हमने थोड़े के साथ जीना-मरना सीख लिया है

Edited By ,Updated: 02 May, 2021 04:29 AM

we have learned to live with little

वायरस की पहली लहर ने मुझे अपने साथ रहना सिखाया। मैं अकेला परेशान रहा करता था। मैं मजाक करूंगा कि मैं अपनी ही संगति को पसंद नहीं करता। मगर सच्चाई यह है कि दूसरों का आस-पास

वायरस की पहली लहर ने मुझे अपने साथ रहना सिखाया। मैं अकेला परेशान रहा करता था। मैं मजाक करूंगा कि मैं अपनी ही संगति को पसंद नहीं करता। मगर सच्चाई यह है कि दूसरों का आस-पास होना मुझे आराम देता है। पिछले वर्ष सब बदल गया। अपने दम पर ल बे समय तक शांत रहने की संभावना अब मुझे अचेत नहीं करती। मुझे पुस्तकों में आराम, संगीत में सांत्वना, फिल्मों में व्याकुलता नजर आती है।

मैं अपने विचारों से नहीं डरता हूं। मैं अपने दिमाग को भटकने दे सकता हूं और मुझे खुशी होगी कि मैं इसका अनुसरण करता हूं। कोविड-19 की दूसरी लहर बहुत अलग सिखा रही है। इस बार मैं केवल एक शिष्य नहीं बल्कि हम सभी शिष्य हैं। कोविड हमें डर के साथ रहना सिखा रहा है। चीजें बहुत गलत हो सकती हैं और हम नहीं जानते कि ऐसा कब हो सकता है। 

मैं एक आशावादी हूं और मैं जानता हूं कि जो जागरूकता आज है वह मेरे पास पहले नहीं थी। अब मैं अपने जीवन को इसके आसपास समायोजित करने के तरीके खोज रहा हूं। पिछले साल वायरस ने मुझे पकड़ा था लेकिन इससे मैंने ङ्क्षचता नहीं की थी और इस वर्ष मुझे यह अलग लगता है। इस बार बहुत से लोग प्रभावित हैं। मैं ऐसे बहुत से लोगों को जानता हूं जो वायरस से संक्रमित हैं। कुछ के पास आसान समय नहीं है। इस वर्ष वायरस मृत्यु दर का एक संकेत है। यह कहीं अधिक वास्तविक लगता है। दिल के मरीज और 60 सालों के लोग कठिनाई से गुजर रहे हैं। 

मुझे लगता है कि मैं वास्तव में क्या कह रहा हूं? और मुझे यह महसूस करने में थोड़ा समय लगा। क्या हम मरने की संभावना के साथ जीना सीख रहे हैं। केवल मैं ही नहीं सभी लोग ऐसा अनुभव कर रहे हैं। मुझे पूरा यकीन है कि हम में से कई लोगों के साथ ऐसा है। वह दिन असुविधाजनक रूप से करीब लगता है। कौन जानता है कि वास्तव में वह दिन कितनी दूर है? इस भयानक पूर्वाभास के बावजूद हमें आगे बढऩे का एक रास्ता मिल गया है। हम न केवल जीवित हैं बल्कि जीवन का आनंद लेने के लिए नए-नए तरीके खोज रहे हैं। एक काली छाया जिसने हमारे बीच बसेरा किया है, ने एक नया दृढ़ संकल्प, एक नई भावना और एक एकल ध्यान केंद्र को जन्म दिया है। 

नतीजन हम में से प्रत्येक ने इसके माध्यम से जीने के नए तरीकों को ढूंढ लिया है। हमने अपने जीवन को जीने के लिए इसके अनुकूल अपने आपको ढाल लिया है। हमने वैकल्पिक प्रकार के मनोरंजन को सीखा है। छोटी-छोटी खुशियों को संजोना सीख लिया है। हमने अपनी महत्वाकांक्षाओं को समायोजित कर लिया है और थोड़े के साथ जीना-मरना सीख लिया है।

2 चीजों से अब मैं बेहद आश्वस्त हूं। हम दूसरे छोर पर उभर कर सामने आएंगे। हम इस मुसीबत से पार पा लेंगे? मगर अफसोस की बात है हर कोई ऐसा नहीं कर पाया। जिन लोगों को हम गहराई से प्रेम करते हैं उन्हें हम खो देंगे। यह एक दुखद वास्तविकता है जिसे हम अस्वीकार नहीं कर सकते। मगर एक बार फिर जब हम एक-दूजे का हाथ थामेंगे, आलिंगन करेंगे, एक-दूसरे को चूमेंगे, हंसेंगे और तर्क करेंगे तब हम एक अलग प्रकार के लोग होंगे। 

हम जिस अनुभव से गुजर रहे हैं और जिस डर के साथ हम जी रहे हैं ऐसी बातों ने हमें बदल दिया है। इसका एक और परिणाम हमें स्वीकार करना होगा। पिछली शताब्दी में जब स्पेनिश लू का अंत हुआ तो उसकी खुशी और राहत का अनुभव दुनिया ने 20 के दशक में महसूस किया। इतिहास अपने आपको दोहराता है और टैलीविजन व सोशल मीडिया ने प्रभावी तौर पर इसे यकीनी बनाया है। हम जश्र मनाएंगे इसमें कोई दोराय नहीं लेकिन जो हुआ उसे भूल पाना मुश्किल होगा।-करुण थापर
 

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