‘देश के मुकाबले ज्यादा तेजी से आगे बढ़ा पश्चिम बंगाल’

Edited By ,Updated: 25 Apr, 2019 04:29 AM

west bengal sweeps faster than country

प्रधानमंत्री ममता बनर्जी को बार-बार ‘स्पीड ब्रेकर दीदी’ कह कर संबोधित कर रहे हैं। इसके जवाब में पश्चिम बंगाल के वित्त एवं उद्योग मंत्री अमित मित्रा ने मोदी को ‘डिरेलमैंट मास्टर’ कह कर जवाब दिया है। मित्रा से बात की इशिता दत्त ने : ममता बनर्जी को...

प्रधानमंत्री ममता बनर्जी को बार-बार ‘स्पीड ब्रेकर दीदी’ कह कर संबोधित कर रहे हैं। इसके जवाब में पश्चिम बंगाल के वित्त एवं उद्योग मंत्री अमित मित्रा ने मोदी को ‘डिरेलमैंट मास्टर’ कह कर जवाब दिया है। मित्रा से बात की इशिता दत्त ने : 

ममता बनर्जी को स्पीड ब्रेकर दीदी कहे जाने पर मित्रा ने मोदी को डिरेलमैंट मास्टर कहा है। उन्होंने बताया कि 2015-16 में भारत की जी.डी.पी. 8.15 प्रतिशत थी और तब नोटबंदी के कारण अर्थव्यवस्था पटरी से उतर गई। 2017-18 में जी.डी.पी.वृद्धि दर 8.15 प्रतिशत से कम होकर 6.7 प्रतिशत तक पहुंच गई।

जी.डी.पी. में प्रत्येक 1 प्रतिशत का नुक्सान जी.डी.पी. के लिए 1.5 ट्रिलियन रुपए का नुक्सान होता है। इस प्रकार अर्थव्यवस्था की डिरेलमैंट से भारतीय अर्थव्यवस्था को हमेशा के लिए 2 ट्रिलियन का नुक्सान होता है। इस डिरेलमैंट के और भी कारण हैं। 2015-16 में उद्योग 9.58 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ रहे थे। 2017-18 में यह 5.95 प्रतिशत पर आ गए। निर्माण क्षेत्र 2015-16 में 13.06 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा था जिसकी वृद्धि 2017-18 में 5.93 प्रतिशत तक गिर गई। जब मोदी सत्ता में आए तो एन.पी.ए. 2 ट्रिलियन रुपए था। 2017-18 में एन.पी.ए. 10 ट्रिलियन हो गया।

बेरोजगारी दर पिछले 45 वर्षों में सबसे अधिक है। यह अव्वल दर्जे की डिरेलमैंट है। ऐसा अनुमान है कि  2 करोड़ नौकरियों का नुक्सान हुआ है। सी.एम.आई.ई. के अनुसार केवल 2018 में ही 1.1 करोड़ नौकरियां खत्म हुई हैं। यह आम आदमी पर सीधी मार है। यह पूछे जाने पर कि क्या पश्चिम बंगाल ने बेहतर कार्य किया है। अमित मित्रा का कहना है कि पश्चिम बंगाल के मामले में प्रधानमंत्री या तो अंजान हैं अथवा जानबूझ कर तथ्यों को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं। 2017-18 में जब भारत की जी.डी.पी. वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत थी तो सी.एस.ओ. तथा  हमारे अपने ब्यूरो के अनुसार पश्चिम बंगाल की जी.डी.पी. वृद्धि दर 9.15 प्रतिशत थी। इसे मोदी स्पीड ब्रेकर कहते हैं। 2018-19 में भारत की जी.डी.पी. वृद्धि दर 6.98 प्रतिशत थी जबकि पश्चिम बंगाल की 10.71 प्रतिशत। 

भारत का निर्माण क्षेत्र 2017-18 में 5.93 प्रतिशत बढ़ा जबकि पश्चिम बंगाल का 10.2 प्रतिशत। कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में भारत 5.6 प्रतिशत  की दर से बढ़ा जबकि पश्चिम बंगाल 27.63 प्रतिशत। भारत की औद्योगिक वृद्धि 2017-18 में 5.95 प्रतिशत रही। पश्चिम बंगाल की 16.29 प्रतिशत। 2018-19 के लिए भी कहानी ऐसी ही है। उद्योग में भारत 7.66 प्रतिशत बढ़ा और पश्चिम बंगाल 11.35 प्रतिशत। ममता के कार्यकाल में राज्य योजना खर्च में 6 गुणा वृद्धि हुई। पूंजी खर्च 11 गुणा बढ़ा और प्रदेश का अपना कर राजस्व 3 गुणा बढ़ कर 21 हजार करोड़ से 63 हजार करोड़ हो गया। यह प्रदेश की मुख्यमंत्री की उपलब्धि है। यदि प्रधानमंत्री इन आंकड़ों का जवाब नहीं दे सकते तो उन्हें माफी मांगते हुए अपनी स्पीड  ब्रेकर की टिप्पणी  वापस लेनी चाहिए। 

सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर
अमित मित्रा का कहना है कि देश में बेरोजगारी दर 45 वर्ष में सबसे अधिक है जबकि पश्चिम बंगाल में बेरोजगारी दर 40 प्रतिशत तक कम हुई है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 2011 में सत्ता में आने के बाद एक करोड़ नौकरियां पैदा की गई हैं। केन्द्र द्वारा उठाए गए सुधारात्मक कदमों के बारे में मित्रा का कहना है कि प्रधानमंत्री और उनकी सरकार योजनाओं के बारे में ढोल पीट-पीट कर कहती है लेकिन योजना को शुरू करने से पहले विश्लेषण नहीं करती। नोटबंदी के बारे में किसी को पता नहीं था। 

केन्द्र सरकार तीन मुख्य योजनाओं के बारे में बात करती है। पहले प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनैक्शन बांटने की बात करते हैं। क्रिसिल को यह पता करने के लिए कहा गया था कि वह इस योजना का अध्ययन कर इसके गुणों और अवगुणों के बारे में बताए। क्रिसिल की रिपोर्ट आने से पहले ही कैबिनेट की बैठक हुई और इसे लांच करने का फैसला ले लिया गया। 

तीन महीने बाद जब रिपोर्ट आई तो उसमें कहा गया कि इस योजना में सिलैंडर रिफिङ्क्षलग सबसिडी देनी होगी अन्यथा वे लोग दोबारा लकडिय़ां जलाना शुरू कर देंगे। 83 प्रतिशत लोगों ने कहा था कि रिफिङ्क्षलग की कीमत काफी ज्यादा है। गैस कनैक्शनों में 16.26 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि गैस सिलैंडर केवल 9.83 प्रतिशत बढ़े। निष्कर्ष यह है कि यह असफल गवर्नैंस का नमूना है। प्रधानमंत्री आवास योजना भी फेल हो गई। जून 2015 में 63 लाख घर सैंक्शन किए गए थे जबकि 12 लाख का ही निर्माण हो पाया। इस योजना के लिए पर्याप्त बजट था। 

इसके बाद स्वच्छ भारत पोर्टल के अनुसार भारत के 36 में से 27 राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश खुले में शौच से मुक्त हैं और 98.6 प्रतिशत भारतीय घरों में शौचालय हैं लेकिन एक सर्वे बताता है कि बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में अब भी 44 प्रतिशत ग्रामीणों की संख्या खुले में शौच जाती है। भारत में खुले में शौच से मुक्त होने वाला सबसे पहला जिला कौन-सा है। यह नाडिया था जिसे यूनिसेफ अवार्ड मिला था। यह राज्य झूठ नहीं बोलता।-इशिता दत्त     

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