‘बड़े बेआबरू होकर हाऊस ऑफ लॉर्डस से हम निकले’

Edited By ,Updated: 21 Nov, 2020 04:10 AM

we came out of the house of lords disrespectfully

हाऊस ऑफ लॉर्ड्स के एक पाकिस्तानी सदस्य लार्ड नजीर अहमद को एक महिला से लैंगिक शोषण के मामले में सदन की सदस्यता से खारिज कर दिया गया है। जिन परिस्थितियों और जिस पृष्ठभूमि में उन्हें निकाला गया है वह इस महान सदन के लम्बे इतिहास में यह पहली ...

हाऊस ऑफ लॉर्ड्स के एक पाकिस्तानी सदस्य लार्ड नजीर अहमद को एक महिला से लैंगिक शोषण के मामले में सदन की सदस्यता से खारिज कर दिया गया है। जिन परिस्थितियों और जिस पृष्ठभूमि में उन्हें निकाला गया है वह इस महान सदन के लम्बे इतिहास में यह पहली बार हुआ है। अब उन्हें ‘लार्ड’ कह कर नहीं केवल ‘नजीर अहमद’ के नाम से संबोधित किया जाएगा। इसके साथ उन्हें उन सभी सुविधाओं से भी वंचित कर दिया गया है जो एक पूर्व ‘लार्ड’ के तौर पर उन्हें मिलनी थीं। सिर्फ इतना ही नहीं वह अब ब्रिटिश संसद के उस भवन में दाखिल भी नहीं हो सकेंगें जिसके प्रतिष्ठित उच्च सदन के वह 23 वर्ष एक ‘माननीय सदस्य’ रहे हैं। 

उनका यह हश्र क्यों हुआ, कैसे हुआ, यह एक बड़ी रोचक कहानी है और स्मरण कराती है उस चेतावनी का कि सार्वजनिक जीवन में कुछ आदर्शों और मर्यादाओं का बड़ी सतर्कता से पालन करना होता है वरना जरा-सी भी चूक हुई नहीं कि फिर फिसल कर धड़ाम से नीचे गिरने से संभलना संभव नहीं। जिस पृष्ठभूमि में और जिस तरह ब्रिटेन में पाकिस्तानी समुदाय के इस प्रमुख नेता को हाऊस ऑफ लॉर्ड्स से ‘किक आऊट’ होना पड़ा है वह स्वयं उनके अपने लिए अत्यंत अपमानजनक तो है ही, विशाल पाकिस्तानी समुदाय के लिए भी भारी लज्जा और शर्म का कारण बन गया है। अब तो बाकी जिंदगी वह यह शे’र दोहराते रह जाएंगे। 

बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले 
‘मैं गई तो थी मदद के लिए, हो गया लैंगिक शोषण’ 
किस्सा है दो बच्चों की मां एक 43-वर्षीय महिला रिहाना जमान का जिस ने 2017 में ब्रिटिश संसद की मर्यादा समिति से शिकायत की कि : वह किसी समस्या के सिलसिले में लार्ड नजीर अहमद के पास गई थी मदद के लिए लेकिन हो गया ‘लैंगिक शोषण’। लार्ड नजीर अहमद से इस सिलसिले में जब पूछताछ की गई तो उन्होंने साफ इन्कार किया। मर्यादा समिति ने मामले को ठप्प कर दिया। लेकिन एक भारतीय पत्रकार ने खोजबीन जारी रखी और निरंतर प्रयत्न के पश्चात बी.बी.सी को रिहाना की इंटरव्यू करने के लिए रजामंद किया। बी.बी.सी. न्यूज नाइट प्रोग्राम में अपनी कहानी के वर्णन के बाद रिहाना ने मामला फिर संसद की मर्यादा समिति के पास उठाया। संसद की 9-संसदीय मर्यादा समिति छानबीन के बाद सर्वसम्मति से इस निष्कर्ष पर पहुंची कि दयनीय नारी का मानसिक और लैंगिक शोषण हुआ है। 

लार्ड नजीर अहमद ने इल्जामों से फिर इंकार किया और अपने-आप को एक ‘उच्च चरित्रवान’ व्यक्ति प्रमाणित करने के लिए कई  लोगों के ‘रैफ्रैंस’ पेश किए। बचने-बचाने के लिए बड़े हाथ-पांव मारे लेकिन आखिर सच्चाई के फंदे में फंसने से बच न सके। इस दौरान पता चला कि पांच और स्त्रियों ने भी लार्ड नजीर अहमद पर इसी प्रकार के लैंगिक शोषण के इल्जाम लगा रखे हैं लेकिन वे अपने नाम सार्वजनिक नहीं करना चाहतीं। लार्ड अहमद और उसके दो भाइयों के खिलाफ कम-उम्र बालकों के साथ व्यभिचार करने के मुकद्दमे का भेद भी खुला।  लापरवाही से ड्राइविंग करते एक अंग्रेज नौजवान को अपनी कार तले कुचल कर मार देने के अभियोग में लार्ड नजीर अहमद जेल में कैद भी भुक्त चुके हैं। 

जैसा कि रिहाना ने बताया है उसने लार्ड नजीर अहमद से अपने काम के सिलसिले में संपर्क किया तो उन्होंने उसे रैस्टोरैंट में खाने पर बुलाया और पहली ही मुलाकात में उसकी जांघों पर हाथ फेरने लगे। लार्ड नजीर ने उसे आश्वासन दिलाया कि उसकी समस्या के बारे में वह पुलिस को चिट्टी लिखेंगे। कुछ समय पश्चात यह पूछने के लिए कि : पुलिस का कोई जवाब आया है कि नहीं, रिहाना ने जब फोन किया तो लार्ड नजीर ने उसे फिर रैस्टोरैंट में और उसके बाद अगली मुलाकात के लिए अपने घर बुलाया। फिर क्या हुआ? दुनिया ने फिर न पूछो लूटा है मुझको कैसे। 

भारत-विरोधी उपद्रवी 
पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर के मीरपुर में जन्मे नजीर अहमद उन उपद्रवी ब्रिटिश पाकिस्तानियों के एक प्रमुख अग्रणियों में से हैं जो जरा सी घटना पर भारत के विरुद्ध प्रदर्शन करने के लिए झंडे उठा कर इकट्ठे हो जाते हैं। कश्मीर में धारा 370 हटाए जाने पर लंदन में भारतीय हाई कमीशन के बाहर उपद्रवी प्रदर्शन और विध्वंसक कार्रवाइयां करने वाले भी यही लोग थे। पिछले वर्ष भारत के स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में लन्दन में आयोजित एक समारोह में तिरंगा फाडऩे और एक भारतीय महिला पत्रकार का अपमान करने वाला उपद्रवी पाकिस्तानियों के अग्रणियों में भी यही थे। 

‘रिटायरमैंट’ का नाटक 
लार्ड नजीर अहमद को जब पता चला कि मर्यादा समिति उन्हें सदन से निकाल देने की सिफारिश करने वाली है तो उन्होंने इस अपमान से बचने के लिए एक नाटक खेला और लिख कर भेज दिया कि वह हाऊस ऑफ लॉर्ड्स की सदस्यता से ‘रिटायरमैंट’ लेना चाहते हैं। इस सदन का सदस्य मनोनीत किए जाने वाले वह पहले पाकिस्तानी थे और जीवनपर्यंत सदस्य के रूप में मनोनीत हुए थे। 23 वर्ष तक सदस्य रहने के बावजूद भी वह ‘भूल’ गए कि जीवनपर्यंत सदस्य ‘रिटायर’ नहीं हो सकते, केवल त्यागपत्र दे सकते हैं। मर्यादा समिति ने उसके ‘रिटायरमैंट’ नाटक को खारिज करते हुए उसे हाऊस ऑफ लॉर्ड्स की सदस्यता ही से खारिज कर दिया है।-लंदन से कृष्ण भाटिया
 

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