रुपए का अवमूल्यन क्या चिंताजनक है

Edited By Pardeep,Updated: 08 Sep, 2018 11:26 AM

what is worrisome is the devaluation of rupees

इस वर्ष के शुरू होने से लेकर अब तक भारतीय रुपए में 10 प्रतिशत से अधिक अवमूल्यन हुआ है और यह समाचार पत्रों की सुॢखयां बन रहा है, विशेषकर डालर के मुकाबले 70 की मनोवैज्ञानिक संख्या से नीचे जाने के बाद। कुछ विशेषज्ञों का तर्क है कि रुपए के समर्थन के लिए...

इस वर्ष के शुरू होने से लेकर अब तक भारतीय रुपए में 10 प्रतिशत से अधिक अवमूल्यन हुआ है और यह समाचार पत्रों की सुर्खियां बन रहा है, विशेषकर डालर के मुकाबले 70 की मनोवैज्ञानिक संख्या से नीचे जाने के बाद। कुछ विशेषज्ञों का तर्क है कि रुपए के समर्थन के लिए अनिवासी भारतीयों की सहायता से विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि की जानी चाहिए। जैसा कि सामान्य तौर पर होता है, रुपए में गिरावट का इस्तेमाल सरकार पर हमले करने के लिए भी किया जा रहा है। इसलिए क्या हमें रुपए के अवमूल्यन को लेकर चिंतित होना चाहिए? 

रुपए के कमजोर होने के पीछे कई कारण हैं। अमरीका में ब्याज दरें बढ़ रही हैं तथा वैश्विक वित्त प्रणाली खुद को नीति सामान्यीकरण के मुताबिक व्यवस्थित कर रही है। इसने उभर रहे बाजारों के लिए पूंजी के बहाव को प्रभावित किया है। अप्रैल तथा जून के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफ.पी.आई.) ने 11 अरब डालर की भारतीय परिसम्पत्तियां बेची हैं। डालर इंडैक्स, जो नोट की मजबूती को प्रतिबिंबित करता है, अप्रैल से लेकर अब तक 5 प्रतिशत चढ़ा है। यद्यपि अमरीका में ब्याज दरों का बढऩा ही रुपए के अवमूल्यन का एकमात्र कारण नहीं है। भारत का चालू खाता घाटा (कैड) भी बढ़ रहा है और इसके वर्तमान वित्तीय वर्ष में जी.डी.पी. के 2.5-3 प्रतिशत तक पहुंच जाने की आशंका है। दूसरे नजरिए से देखें तो भारत अपने निर्यात के मुकाबले कहीं अधिक आयात कर रहा है। कड़ी वित्तीय स्थितियों में कैड की ऊंची दर सम्भवत: रुपए पर दबाव बनाए रखेगी। 

रुपए को बचाने के लिए क्या रिजर्व बैंक आफ इंडिया (आर.बी.आई.) को मुद्रा बाजार में दखल नहीं देना चाहिए? आर.बी.आई. की नीति के अनुसार यह केवल परिवर्तनशीलता कम करने के लिए दखल देता है और किसी विशेष स्तर को लक्ष्य नहीं बनाया जाता। और तो और इस चरण पर धीरे-धीरे होने वाला अवमूल्यन भारतीय अर्थव्यवस्था की मदद करेगा। एक ओर कमजोर रुपया आयात को थामेगा क्योंकि उनकी कीमतें ऊपर जाएंगी  दूसरी तरफ विदेशी बाजारों में भारतीय वस्तुएं सस्ती हो जाएंगी, जिससे निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी। विदेशी मुद्रा भंडार में कमी लाकर रुपए को बचाने से कैड में और भी वृद्धि होगी। हालांकि रुपए में गिरावट का सतर्कतापूर्वक प्रबंधन करने की जरूरत है ताकि यह बाजार विश्वास को प्रभावित न करे। हाल के दिनों में इसमें गिरावट की रफ्तार ने कुछ हद तक बाजारों को चौकन्ना बना दिया है। 

यद्यपि रुपए में गिरावट निर्यात में मदद करेगी, इसके बावजूद कुछ मामलों में नुक्सान भी होगा। कम्पनियों के लिए ब्याज दरें ऊंची होंगी जिन्होंने विदेशों से ऋण लिया है और उसे चुकाने के लिए उनके पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा नहीं है। हालांकि विदेशी देनदारियों वाले व्यवसायों को मुद्रा में कुछ उतार-चढ़ाव के लिए तैयार रहना चाहिए। कई बार यह तर्क दिया जाता है कि भारत को रुपए को कमजोर नहीं होने देना चाहिए क्योंकि इससे आयातित वस्तुओं की कीमतें बढ़ती हैं और उनका कम्पनियों पर असर पड़़ता है जिन्होंने विदेशों की मदद से अपनी पूंजी बढ़ाई है। यह एक फिजूल तर्क है। विनिमय दर को पतन के अनुसार व्यवस्थित करने की इजाजत नहीं देने से केवल विदेशी ऋणों पर निर्भरता बढ़ेगी तथा और असंतुलन पैदा होगा। 

हालांकि यह तर्क दिया जा सकता है कि रुपए में गिरावट का कारण बाहरी कारक है, भारत के आंतरिक असंतुलनों ने समस्या को और भी बढ़ा दिया। इसका एक कारण यह भी था कि भारत ने समय पर अपने वित्तीय संकट के बाद के मौद्रिक तथा राजकोषीय प्रोत्साहनों को पलटा नहीं जिस कारण मुद्रास्फीति और ऊंची हुई तथा कैड में वृद्धि हुई। इससे भी बढ़कर रिजर्व बैंक ने इससे पहले के समय में अतिरिक्त बहाव को सोखने के लिए मुद्रा बाजार में पर्याप्त दखल नहीं दिया। इन कारकों के मिश्रण ने भारत के बढ़ रहे बाहरी क्षेत्र को जोखिमपूर्ण बनाने में एक भूमिका निभाई। 

यद्यपि आधारभूत स्तर पर स्थिति आज अपेक्षाकृत बेहतर है। मुद्रास्फीति नीचे आ गई है तथा भारत ने लचीला इंफ्लेशन टारगेटिंग फ्रेमवर्क अपनाया है। हाल के समय तक चालू खाते का घाटा कहीं निचले स्तर पर था और सरकार राजकोषीय सुदृढ़ीकरण की ओर अग्रसर है। उदाहरण के लिए 2011-12 में केन्द्र सरकार का वित्तीय घाटा जी.डी.पी. का लगभग 6 प्रतिशत था। वर्तमान वर्ष में इसने जी.डी.पी. के 3.3 प्रतिशत का लक्ष्य रखा है। आर.बी.आई. ने हालिया वर्षों के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार भी बनाए हैं और बाजार में परिवर्तनशीलता को घटाने के लिए इसका इस्तेमाल करने का इच्छुक है।-आर. कुमार

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