शिरोमणि कमेटी के मुखियों की गैर-जिम्मेदारना लापरवाही के चलते श्री गुरु ग्रंथ साहिब के सरूप गलत हाथों, संभवत: डेरेदारों के डेरों में चले गए हैं, जिसे न बता कमेटी के मुखी अपने गुनाहों पर पर्दा डाले रखना चाहते हैं, अत: उनके गुनाह के लिए पश्चाताप करने के लिए उनकी पार्टी ‘जागो’ ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब के ‘सहज पाठों’ की लड़ी आरंभ करने का फैसला किया है। उन्होंने बताया कि इस लड़ी को पूरी करने की जिम्मेदारी पार्टी और ‘कौर ब्रिगेड’ की सदस्याओं ने संभाल ली है। उन्होंने और बताया कि इस लड़ी से संबंधित पहले 59 पाठों का भोग बीते दिनों गुरुद्वारा सिंह सभा ग्रेटर कैलाश (पहाड़ी वाले गुरुद्वारे) में हुए एक समारोह में डाला गया। इस अवसर पर जी.के. ने पाठ करने वाली बीबीयों की प्रशंसा करते हुए उनका धन्यवाद किया।-न काहू से दोस्ती न काहू से बैर जसवंत सिंह ‘अजीत’
 

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