क्यों असंभव है एक समृद्ध ‘हिन्दू राष्ट्र’

Edited By ,Updated: 02 Mar, 2020 04:08 AM

why a prosperous  hindu nation  is impossible

जबकि अधिकांश भारतीय भारत में बहुलवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतांत्रिक साख को समझते हैं, फिर भी आबादी का एक अच्छा प्रतिशत है जो हिन्दूू राष्ट्र की अवधारणा को पसंद करता है। नैतिकता और कट्टरता अलग रखते हुए भी यह समझना महत्वपूर्ण है कि व्यावहारिक रूप से...

जबकि अधिकांश भारतीय भारत में बहुलवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतांत्रिक साख को समझते हैं, फिर भी आबादी का एक अच्छा प्रतिशत है जो हिन्दूू राष्ट्र की अवधारणा को पसंद करता है। नैतिकता और कट्टरता अलग रखते हुए भी यह समझना महत्वपूर्ण है कि व्यावहारिक रूप से भी एक समृद्ध हिन्दू राष्ट्र असंभव है। इसके बजाय भारत और हिन्दू कुछ दशकों के लिए आर्थिक विकास पर ध्यान दें तो बेहतर होगा और हिन्दू संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए समृद्धि का उपयोग करना चाहिए। इस लेख का उद्देश्य हिन्दू धर्म, हिन्दू संस्कृति का खंडन करना या एक अतिरिक्त उदारवादी तर्क प्रस्तुत करना नहीं है बल्कि यह पता लगाना है कि हम अपने धर्म और संस्कृति के लिए अधिकतम गौरव कैसे प्राप्त कर सकते हैं।

हिन्दू राष्ट्र की परिभाषाएं 
एक हिन्दू राष्ट्र की कई परिभाषाएं  हैं। जो लोग इस विचार को पसंद करते हैं वे सोचते हैं कि इसमें निम्नलिखित में से एक या अधिक शामिल हैं: एक ऐसा भारत जहां हिन्दू अपने समकक्ष लोगों में पहले नम्बर पर हो, जहां नियम हिन्दू भावना को प्राथमिकता देते हैं। अल्पसंख्यक धर्मों को कोई विशेष प्राथमिकता नहीं दी जाती है। हिन्दू धार्मिक फरमान यह निर्धारित करते हैं कि लोग कैसे रहते हैं और व्यवहार करते हैं। कानून धर्म के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए बनाए जाते हैं। जबकि कुलीन उदारवादी इन विचारों का उपहास कर सकते हैं लेकि उन लोगों की सोच को समझना महत्वपूर्ण है जो उनका समर्थन करते हैं। हिन्दू राष्ट्र समर्थकों को लगता है कि हिन्दू धर्म एक उत्कृष्ट, सहिष्णु धर्म है, जो एक राष्ट्र को संचालित करने के लिए एक अच्छा आधार है। भारत प्रभावी रूप से हिन्दुओं का एकमात्र सच्चा घर है, इसलिए भारत को इसका अधिक पालन करना चाहिए। हमारे प्राचीन आहार, रिश्ते और जीवन शैली की सलाह सभी के लिए वैसे भी पालन करने के लिए अद्भुत है। आखिर खुद को शासित करने के लिए जीवन के अच्छे सिद्धांतों का उपयोग करने में क्या गलत है? 

इसका सरल उत्तर यह है कि यह जरूरी नहीं कि अद्भुत नियमों और सिद्धांतों वाले धर्म का कार्यान्वयन सत्ताधारी लोगों द्वारा शानदार तरीके से किया जाएगा। तालिबान के हाथों में, जो लोगों पर भगवान के रास्ते को लागू करने की कोशिश कर रहे थे, अफगानिस्तान नरक बन गया। यह कहना कि हिन्दू और हिन्दू शासक अलग-अलग होंगे मूर्खतापूर्ण हैं। ईसाई धार्मिक राज्यों ने लोगों का शोषण किया है। एक भयावह जाति व्यवस्था के साथ, हिन्दू राज्यों ने अपने लोगों पर भी अत्याचार किया है।

हम खुद को विभाजित करने के अन्य तरीके पाएंगे, चाहे वह जाति हो या पंथ जैसे कि सनातन धर्म और आर्य समाज। यदि आपने पहले एक समुदाय से नफरत की है तो आप बाद में किसी अन्य समुदाय से नफरत करेंगे। इस दुनिया में केवल अमीर इस्लामिक देश ही ऐसे हैं जिनके पास तेल के अकूत भंडार हैं। मध्य-पूर्व धार्मिक राज्यों को चलाता है और उच्च प्रति व्यक्ति आय प्राप्त करता है। पैसे के बिना, इस्लामी देश अच्छा नहीं करते हैं। अफगानिस्तान, पाकिस्तान, सूडान और सोमालिया इसके कुछ उदाहरण हैं। हिन्दू राष्ट्र प्रेमियों के पास दुर्भाग्य से कोई तेल नहीं है। इसलिए जब तक हम नागपुर या वाराणसी में बड़े तेल के भंडारों की खोज नहीं करते हैं, तब तक हमारे पास भारत को समृद्ध बनाने के लिए केवल एक ही रास्ता है-कड़ी मेहनत,आधुनिक विज्ञान और सामाजिक सद्भाव। अन्यथा यदि आप एक हिन्दू राष्ट्र बनते हैं तो आप वैभवशाली नहीं बन पाएंगे। 

युवाओं को चाहिए नौकरी
भारत की जनसांख्यिकी का तकाजा है कि हम भारत के बहुलतावादी लोकतंत्र को फिर से बनाने का प्रयास नहीं कर सकते। आप 15 करोड़ मुसलमानों को दूसरे दर्जे के नागरिकों में नहीं बदल सकते। कट्टरपंथ अकेले भारत को एक जीवित नरक बना देगा। हमारे पास बहुत  कम युवा आबादी है जिनमें से अधिकांश को अच्छी नौकरियों की जरूरत है। हिन्दू राष्ट्र के प्रयास निवेश, व्यापार की भावना और सद्भाव को नष्ट कर देंगे। 

भारत प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद जी.डी.पी. के संदर्भ में आगे बढ़ा है और हम 1991 में 300 डालर के मुकाबले आज 2,000 डालर के सम्मानजनक स्तर पर हैं। भारत के गौरव और राष्ट्रवाद में वृद्धि के लिए संपन्नता में यह वृद्धि आंशिक रूप से जिम्मेदार है। यदि हमने 1991 में भारत को हिन्दू भूमि बनाने के लिए चुना होता तो हम आज कहीं के नहीं होते। हिन्दुओं को आज गर्व है क्योंकि हम सामंजस्यपूर्ण बने रहे और विकास पर ध्यान केन्द्रित किया। हम इसी तरह बने रहें। जिस दिन यह प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 10,000 डालर पर पहुंच जाएगा उस दिन भारत के बारे में सब कुछ अधिक शानदार होगा।-चेतन भगत   

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