‘हमें अमरीका के कृषि सुधारों से सीख लेनी चाहिए’

Edited By ,Updated: 18 Mar, 2021 03:45 AM

we should learn from america s agricultural reforms

हम में से अधिकांश ने अमरीका में विशाल खेतों के वीडियो या तस्वीरें देख रखी हैं जिसमें फसल काटने के लिए आधुनिक उपकरणों का उपयोग करते दिखाया गया है। यह उस देश में कृषि क्षेत्र की समृद्धि का आभास देते हैं। हालांकि यह छोटे और सीमांत किसानों की दुर्दशा को...

हम में से अधिकांश ने अमरीका में विशाल खेतों के वीडियो या तस्वीरें देख रखी हैं जिसमें फसल काटने के लिए आधुनिक उपकरणों का उपयोग करते दिखाया गया है। यह उस देश में कृषि क्षेत्र की समृद्धि का आभास देते हैं। हालांकि यह छोटे और सीमांत किसानों की दुर्दशा को नहीं दर्शाते। अमरीका के हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि आधुनिक मशीनीकृत कृषि के आगमन के बाद से छोटे किसानों की आॢथक स्थिति बिगड़ती जा रही है, जिसे वस्तुत: बड़े कार्पोरेट्स ने अपने नियंत्रण में ले रखा है। 

‘कृषि सुधार और बड़ा प्राप्त करो या बाहर हो जाओ’ का विचार 1970 में शुरू हुआ मगर अमरीकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के दो कार्यकालों के दौरान यह विचार प्रफुल्लित हुआ जो 1981 से 1989 तक अमरीका के राष्ट्रपति बने रहे। रीगन खेतों को मजबूत करने और कार्पोरेट्स के लिए आधुनिक तकनीक शुरू करने के पक्ष में थे। बड़ी कृषि कंपनियों को कारोबार संभालने के लिए प्रोत्साहित किया गया। 

यह भारत में कई लोगों के लिए आश्चर्य की बात हो सकती है। छोटे किसान अमरीका के ग्रामीण क्षेत्रों पर हावी हैं लेकिन जब वह खेतों का 90 प्रतिशत हिस्सा बनते हैं तब बाजारी कीमत का वे केवल 25 प्रतिशत उत्पादन करते हैं। ‘गार्जियन’ के अनुसार छोटे और मध्यम आकार के खेतों का अमरीका में 1990 के लगभग सभी कृषि उत्पादन का एक चौथाई हिस्सा था। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि जैसे-जैसे मध्यम आकार के पारिवारिक खेतों की संख्या कम हुई, उन्होंने जिन व्यवसायों की सहायता की वे गायब हो गए। स्थानीय बीज तथा उपकरण आपूर्तिकत्र्ताओं ने दुकानें बंद कर दीं क्योंकि कार्पोरेट्स सीधे थोक विक्रेताओं या निर्माताओं के पास चले गए। स्थानीय पशु चिकित्सकों की मांग धराशायी हो गई। दुकानें, रेस्तरां और डिस्पैंसरियां बंद हो गईं। 

ग्रामीण अमरीका में हजारों की तादाद में स्कूल बंद हो गए क्योंकि लोगों ने गांवों से अद्र्ध शहरी और शहरी क्षेत्रों में जाना शुरू कर दिया। ग्रामीण क्षेत्रों के करीब 80 प्रतिशत ने जनसंख्या में गिरावट देखी। ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ा। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार आंकड़े बताते हैं कि 1950 से लेकर अब तक 23 मिलियन से 2 मिलियन तक किसानों की संख्या में 90 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। खुदरा कीमतों में उनकी हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से घटकर अब केवल 15 प्रतिशत रह गई है। 

ऐसा कहा जाता है कि ग्रामीण ऋण के बोझ में तेजी से वृद्धि हुई जो अब 425 बिलियन अमरीकी डालर हो चुकी है। ऋण चूक में तेजी से वृद्धि हुई है। एक और विचलित करने वाला आंकड़ा दर्शाता है कि किसानों की आत्महत्या करने की दर अब राष्ट्रीय औसत से 4 से 5 गुणा ज्यादा हो चुकी है। कई विशेषज्ञ अमरीका में छोटे किसानों की वर्तमान दुर्दशा के लिए कृषि को खोलने हेतु रीगन युग को जिम्मेदार ठहराते हैं जिन्होंने बड़ी कृषि कम्पनियों को कृषि के आधुनिकीकरण कार्यों के लिए प्रोत्साहित किया। रीगन भी प्रतिस्पर्धी बाजार बनाने और सरकारी नियंत्रणों को समाप्त करने के लिए मुक्त बाजार के पक्ष में थे। 1980 के दशक में उनके शासनकाल के दौरान पास किए गए कानूनों ने मूल्य समर्थन प्रणाली और सबसिडी को दूर कर दिया। 

अमरीका में कृषि कार्यों का नतीजा यह है कि अब केवल 4 बड़ी कम्पनियां बीज बाजार के दो तिहाई हिस्से को नियंत्रित करती हैं जिसमें रासायनिक उर्वरक, अनाज का व्यापार, डेयरी उत्पादन और लगभग सम्पूर्ण कृषि मशीनरी शामिल है। यह भी पता चला है कि अमरीका में पिछले 40 वर्षों के दौरान खाद्य पदार्थों की कीमतों में 200 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई जबकि छोटे किसानों की कमाई में इस अवधि के दौरान 25 प्रतिशत से कम की वृद्धि हुई।

कृषि विशेषज्ञ कहते हैं कि अनेकों यूरोपियन देशों में भी छोटे किसानों की दुर्दशा यही है। जहां पर छोटे किसानों के लिए बिना किसी सुरक्षा कवच के सुधार किए गए हैं। यहां तक कि दिल्ली की सीमाओं पर किसानों द्वारा किए गए आंदोलनों को 100 से अधिक दिन हो चुके हैं। इन आंख खोलने वाले आंकड़ों का अध्ययन भारतीय संदर्भ को ध्यान में रख कर किया जाना चाहिए। दूसरे देशों के अनुभव पर चर्चा करें और उनके सर्वोत्तम तरीकों का पालन करें।-विपिन पब्बी 
 

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