Edited By ,Updated: 27 Mar, 2019 04:11 AM
अगर वे दुश्मन की बेटियां भी होतीं, तो भी भारत उनकी रक्षा को उठता। यह सरहद पार का मामला नहीं, मानवीय मूल्यों के राक्षसीकरण का मुद्दा है। अगर इस पर भारत न उठे, न बोले, तो फिर वह भारत, भारत ही नहीं हो सकता। 13 साल की रवीना और 15 साल की रीना पाकिस्तान...
अगर वे दुश्मन की बेटियां भी होतीं, तो भी भारत उनकी रक्षा को उठता। यह सरहद पार का मामला नहीं, मानवीय मूल्यों के राक्षसीकरण का मुद्दा है। अगर इस पर भारत न उठे, न बोले, तो फिर वह भारत, भारत ही नहीं हो सकता।
13 साल की रवीना और 15 साल की रीना पाकिस्तान में हिन्दू होने के ‘‘अपराध’’ की सजा भुगत रही हैं। भारत का सैकुलर मीडिया कदाचित ‘‘स्पान्सर्ड ट्रिप’’ में भी पाकिस्तानी हिन्दुओं पर जो गुजर रही है उसका हाल जानने जाते नहीं, लिखते नहीं, बोलते नहीं। पाकिस्तानी हिन्दुओं ने विभाजन नहीं मांगा था, न ही उसका समर्थन किया था। उन्होंने अपनी मातृभूमि पर निष्ठा रखी और वहीं रह गए। उनसे उनकी राय भी किसी ने नहीं पूछी थी। 1947 में यदि आबादी की अदला-बदली हो जाती तो उन हिन्दुओं को, उन माता-पिता को अपनी अबोध प्यारी गुडिय़ा-सी बच्चियों का क्रंदन न सुनना पड़ता।
यह पाप उन पूर्वजों का है जो थक गए थे। स्वतंत्रता संघर्ष में, हार कर मान गए थे ब्रिटिश षड्यंत्र को और भारत में हिन्दुओं की ऐसी जमात जमा गए जिसे सीरिया, फिलस्तीन या मलाला के अबूझे शब्दों की ज्यादा ङ्क्षचता है, पर हिन्दुओं से जिन्हें सिर्फ संवेदनहीन फासले पसंद हैं।तुम्हारा दल, विचारधारा, नारे, वीरता के बड़बोले शब्द सब व्यर्थ हो जाते हैं, रिंकल, रीना, रवीना की दीवारें तोड़ डालने वाली चीखों और उनके मां-बाप की सूखी, सूनी आंखों के सामने। वे गुरु तेग बहादुर, राणा प्रताप, शिवाजी के नाम लेते हैं। कश्मीर के पंडित तो पंजाबी नहीं थे पर गुरु तेग बहादुर, भाई मति दास, भाई सती दास ने उनके रक्षण के लिए अपना बलिदान दिया था, चुनाव में वोट नहीं मांगे थे।
पाकिस्तान में हिन्दुओं की स्थिति
मुझे ग्यारह-बारह बार पाकिस्तान जाने का अवसर मिला है। प्राय: हर क्षेत्र और प्रमुख स्थानों का भ्रमण किया है। साधारण लोगों की आवभगत की भी चर्चा की थी जो भारत में ‘ग्रेट पाकिस्तानी हास्पीटैलिटी’ वाली गैंग है, उसके साथ भी सफर किया है। जैसे हिटलर के समय यहूदियों को चिन्हित कर सताया जाता था, कुछ उससे ज्यादा ही पाकिस्तान में हिन्दुओं की हालत है। कराची में एक शिव मंदिर है क्लिफ्टन सागर तट पर, वह बड़ा भव्य और लोकप्रिय रत्नेश्वर महादेव का मंदिर रहा होगा। वहां के पुजारी आज मुस्लिम अद्र्धचंद्राकार टोपी पहन पूजा कराते हैं। भीड़ में मुसलमान बन कर रहना सुरक्षा कवच है।
स्त्रियों ने मंगलसूत्र और माथे की बिंदी इसलिए हटाई ताकि घर से निकलने पर उनकी हिन्दू के नाते पहचान न हो। अंतिम संस्कार के लिए भी इतनी जद्दोजहद और मुश्किल से इजाजत मिलती है-कई बार 100 किलोमीटर दूर, क्योंकि अंतिम संस्कार से उन्हें बदबू आती है। केवल हिन्दुओं के लिए तो अलग विद्यालय नहीं हो सकते। सामान्य विद्यालयों में 4 बच्चे हिन्दू हैं तो 50 मुसलमान। उन बच्चों को हर दिन काफिर सुनना पड़ता है, उनके हनुमान, दुर्गा, राम जैसे देवताओं का भद्दा मजाक उड़ाया जाता है। शिकायत कहां करें और किससे? उन्हें समान मताधिकार या राजनीतिक हक नहीं, वे केवल हिन्दू निर्वाचन क्षेत्र में ही वोट दे सकते हैं।
‘हिन्दुस्तान ने हिन्दुओं को छोड़ दिया’
पाकिस्तान में अधिकांश ईसाई हिन्दुओं से ही धर्मांतरित हैं। मुसलमान कौन से अरब से आकर बसे? सेना प्रमुख जनरल बाजवा के पूर्वज जाट हिन्दू ही थे पर ईसाइयों को अमरीका तथा यूरोपीय देश संरक्षण देते हैं। उन पर भी यदाकदा जुल्म होते हैं, पर पश्चिमी देश और वहां का मीडिया ‘ईसाई ब्लॉक’ के नाते उनके पक्ष में खड़े होते हैं-उसका असर पड़ता है। पाकिस्तानी हिन्दू का कौन है? कराची में एक हिन्दू व्यापारी ने लाल भीगी आंखों से कंपकंपाते स्वर में कहा था-जैसे अनचाहे नवजात शिशु को उसकी मां कूड़े में चुपचाप फैंक आती है, वैसे हिन्दुस्तान ने हिन्दुओं को छोड़ दिया है।
यह पहला मामला नहीं
रीना और रवीना की करुण कथा प्रथम नहीं। मीरपुर का 1947 का हिन्दू विरोधी नरसंहार ईदी अमीनों को भी दहलाने वाला था और उनको, उनके वंशजों को आज तक जम्मू-कश्मीर की नागरिकता नहीं मिली है-क्रूर-घृणा का स्वदेशी नजारा ही तो है यह। भारत एक विराट राजनीतिक इवैंट मैनेजमैंट कम्पनी के मालिक नेताओं का देश बन रहा है। कुछ तो ऐसा तमाशा हो कि खबर बन जाए-हजार-दस हजार ‘री ट्वीट हो जाएं’ तो जन्म सफल हो जाए। भारत अपने भीतर के हिन्दुओं की रक्षा नहीं कर पा रहा, जाति भेद पर नए राजाओं का टिकट बंटता है, कश्मीरी हिन्दू आज भी घर से बाहर हैं। पाकिस्तान में हिन्दुओं को यह आत्ममुग्ध राजसी विलास में रत भारत बचाएगा, यह कौन मानता है?
सुषमा स्वराज ने रीना, रवीना के दुखद प्रसंग पर ट्वीट किया, तो ऐतिहासिक हो गया। यह है हिन्दुओं का हाल। 70 साल बाद भारत ने पाकिस्तान के हिन्दुओं की सुध ली, उन्हें शीघ्र नागरिकता देने का कानून बनाया, तमाम स्वदेशी सैकुलर हिन्दुओं के अंधे विरोध के बावजूद नागरिकता कानून बनाने की ओर बढ़े। वह सब महान है, प्रणम्य है पर वह सब स्वदेशी हिन्दुओं के लिए है। पाकिस्तान, बंगलादेश में मुस्लिम अत्याचार के शिकार हिन्दुओं को उससे क्या राहत मिलेगी?-तरुण विजय