हमें अपनी सेना पर भरोसा रखना चाहिए

Edited By ,Updated: 03 May, 2017 11:40 PM

we must rely on our army

नियंत्रण सीमा के बिल्कुल करीब दो भारतीय सैनिकों के सिर नृशंस ढंग से......

नियंत्रण सीमा के बिल्कुल करीब दो भारतीय सैनिकों के सिर नृशंस ढंग से काटे जाने पर लोगों का गुस्सा और घृणा बिल्कुल ताॢकक है। परिस्थितियों और उद्देश्यों के मद्देनजर नि:संदेह यह पाकिस्तानी बार्डर एक्शन टीम (बैट) की करतूत है जोकि नियमित पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों पर आधारित है। 

सरकारी रिपोर्टों  के अनुसार जिस इलाके में यह जघन्य हादसा हुआ उसकी स्थिति जानकर यह स्पष्ट हो जाता है कि पाकिस्तान की कुछ सैनिक चौकियों ने ध्यान भटकाने के लिए फायरिंग शुरू कर दी जबकि बैट टीम ने घात लगाकर भारतीय गश्ती दल पर हमला करके दो जवानों को शहीद और दो को घायल कर दिया। भारतीय दल बहुत तेजी से अपने आधार शिविर की ओर लौटा। हालांकि पाकिस्तानियों द्वारा ऐसी बर्बरता दिखाने का यह कोई पहला मौका नहीं, फिर भी इसकी टाइमिंग यह संकेत देती है कि यह हमला पूर्व-नियोजित था। 

यह हमला पाकिस्तानी सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा द्वारा हाजीपीर तथा नियंत्रण रेखा के करीब स्थित अन्य क्षेत्रों का दौरा करने के अगले ही दिन हुआ है। स्थानीय अधिकारियों ने बाजवा को बताया था कि 17 अप्रैल को भारतीय तोपखाने की गोलीबारी में कम से कम 7 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे। भारतीय गुप्तचर रिपोर्टों के अनुसार बाजवा के दौरे का भारतीय सैनिकों के सिर कलम किए जाने से सीधा संबंध है। 

गत कम से कम 6 महीनों के दौरान भारतीय सैनिकों के सिर काटे जाने की यह तीसरी घटना है लेकिन बाजवा द्वारा पाकिस्तानी सेना के नए प्रमुख के रूप में पदभार संभालने के बाद पहली बार ऐसा हुआ है। इस घटना से ये उम्मीदें झूठ सिद्ध हुई हैं कि उनके नेतृत्व में स्थिति में कोई सुधार होगा। इस ताजा हमले के लिए पाकिस्तान को अवश्य ही भारी मोल चुकाना होगा और इसे पाकिस्तान व कश्मीर दोनों के अंदर हाल ही के घटनाक्रम के परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए। 

हमले से दो-तीन दिन पूर्व ही पाकिस्तानी सेना ने एक ट्वीट जारी किया था जिसमें किसी अन्य की नहीं बल्कि नवाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना की गई थी। पाकिस्तानी सेना के सूचना निदेशक मेजर जनरल आसिफ गफ्फूर ने एक ट्वीट में कहा कि ‘‘डॉन अखबार लीक पर अधिसूचना अधूरी है और इन्क्वायरी बोर्ड की सिफारिशों के अनुरूप नहीं इसलिए इस अधिसूचना को रद्द किया जाता है।’’ 

‘डॉन लीक’ प्रमुख पाकिस्तानी अखबार ‘डॉन’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट है जिसमें दावा किया गया था कि पाकिस्तानी सरकार और सेना के बीच गंभीर मतभेद हैं और सरकार ने सेना की ‘खिंचाई’ की है। इस रिपोर्ट के लीक होने पर सेना ने काफी आक्रोश जताया था। हाल ही में सरकार ने कथित लीकेज की इन्क्वायरी के बाद नवाज शरीफ के करीबी एक सहायक को बर्खास्त कर दिया था। अब यह आभास हो रहा है कि मात्र इतनी कार्रवाई से पाकिस्तानी सेना संतुष्ट नहीं है। मेजर जनरल द्वारा दिए गए बयान को स्पष्ट तौर पर पाकिस्तानी सेना प्रमुख का समर्थन हासिल है। 

पाकिस्तानी सरकार और सेना के बीच बढ़ती खाई ही शायद सरकार को परेशान करने के लिए सेना द्वारा दो भारतीय सैनिकों के सिर कलम करके अपने वर्चस्व दिखाने का एक कारण है। महत्वपूर्ण बात यह है कि देश की सुप्रीमकोर्ट द्वारा प्रधानमंत्री के वित्तीय क्रियाकलापों के विरुद्ध जांच का आदेश जारी किए जाने के कारण नवाज शरीफ सरकार इस समय बहुत ही नाजुक स्थिति में है। ऐसे मौके पर भारत-पाक शांति इसके लिए सबसे गौण महत्व का विषय है। 

यह घटना ऐसे समय हुई है जब कश्मीर घाटी की स्थिति भी गत दो दशकों में सबसे बदतर है। भड़की हुई ङ्क्षहसा में स्कूली बच्चे तक संलिप्त हैं जिसके चलते अनंतनाग का संसदीय उप चुनाव रद्द करना पड़ा तथा 2 बैंक अधिकारियों सहित 5 पुलिस कर्मियों की हत्या ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया। इसी दौरान महबूबा सरकार की घटिया कारगुजारी और केन्द्र सरकार द्वारा वार्तालाप शुरू करने से इन्कार के कारण व्यवधान पैदा हो गया है। बेशक यह उम्मीद की जानी चाहिए कि राजनीति और नेताओं तथा अन्य किसी प्रकार की परिस्थितियों की चिंता राज्य और केन्द्र की सरकारें करेंगी तो भी हमें अपनी सेना पर पूर्ण भरोसा रखना चाहिए कि वह हमारे जवानों के सिर कलम करने की इस जघन्य करतूत का बदला लेगी।

यह जरूरी नहीं कि बदला लेने के बाद सेना छत पर चढ़कर दुहाई दे। इसने पहले ही घोषणा कर दी है कि यह बदला लेगी और समय व स्थान का चयन भी खुद करेगी। हमें सेना पर पूर्ण भरोसा रखने की जरूरत है कि यह अपना काम करेगी। आग उगलते टी.वी. एंकर और टी.वी. स्टूडियो में बैठे रिटायर्ड जनरल या फिर सोशल मीडिया के ‘सेना नायकों’ को यह बात हमारे बहादुर सैनिकों पर छोड़ देनी चाहिए कि वे किस तरीके से अपना बदला लेंगे। हम सभी को इस बात पर विश्वस्त होना चाहिए कि हम सेना के सुरक्षित हाथों में हैं। 
 

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