‘...आखिर वह व्यक्ति कौन था?’

Edited By ,Updated: 24 Jan, 2021 05:08 AM

who was that person

टी.वी. चैनल का नाम भौतिक नहीं है। पत्रकार का नाम भौतिक नहीं है। चैनल के खिलाफ कुछ अन्य मामलों के संबंध में आरोप आज के आलेख के लिए प्रासंगिक नहीं है। जो प्रासंगिक और सामग्री से संबंधित हैं वे निर्णय लेने की प्रक्रिया तथा सरकार

टी.वी. चैनल का नाम भौतिक नहीं है। पत्रकार का नाम भौतिक नहीं है। चैनल के खिलाफ कुछ अन्य मामलों के संबंध में आरोप आज के आलेख के लिए प्रासंगिक नहीं है। जो प्रासंगिक और सामग्री से संबंधित हैं वे निर्णय लेने की प्रक्रिया तथा सरकार के उच्चतम स्तरों पर लिए गए राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े निर्णय हैं। 

इस आलेख का उद्देश्य किसी पर आरोप लगाना या उसका अपमान करना नहीं है। उद्देश्य सीधा सवाल पूछने का है कि क्या सरकार के संवेदनशील और संरक्षित निर्णय किसी के साथ सांझा किए गए जो निर्णय लेने की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं थे? एक पूरक प्रश्र यह है कि क्या उन फैसलों में से कुछ ‘आधिकारिक रहस्य’ के अंतर्गत आते हैं? 

मार्क जुकरबर्ग के लिए बुरी खबर
ये मामले कोठरी से बाहर कैसे निकल गए? यह एक रहस्य है। वे व्हाट्सअप पर चैट करने वाले माने जाते हैं। व्हाट्सअप के मालिकों ने लम्बे समय से दावा किया है कि इस पर सभी वार्तालाप एंड-टू-एंड से एनक्रिप्ट किए गए हैं और उन वार्तालापों तक किसी की पहुंच नहीं है। ऐसा भी दावा किया गया था कि मालिकों के पास वार्तालापों का कोई रिकार्ड नहीं है तथा वे किसी के साथ साझा नहीं किए जा सकते। मैं नहीं जानता कि क्या वे दावे सत्य हैं? मगर यहां पर कुछ शंकाएं बढ़ रही हैं क्या दो व्यक्तियों के बीच में हुए वार्तालापों को हैक किया जा सकता है-क्या इसमें कोई कथित तौर पर प्रवेश या फिर इसे चुरा सकता है? मैं ऐसे सवालों का जवाब भी नहीं जानता मगर यहां पर ऐसी शंकाएं बढ़ रही हैं कि ऐसे वार्तालापों को हैक किया जा सकता है। 

फेसबुक, इंस्टाग्राम तथा व्हाट्सअप के मालिक तथा विश्व के अमीर व्यक्तियों में से एक श्रीमान मार्क जुकरबर्ग के लिए यह सब बुरे समाचार हैं। जैसा कि हो सकता है 2 व्यक्तियों के बीच कुछ बातें सार्वजनिक  हो गई हैं। मेरे ज्ञान के सर्वश्रेष्ठ के लिए प्रकाशित सामग्री (प्रिंट और सोशल मीडिया पर) संबंधित व्यक्तियों द्वारा अस्वीकार नहीं की गई है। यदि उन्हें अस्वीकार नहीं किया गया तो इस लेख से संबंधित यह मुद्दे का अंत है। यदि ऐसा नहीं है तो निश्चित तौर पर सवाल उठाए जाएंगे। 

एक आधिकारिक रहस्य
14 फरवरी 2019 को पुलवामा में भारतीय सैन्य काफिले पर हमला हुआ था। 23 फरवरी को पत्रकार तथा अन्य के बीच एक बातचीत हुई। 
23.2.2019 को हुए सवाल-जवाब
सायं 10:31, पत्रकार : कुछ बड़ा होगा। 
सायं 10:34, अन्य : मुझे यकीन है कि आप करोगे और मैं दृढ़ता से आपकी सफलता की कामना करता हूं।
सायं 10:34, अन्य : आपकी सफलता के लिए 
सायं 10:36, पत्रकार : नहीं सर,  पाकिस्तान कुछ इस बार बड़ा करेगा।
सायं 10:37, अन्य : इस मौसम में बड़े आदमी के लिए अच्छा है। वह तब मतदान करेंगे या हड़ताल? या कुछ बड़ा। 
सायं 10:40, पत्रकार : एक साधारण हड़ताल से बड़ा तथा उसी समय ही। कश्मीर में कुछ बड़ा। 

-पाकिस्तान पर सरकार हमला करने के लिए आश्वस्त है कि लोगों को खत्म कर दिया जाएगा। 
-सटीक शब्दों का इस्तेमाल किया गया। 

पुलवामा पर हमला आतंकवाद का एक कृत्य था और सी.आर.पी.एफ. के 40 जवान शहीद हुए। रक्षाबलों को तबाह कर दिया गया। ऐसा माना जाता था कि पाकिस्तान ने हमले के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को भर्ती तथा प्रशिक्षित किया था। एक जवाबी कार्रवाई की उम्मीद की जा रही थी। वार्तालाप 23 फरवरी को हुई। 3 दिनों बाद 26 फरवरी को भारतीय वायुसेना के विमानों ने पाकिस्तान में बालाकोट पर हमला किया। मैं इससे चिंतित नहीं हूं कि इन ‘शब्दों’ को किसने सुना। मैं मान लूंगा कि वह व्यक्ति भाग्यशाली था। वह सही समय पर सही जगह पर था। मैं इससे चिंतित हूं कि उन शब्दों को किसने बोला। गैर-सरकारी व्यक्ति की उपस्थिति में शब्द क्यों बोले गए? क्या वह संरक्षित जानकारी साझा करने के इरादे से बोले गए थे? 

हालांकि यह व्यापक रूप से उम्मीद की जा रही थी कि सुरक्षा बल पुलवामा हमले का बदला लेंगे। किसी भी व्यक्ति ने प्रतिशोध का वर्णन करने के लिए ‘सटीक शब्दों’ का इस्तेमाल नहीं किया होगा। जाहिर सी बात है कि कुछ लोगों ने संवेदनशील और संरक्षित जानकारी साझा की। आखिर वह व्यक्ति कौन था? कुछ निर्णय गोपनीय हैं और कुछ गुप्त हैं। कुछ सबसे अधिक सीक्रेट हैं और कुछ आपकी आंखों के लिए हैं। मुझे पूरा यकीन है कि निर्णय लेने की प्रक्रिया के साथ-साथ निर्णय में केवल प्रधानमंत्री, रक्षामंत्री, एन.एस.ए., सेना और वायुसेना प्रमुख तथा पश्चिमी वायु कमान के कमांडर शामिल थे। 

हालांकि स्ट्राइक पायलटों को हमले से कुछ घंटे पूर्व ही सूचित कर दिया जाता है और जब तक हमला नहीं हो जाता उससे पहले उन्हें एकांत में रखा जाता है। आप अपने निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि किन लोगों ने सटीक शब्दों का इस्तेमाल किया और संरक्षित जानकारी साझा की। मेरी चिंता यह है कि क्या यह जानकारी किसी और के साथ साझा की गई थी जो (शायद स्रोत से अंजान) पाकिस्तान का जासूस या मुखबिर हो सकता है? मेरी दूसरी ङ्क्षचता वार्तालाप में अन्य व्यक्ति के बारे में है। उसका सुरक्षा वर्गीकरण क्या था और क्या उसने किसी के साथ जानकारी साझा की? 

मौत की चेतावनी
बातचीत के कारण  दिवंगत वित्तमंत्री अरुण जेतली की प्रतिष्ठा को क्षति पहुंची थी (परमात्मा उनकी आत्मा को शांति दे)।
10.4.2019
दोपहर 12:45, अन्य: जेतली उनकी सबसे बड़ी असफलता है। 
पत्रकार : मैं इससे सहमत हूं। 
-आश्चर्य ढंग से एक बीमार व्यक्ति के लिए मौत की चेतावनी थी।
19.8.2019
प्रात: 10:08, पत्रकार : जेतली  के बारे में पी.एम.ओ. नहीं जानता था कि क्या करें? 
-पी.एम. फ्रांस के लिए बुधवार को रवाना हुए। 
प्रात: 10:09, अन्य : अभी तक वे मरे नहीं थे?
प्रात: 10:55, पत्रकार : उन्हें बनाए रखा गया, मैं आशा करता हूं कि कुछ सायं तक होगा। इसी कारण दिल्ली में इस सप्ताह मेरी बैठकों में से एक को आगे बढ़ाया जाएगा। 
मैं अपने देश, अपने सुरक्षाबलों तथा उनकी खुफिया बातों के लिए  शोक मनाता हूं। इसके अलावा अरुण जेतली के परिवार के लिए जिन्होंने 1975 से भाजपा (तथा इसके पूर्ववर्ती जनसंघ) की बड़ी वफादारी से सेवा की।-पी.चिदम्बरम  

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